23 साल बाद अदालत ने सुनाया इंसाफ! बहू को जलाकर मार देने वाले पति, सास और ननद को उम्रकैद
Punjab Crime: पटियाला में 2002 में हुई विवाहिता मनप्रीत कौर की दर्दनाक मौत को आखिरकार 23 साल बाद न्याय मिला है. पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने इस मामले को दहेज मृत्यु नहीं बल्कि हत्या मानते हुए पीड़िता के पति, सास और ननद को उम्रकैद की सजा सुनाई है.

Punjab Crime: पटियाला में 2002 में हुई विवाहिता मनप्रीत कौर की दर्दनाक मौत को अब आखिरकार न्याय मिला है. पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने 23 साल बाद इस मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए इसे दहेज मृत्यु नहीं, बल्कि एक निर्दय हत्या करार दिया है. कोर्ट ने मृतका के पति मुकेश कुमार, सास निर्मला देवी और ननद सरिता को दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई है.
इससे पहले ट्रायल कोर्ट ने मामले को सिर्फ दहेज मृत्यु मानते हुए दोषियों को राहत दी थी. लेकिन हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि इस पूरे मामले में पीड़िता का मृत्यु पूर्व बयान, घटनाक्रम और मेडिकल रिपोर्ट्स इस बात की ओर इशारा करते हैं कि यह सुनियोजित हत्या थी.
क्या था मामला?
29 सितंबर 2002 को पटियाला की मनप्रीत कौर को उसके ससुरालवालों ने मिट्टी का तेल डालकर आग के हवाले कर दिया था. इस घटना को अंजाम देने वाले कोई और नहीं, बल्कि उसके पति, सास और ननद थे. पीड़िता के पिता ने पुलिस को दी शिकायत में बताया कि जब वह अपनी बेटी से मिलने गया तो वह बुरी तरह जली हुई हालत में मिली. इसके बाद ग्रामीणों की मदद से उसे राजिंदरा अस्पताल में भर्ती कराया गया.
मौत से पहले दिया था बयान
अस्पताल में मजिस्ट्रेट और पुलिस की मौजूदगी में पीड़िता का अंतिम बयान दर्ज किया गया था. डॉक्टर ने पुष्टि की थी कि वह बयान देने के लिए पूरी तरह से मानसिक और शारीरिक रूप से फिट थी. बयान में मनप्रीत ने साफ कहा था कि घटना से एक दिन पहले उसका अपने पति, सास और ननद से झगड़ा हुआ था. पति ने उसे मायके से मोटरसाइकिल के लिए 30 हजार रुपये लाने को कहा था. पैसे नहीं लाने पर उसे बिजली के झटके दिए गए.
बहू को जलाकर मार डाला
पीड़िता ने आगे बताया कि अगले दिन उसके पति ने मिट्टी का तेल लाकर लाया. सास ने उसे पकड़ लिया और ननद ने उसके पैर थाम लिए. इसके बाद उस पर मिट्टी का तेल डालकर आग लगा दी गई. यह बयान घटनास्थल पर मौजूद नहीं, बल्कि अस्पताल में, मजिस्ट्रेट और पुलिस की निगरानी में दिया गया था. ऐसे में किसी दबाव की कोई संभावना नहीं थी.
ट्रायल कोर्ट से हाईकोर्ट तक का सफर
मूल रूप से ट्रायल कोर्ट ने मामले को दहेज मृत्यु मानते हुए सजा को सीमित रखा था. इस फैसले के खिलाफ मृतका के परिजन और पंजाब सरकार ने हाईकोर्ट का रुख किया. हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद स्पष्ट किया कि मामला हत्या का है, न कि सिर्फ दहेज उत्पीड़न का. अदालत ने कहा कि जब पीड़िता ने मृत्यु से पहले स्वयं पूरी घटनाक्रम को विस्तार से बताया है, तो इसे नज़रअंदाज नहीं किया जा सकता.
23 साल की लंबी लड़ाई के बाद मनप्रीत कौर के परिजनों को इंसाफ मिला है. हाईकोर्ट ने पति मुकेश कुमार, सास निर्मला देवी और ननद सरिता को आईपीसी की धारा 302 के तहत हत्या का दोषी मानते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई.