अकाली दल के नेता और पूर्व मंत्री सुखदेव सिंह ढींडसा का निधन, मोहाली के अस्पताल में ली अंतिम सांस
शिरोमणि अकाली दल के नेता और पूर्व मंत्री सुखदेव सिंह ढींढसा का निधन हो गया है. उन्होंने मोहाली के फोर्टिस अस्पताल में अंतिम सांस ली.

शिरोमणि अकाली दल के नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सुखदेव सिंह ढींढसा का निधन हो गया है. उन्होंने मोहाली के फोर्टिस अस्पताल में 89 साल की उम्र में अंतिम सांस ली. वो लंबे समय से फेफड़ों की बीमारी से जूझ रहे थे और बीते कुछ महीनों से लगातार इलाज के लिए अस्पताल आते-जाते रहे थे.
कांग्रेस नेता अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग ने 'एक्स' पर पोस्ट साझा कर उनके निधन की जानकारी दी और उन्हें 'धरती का सपूत' बताते हुए श्रद्धांजलि दी. उन्होंने लिखा- सुखदेव सिंह ढींडसा साहब के दुखद निधन पर मेरी गहन और दिल से संवेदनाएं. हमने पंजाब का एक महान सपूत खो दिया है, जिन्होंने छह दशकों से अधिक समय तक राज्य की सेवा की.
लंबी बीमारी के बाद निधन
सूत्रों के अनुसार, सुखदेव सिंह ढींडसा ने बुधवार सुबह मोहाली के फोर्टिस अस्पताल में अंतिम सांस ली. उन्हें फेफड़ों से जुड़ी बीमारी थी और पिछले कुछ समय से उनका इलाज जारी था. उनके निधन के साथ ही पंजाब की राजनीतिक धरातल पर एक गौरवशाली अध्याय समाप्त हो गया.
अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग का पोस्ट
कांग्रेस नेता वड़िंग ने आगे लिखा- उन्होंने केंद्रीय मंत्री के तौर पर सेवा दी और राज्य व राष्ट्रीय राजनीति में सकारात्मक और महत्वपूर्ण योगदान दिया. वो शायद उन अंतिम महान शख्सियतों में से थे जिन्होंने पंजाब के घटनापूर्ण इतिहास को बहुत करीब से देखा और समझा.
My profound and heartfelt condolences over the sad demise of Sardar Sukhdev Singh Dhindsa Sahab. We have lost a great son of the soil who served Punjab for over six decades.
— Amarinder Singh Raja Warring (@RajaBrar_INC) May 28, 2025
He served as the Union Minister besides contributing immensely and positively to the state and national… pic.twitter.com/otLvpwoLcf
सुखदेव सिंह ढींडसा का राजनीतिक सफर
सुखदेव सिंह ढींडसा का जन्म 9 अप्रैल 1936 को हुआ था. उन्होंने छात्र राजनीति से अपने करियर की शुरुआत की और धीरे-धीरे अकाली दल के वरिष्ठ नेताओं में अपनी जगह बनाई. वो लंबे समय तक राज्यसभा सदस्य रहे और केंद्र सरकार में मंत्री पद पर भी कार्यरत रहे.
उन्होंने शिरोमणि अकाली दल (डेमोक्रेटिक) और शिरोमणि अकाली दल (टकसाली) के विलय के बाद शिरोमणि अकाली दल (संयुक्त) की स्थापना की थी, जिसमें रणजीत सिंह ब्रह्मपुरा उनके साथ थे. मार्च 2024 में उनकी पार्टी दोबारा शिरोमणि अकाली दल में विलय हो गई थी.


