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FIR छिपाने पर AAP का BJP पर वार, कहा- जब मंत्री ही नहीं थे तो साजिश क्यों?

आम आदमी पार्टी ने दिल्ली सरकार के पूर्व मंत्रियों सौरभ भारद्वाज और सत्येंद्र जैन के खिलाफ दर्ज FIR को सार्वजनिक नहीं करने पर सवाल उठाए हैं.

Suraj Mishra
Edited By: Suraj Mishra

आम आदमी पार्टी (AAP) ने दिल्ली सरकार के पूर्व मंत्रियों सौरभ भारद्वाज और सत्येंद्र जैन के खिलाफ दर्ज FIR को सार्वजनिक नहीं करने पर सवाल उठाए हैं. AAP का कहना है कि FIR को दबाकर प्रेस नोट मीडिया में जारी किए जा रहे हैं, जिससे आरोपों का खुलासा नहीं हो सके. पार्टी ने पूछा है कि क्या FIR इतनी मामूली है कि भाजपा इसे सार्वजनिक होने से रोक रही है या फिर इसमें कुछ ऐसा छिपा है, जिससे वे देश भर में हास्य के पात्र बन जाएंगी?

क्या सौरभ भारद्वाज और सत्येंद्र जैन को बेवजह बदनाम किया गया?

AAP का आरोप है कि दिल्ली की जांच एजेंसियों का दुरुपयोग कर सौरभ भारद्वाज और सत्येंद्र जैन को बेवजह बदनाम किया जा रहा है. AAP का तर्क है कि सरकारी दस्तावेज खुद यह साबित करते हैं कि जिन परियोजनाओं की बात हो रही है, वे 2016-19 के बीच स्वीकृत हुई थीं, जबकि सौरभ भारद्वाज तो 2023 में ही मंत्री बने थे.

AAP के प्रदेश अध्यक्ष सौरभ भारद्वाज ने बताया कि 24 जून 2025 को उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने एक प्रेस नोट जारी किया. इसके बाद एसीबी प्रमुख मधुर वर्मा ने भी मीडिया के लिए प्रेस नोट जारी किया. उन्होंने कहा कि सामान्य प्रक्रिया में FIR मीडिया के साथ साझा की जाती है, लेकिन इस मामले में FIR छुपाई जा रही है क्योंकि इससे किस तरह भाजपा सरकार कानून से खिलवाड़ कर रही है यह साबित हो जाएगा.

उन्होंने कहा कि FIR से स्पष्ट हो जाएगा कि FIR में जिन परियोजनाओं का जिक्र है, वे बिना किसी ठोस कारण के केवल दो पूर्व मंत्रियों को निशाना बनाने के लिए चुनी गई हैं, जबकि उन योजनाओं को लागू करने वाले स्वास्थ्य विभाग और PWD के अधिकारियों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई.

सत्येंद्र जैन ने एसीबी और उपराज्यपाल के बयान में इंगित किया अंतर
 
दूसरी ओर, सत्येंद्र जैन ने एसीबी और उपराज्यपाल के बयान में अंतर इंगित किया. उपराज्यपाल का प्रेस नोट 2018-19 और 2021 में स्वीकृत परियोजनाओं की बात करता है, जबकि एसीबी प्रमुख ने 2017–18 में मंजूर 24 परियोजनाओं का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि सौरभ भारद्वाज तो मार्च 2023 में मंत्री बने थे. ऐसे में उन्हें उन परियोजनाओं के लिए जिम्मेदार क्यों ठहराया जा रहा है जो उनके कार्यकाल के पहले बनीं थीं? क्या यह कोई खेल चल रहा है?

सत्येंद्र जैन ने कहा कि अभी तक किसी भी सबूत से यह साबित नहीं हुआ है कि इन परियोजनाओं में भ्रष्टाचार हुआ था. फिर किसी मंत्री को उन योजनाओं के लिए कैसे आरोपित किया जा सकता है जो उनके आने से पहले स्वीकृत हुईं?

सौरभ भारद्वाज ने भी इस सवाल को दोहराया कि HIMIS की घोषणा 2016-17 में हुई थी, जबकि वह 2023 में मंत्री बने थे. उन्होंने कहा कि 'पहली बात, उस घोषणा में भ्रष्टाचार का कोई सबूत नहीं है. दूसरी बात, मैं कैसे जिम्मेदार ठहराया जा सकता हूं'?

उन्होंने एक पोस्ट में लिखा कि सभी जानते हैं कि मैं 2023 में ही मंत्री बना. 2018–19 में स्वीकृत अस्पताल परियोजनाओं को मैं कैसे मंत्री होते हुए लागू कर सकता था? 2016–17 में एचआईएमएस की घोषणा से मुझे कैसे आरोपी बनाया जा सकता है? उपराज्यपाल और एसीबी दोनों से स्पष्ट जवाब की उम्मीद है.

FIR की पारदर्शिता की मांग

AAP की इस ओर से उठाए गए सवालों का मुख्य मकसद FIR की पारदर्शिता की मांग करना है. AAP कहती है कि FIR गोपनीय रखकर जांच एजेंसियां अपने राजनीतिक एजेंडे को हवा दे रही हैं, जिसके चलते न्याय प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी पैदा हो रही है. पार्टी अपने नेताओं के खिलाफ आरोपों की निष्पक्ष जांच चाहती है, जिसमें जांच पूरी हो और दोषी पाए जाने पर उन्हें कालकोठरी तक पहुंचाया जाए, परंतु इस पूरे मामले को छिपाने की वर्तमान प्रक्रिया लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ बताया जा रहा है.

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26 June 2025, 09:45 PM IST

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