जब किडनी खराब होने के कारण प्रेमानंद जी महाराज को आश्रम से निकाला गया, भक्तों की आंखों में आ गए आंसू
Premanand Ji Maharaj: प्रेमानंद जी महाराज ने हाल ही में अपने सत्संग में एक दिल छूने वाला किस्सा साझा किया. इस किस्से ने भक्तों को उनकी कठिनाइयों और जीवन के उस महत्वपूर्ण क्षण की याद दिलाई, जब उन्होंने राधा रानी के चरणों में शरणागति को अपनाया. महाराज जी के जीवन में एक गहरा मोड़ आया, जिसे सुनकर हर भक्त की आंखों में आंसू आ गए.

Premanand Ji Maharaj: राधा रानी के परम भक्त प्रेमानंद जी महाराज का भक्तों के दिलों में विशेष स्थान है. उनका जीवन और भक्ति एक प्रेरणा का स्रोत हैं. हाल ही में प्रेमानंद महाराज ने अपने सत्संग में एक ऐसा दिल छूने वाला किस्सा साझा किया, जिसे सुनकर हर भक्त की आंखों में आंसू आ गए. इस किस्से ने न केवल उनके जीवन की कठिनाइयों को उजागर किया, बल्कि यह भी बताया कि कैसे राधा रानी के चरणों में शरणागति ने उनके जीवन को नया रूप दिया.
प्रेमानंद महाराज की दोनों किडनियां खराब हैं, और इसका असर उनके शरीर पर स्पष्ट था. लेकिन इस कठिन समय में उन्होंने राधा रानी की भक्ति से अपना मार्गदर्शन प्राप्त किया. यह वह समय था जब वह स्वयं को पूरी तरह शरणागति में समर्पित महसूस कर रहे थे. आइए जानें महाराज जी के द्वारा सुनाई गई इस किवदंती को, जिसे सुनकर हर भक्त का दिल भर आया.
किडनी रोग के कारण आश्रम से निकाले जाने की घटना
प्रेमानंद महाराज ने अपने जीवन की एक दुखद घटना साझा करते हुए बताया कि जब वह वृंदावन पहुंचे, तो कुछ ही दिन में पता चला कि उनकी दोनों किडनियां खराब हो चुकी हैं. यह जानकर उनका दिल टूट गया था, क्योंकि न केवल उनका स्वास्थ्य खराब था, बल्कि उनकी आर्थिक स्थिति भी कमजोर थी. महाराज जी ने कहा, "जब किडनी खराब हुई, न मेरे पास एक पैसा था, न कोई मदद करने वाला था."
आश्रम से निष्कासन का दर्द
महाराज जी ने यह भी बताया कि जिस आश्रम में वह रहते थे, वहां से उन्हें निकाल दिया गया. आश्रम के लोग सोचने लगे कि उनकी बीमारी से कोई समस्या उत्पन्न हो सकती है और वे आश्रम पर बोझ बन सकते हैं. इसके बाद, प्रेमानंद महाराज को 15 दिन का समय दिया गया, ताकि वे आश्रम छोड़ सकें, लेकिन उन्होंने तुरंत आश्रम छोड़ दिया. इस कठिन परिस्थिति में ही उनका राधा रानी के चरणों में समर्पण का अनमोल क्षण आया.
राधा रानी की कृपा और शरणागति का अनुभव
प्रेमानंद महाराज ने कहा, "यह 25 साल पहले की बात है. उस समय किडनी रोग की कृपा से वही हुआ, जो स्वस्थ रहते हुए संभव नहीं था." यह रोग उनके लिए जीवन का turning point बन गया. इस कठिन समय में उन्हें राधा रानी के चरणों में पूर्ण शरणागति का अनुभव हुआ. उन्होंने महसूस किया कि उनकी भक्ति और शरणागति ने उन्हें इस कठिन दौर से बाहर निकाला और जीवन को एक नई दिशा दी.
राधा रानी के चरणों में पूर्ण समर्पण
महाराज जी ने यह भी बताया कि किडनी रोग के कारण चलने में कठिनाई हो रही थी, लेकिन राधा रानी की भक्ति ने उन्हें मानसिक शांति और आंतरिक बल दिया. "वह समय था जब मैं राधा रानी के चरणों में पूर्ण रूप से समर्पित हुआ और उन्होंने मुझे अपनी कृपा से अभिभूत किया," महाराज जी ने कहा.


