एसआईआर फॉर्म में मुस्लिम परिवारों के 25 लोगों के बदल गए नाम, गाजीपुर से सामने आई सबसे बड़ी गड़बड़ी
गाजीपुर में चल रही SIR प्रक्रिया के दौरान बड़ी तकनीकी खामी सामने आई, जहां 2003 की मतदाता सूची में नाम होने के बावजूद एक ही परिवार के 25 सदस्यों का सत्यापन अटक गया. प्रशासन ने जल्द सुधार का आश्वासन दिया है.

गाजीपुरः देशभर में इस समय भारत निर्वाचन आयोग द्वारा विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) की प्रक्रिया जारी है. मतदाता सूची को दुरुस्त और अपडेट करने के उद्देश्य से चल रही इस कवायद की अंतिम तारीख हाल ही में दो सप्ताह के लिए बढ़ा दी गई है. पहले यह प्रक्रिया 11 दिसंबर तक पूरी होनी थी, लेकिन अब मतदाताओं को अतिरिक्त समय दिया गया है. इस SIR अभियान में वर्ष 2003 की मतदाता सूची को आधार माना गया है, यानी जिन नागरिकों का नाम 2003 की वोटर लिस्ट में दर्ज है, उनके लिए सत्यापन अपेक्षाकृत आसान माना जा रहा है.
गाजीपुर में सामने आई चौंकाने वाली गड़बड़ी
इसी SIR प्रक्रिया के बीच उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले से एक गंभीर खामी सामने आई है, जिसने पूरी प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल खड़े कर दिए हैं. यहां एक ही परिवार के करीब 25 सदस्यों का नाम 2003 की मतदाता सूची में दर्ज होने के बावजूद SIR पूरा नहीं हो पा रहा है. परिवार का आरोप है कि फॉर्म में नाम सही है, लेकिन ऑनलाइन मैपिंग के दौरान किसी और व्यक्ति का नाम दिख रहा है, जिससे उनका सत्यापन अटक गया है.
बूथ लेवल एजेंट के परिवार का मामला
यह मामला बूथ संख्या 208 से जुड़ा है, जहां अरमान अली का परिवार निवास करता है. खास बात यह है कि अरमान अली स्वयं बूथ लेवल एजेंट (BLA) भी हैं. उनके परिवार के सभी सदस्य वर्षों से उसी पते पर रह रहे हैं और 2003 की मतदाता सूची में भी सभी के नाम दर्ज हैं. BLO द्वारा उन्हें SIR के फॉर्म भी उपलब्ध कराए गए थे. परिवार के सभी सदस्यों ने पुराने रिकॉर्ड से मिलान कर फॉर्म भरे और समय पर जमा भी कर दिए.
मैपिंग में दिखा नाम, लेकिन किसी और का
समस्या तब सामने आई जब बूथ लेवल अधिकारी ने फॉर्म की मैपिंग शुरू की. फॉर्म में दर्ज नाम सही थे, लेकिन सिस्टम में मैपिंग के दौरान परिवार के सदस्यों की जगह अन्य लोगों के नाम दिखाई देने लगे. हैरानी की बात यह रही कि जिन नामों की मैपिंग दिख रही थी, वे संबंधित परिवार से जुड़े नहीं थे. इस गड़बड़ी के बाद परिवार का SIR रोक दिया गया, जिससे वे लगातार परेशान हैं.
समाजवादी पार्टी ने उठाया मामला
इस समस्या को लेकर पीड़ित परिवार समाजवादी पार्टी के जिला कार्यालय पहुंचा. वहां जिला अध्यक्ष गोपाल यादव और पार्टी की राष्ट्रीय प्रवक्ता शौर्या सिंह ने उनकी शिकायत को गंभीरता से सुना. इसके बाद दोनों नेताओं ने अपर निर्वाचन अधिकारी दिनेश कुमार से इस विषय में बातचीत की और पूरे मामले की जानकारी दी. अधिकारियों से हस्तक्षेप की मांग की गई ताकि परिवार का मतदाता सत्यापन समय पर पूरा हो सके.
अपर निर्वाचन अधिकारी का आश्वासन
अपर निर्वाचन अधिकारी दिनेश कुमार ने परिवार को लिखित शिकायत के साथ अपने कार्यालय बुलाया और समस्या को समझने के बाद उसे जल्द दुरुस्त करने का भरोसा दिया. उन्होंने कहा कि SIR प्रक्रिया के दौरान कुछ दुर्लभ मामलों में ऐसी तकनीकी गड़बड़ियां सामने आती हैं. ऐसे मतदाताओं के लिए डेटा एडिट करने का विकल्प मौजूद है, जिसके जरिए गलती सुधारी जा सकती है.
धर्म के आधार पर भेदभाव से इनकार
अधिकारी ने यह भी स्पष्ट किया कि मैपिंग या सत्यापन की प्रक्रिया में धर्म को आधार नहीं बनाया जाता. उन्होंने स्वीकार किया कि सैदपुर विधानसभा क्षेत्र में भी एक-दो बूथों पर इसी तरह की समस्या सामने आई थी, जिसे बाद में ठीक कर लिया गया. उनका कहना है कि यदि कहीं तकनीकी या मानवीय त्रुटि हुई है, तो उसे सुधार कर सभी पात्र मतदाताओं का SIR पूरा कराया जाएगा.


