'जब देश का पेट भरने वाला अन्नदाता खुद अन्न के लिए तरस रहा हो, तो...', पंजाब बाढ़ पर बोले आप सांसद संत सीचेवाल
ब्यास नदी की बाढ़ से मंड क्षेत्र के 46 गांव और 15,000 एकड़ जमीन डूब गई, जिससे किसानों का सब कुछ बर्बाद हो गया। इस संकट में संत बलबीर सिंह सीचेवाल ने नाव बनाकर और रोजाना राहत सामग्री पहुंचाकर सैकड़ों परिवारों व पशुओं की जान बचाई।

बाउपुर मंड क्षेत्र में बाढ़ के कहर को अब 29 दिन हो चुके हैं. इस प्राकृतिक आपदा ने ना केवल खेत-खलिहान बल्कि किसानों के सपनों और मेहनत को भी पानी में बहा दिया है. ब्यास नदी के बदले रुख ने 46 गांवों को बुरी तरह प्रभावित किया है और करीब 15,000 एकड़ जमीन जलमग्न हो चुकी है.
इस संकट की घड़ी में राज्यसभा सांसद और पर्यावरण प्रेमी संत बलबीर सिंह सीचेवाल अपनी संवेदनशीलता और सेवा-भाव से लोगों के लिए एक सहारा बनकर खड़े हैं. संत सीचेवाल ने कहा कि जब देश का पेट भरने वाला अन्नदाता खुद अन्न के लिए तरस रहा हो, तो वह मंज़र असहनीय है. यह समय सिर्फ ‘सरबत का भला’ मांगने का नहीं, बल्कि सच में सरबत का भला करने का है.
बाढ़ में फंसे लोगों के लिए राहत का सहारा
ब्यास नदी के कहर से मंड के कई परिवार बेघर हो गए हैं. नदी धीरे-धीरे घरों को धकेल रही है, जिससे लोग अपने गांव छोड़ने को मजबूर हैं. ऐसे समय में संगत और सामाजिक संगठन भी पीड़ितों का साथ दे रहे हैं. कई परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है ताकि उनकी जान बचाई जा सके.
तीन दिन-तीन रातों में बनी विशाल नाव
संत सीचेवाल और उनकी टीम ने बाढ़ पीड़ितों के लिए सिर्फ राहत सामग्री ही नहीं पहुंचाई, बल्कि तीन दिन और तीन रातों की मेहनत से एक विशाल नाव भी तैयार की. यह नाव बड़ी संख्या में लोगों, पशुओं और भारी मशीनरी को सुरक्षित स्थानों तक ले जाने में सक्षम है. मशीनरी लाखों की होती है और उसका डूब जाना किसानों के लिए भारी नुकसान है. इस नाव ने कई परिवारों और किसानों को नया जीवनदान दिया है.
रोजाना 10 घंटे का सेवा कार्य
सिर्फ नाव बनाना ही नहीं, बल्कि हर दिन सुबह से शाम तक संत सीचेवाल खुद पानी में उतरकर फंसे लोगों तक भोजन, प्रसाद, पानी और दवाइयां पहुंचाते हैं. जब अधिकांश नेता बाढ़ प्रभावित इलाकों का केवल औपचारिक दौरा कर लौट गए, वहीं सीचेवाल ने मंड क्षेत्र को छोड़ना उचित नहीं समझा.
लोगों के बीच रहकर किया वास्तविक सेवा कार्य
पिछले तीन हफ्तों से वह सुबह 8:30 बजे से शाम 6-7 बजे तक लगातार राहत कार्य में जुटे हैं. उन्होंने न केवल परिवारों को बचाया, बल्कि बच्चों को गोद में उठाकर सुरक्षित स्थान तक पहुंचाया. यहां तक कि उन्होंने कई पशुओं को भी सुरक्षित निकाला. अगस्त के अंत तक करीब 300 जानवरों को बचाया जा चुका था. 22 अगस्त को संत सीचेवाल ने इंग्लैंड की अपनी निर्धारित यात्रा रद्द कर दी और कहा कि मैं ऐसे समय में अपने लोगों को छोड़ नहीं सकता.
संत सीचेवाल के प्रयासों का असर
उनकी निस्वार्थ सेवा को देखकर अन्य राजनेता भी प्रभावित हुए. पूर्व क्रिकेटर और राज्यसभा सदस्य हरभजन सिंह ने 18 अगस्त को बाढ़ प्रभावित गांवों का दौरा किया. पंजाब के जल संसाधन मंत्री 20 अगस्त को और मुख्यमंत्री भगवंत मान 22 अगस्त को प्रभावित क्षेत्र में पहुंचे. लेकिन इस पूरे समय में संत सीचेवाल लगातार वहीं मौजूद रहे और आज भी पीड़ितों के साथ खड़े हैं.
किसान निर्मल सिंह ने अपनी डूबी हुई धान की फसल को देखकर कहा कि जब हमारे खेत पानी में चले गए, तो हमने सोचा कि सब कुछ खत्म हो गया है. लेकिन जब बाबा जी (सीचेवाल) हर सुबह अपनी नाव में आते थे, तो हमें महसूस हुआ कि हम अकेले नहीं हैं. ये बयान इस बात की गवाही देता है कि संत सीचेवाल के कार्यों ने मुश्किल घड़ी में लोगों को सहारा और उम्मीद दी है.


