स्वयंभू शिवलिंग का अद्भुत चमत्कार! दिन में 3 बार बदलता है रंग, औरंगजेब के हमले से निकली थी रक्त की धार
भारत में इस समय हर तरफ महाशिवरात्रि की धूम देखने को मिल रही है. यह त्यौहार हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्यौहार है. इस दिन भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है. इस बीच आज हम आपको एक ऐसे चमत्कारी शिवलिंग के बारे में बताने जा रहे हैं जो दिन में 3 बार रंग बदलता है. तो चलिए जानते हैं.

उत्तर प्रदेश के कौशांबी जिले में गंगा किनारे स्थित एक प्राचीन शिव मंदिर को लेकर एक अनोखी मान्यता प्रचलित है. कहा जाता है कि यहां का पंचमुखी शिवलिंग दिन में तीन बार अपना रंग बदलता है. यही नहीं, मंदिर के पुजारी का दावा है कि मुगल शासक औरंगजेब ने जब इस शिवलिंग पर तलवार से वार किया था, तो इससे रक्त की धार बह निकली थी. यह मंदिर भक्तों की आस्था और चमत्कारों का केंद्र बना हुआ है.
गंगा नदी के किनारे बसे पल्हना गांव में स्थित इस रहस्यमयी शिव मंदिर से जुड़ी कई कहानियां लोगों के बीच काफी लोकप्रिय हैं. इस मंदिर की स्थापना कब और किसने की, इसका कोई ऐतिहासिक प्रमाण नहीं है, लेकिन मान्यता है कि यह सदियों पुराना मंदिर है. यहां आने वाले श्रद्धालुओं का मानना है कि इस मंदिर में सच्चे मन से की गई प्रार्थना कभी व्यर्थ नहीं जाती और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.
दिन में तीन बार रंग बदलता है शिवलिंग
इस मंदिर में स्थापित पंचमुखी शिवलिंग को लेकर सबसे अनोखी बात यह है कि यह दिन में तीन बार अपना रंग बदलता है. स्थानीय श्रद्धालुओं और मंदिर के पुजारियों का कहना है कि सुबह, दोपहर और शाम के समय शिवलिंग का रंग अलग-अलग दिखाई देता है. इसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग यहां आते हैं. मंदिर के मुख्य पुजारी सियाराम बाबा ने मडिया को बताया कि वह खुद कई बार अपनी आंखों से शिवलिंग को रंग बदलते हुए देखा है. यह मंदिर चमत्कारों से भरा हुआ है, और यहां भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है."
औरंगजेब के हमले से निकली थी रक्त की धारा!
इस मंदिर से जुड़ा एक और ऐतिहासिक दावा यह है कि मुगल आक्रांता औरंगजेब ने इस पर आक्रमण किया था. पुजारी सियाराम बाबा बताते हैं, "मुगल शासक औरंगजेब ने इस मंदिर को नष्ट करने का प्रयास किया था. जब उसने अपनी तलवार से पंचमुखी शिवलिंग पर वार किया, तो उसमें से रक्त की धार बह निकली. यह देख वह भयभीत होकर वहां से भाग गया."
मंदिर के बाहर मौजूद नंदी की खंडित प्रतिमा को भी औरंगजेब के आक्रमण का प्रमाण माना जाता है. स्थानीय लोग बताते हैं कि नंदी की प्रतिमा समेत कई अन्य मूर्तियों को तोड़ने का प्रयास किया गया था, लेकिन शिवलिंग के चमत्कार के आगे आक्रांता असफल रहा.
मंदिर की रहस्यमयी मान्यताएं
- कहा जाता है कि इस मंदिर का शिवलिंग स्वयंभू है, यानी यह किसी मनुष्य द्वारा स्थापित नहीं किया गया बल्कि स्वयं प्रकट हुआ है.
- मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं का विश्वास है कि यहां शिवलिंग के दर्शन मात्र से उनके जीवन के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं.
- हर सोमवार और महाशिवरात्रि के दिन यहां हजारों की संख्या में भक्त जुटते हैं, और खासतौर पर शिवलिंग के रंग बदलने के चमत्कार को देखने आते हैं.
भक्तों की अटूट आस्था
पल्हना गांव का यह प्राचीन शिव मंदिर श्रद्धालुओं के लिए आस्था का प्रमुख केंद्र है. दूर-दूर से भक्त यहां भगवान शिव के दर्शन के लिए आते हैं और उनकी कृपा पाने के लिए पूजन-अर्चन करते हैं. मंदिर के पुजारी और स्थानीय लोग मानते हैं कि यह स्थान शिवजी की अलौकिक शक्ति का प्रमाण है और यहां आने वाले सभी भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं.


