कांग्रेस आलाकमान की चेतावनी बेअसर, कर्नाटक में नेताओं की बयानबाज़ी जारी
कांग्रेस हाईकमान द्वारा सार्वजनिक अटकलों से बचने के निर्देश के बावजूद, कर्नाटक के नेता मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के कार्यकाल और उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार के राजनीतिक भविष्य को लेकर परस्पर विरोधी बयान दे रहे हैं.

कर्नाटक कांग्रेस में नेतृत्व परिवर्तन को लेकर अटकलों का दौर जारी है. मुख्यमंत्री सिद्धारमैया का पूरा कार्यकाल पूरा करना अभी भी सवालों के घेरे में है, क्योंकि पार्टी के कई वरिष्ठ नेता इस मुद्दे पर एकमत नहीं दिख रहे हैं.
सिद्धारमैया ही 2028 तक बने रहेंगे मुख्यमंत्री?
13 जुलाई को कर्नाटक सरकार में मंत्री केएन राजन्ना ने स्पष्ट रूप से कहा कि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ही 2028 तक मुख्यमंत्री बने रहेंगे. उन्होंने कहा कि अगर बदलाव करना है, तो केवल आलाकमान और विधायक ही कर सकते हैं, लेकिन वर्तमान में किसी भी पक्ष की ओर से ऐसा कोई संकेत नहीं मिला है. उन्होंने यह भी जोड़ा कि अगला चुनाव किसके नेतृत्व में लड़ा जाएगा, इसका निर्णय अभी तय नहीं किया जा सकता. उन्होंने तर्क दिया कि सिद्धारमैया के बिना कांग्रेस 2028 में कोई भी चुनाव नहीं लड़ सकती.
राजन्ना ने यह भी साफ किया कि सिद्धारमैया दिल्ली की राजनीति में नहीं जाएंगे क्योंकि न तो उनकी रुचि है और न ही उन्हें हिंदी आती है. उन्होंने इस संभावना को पूरी तरह नकार दिया.
गनीगा ने विपक्ष के आरोपों को किया खारिज
हालांकि, 14 जुलाई को कांग्रेस विधायक रवि कुमार गनीगा ने इस बयान का विरोध करते हुए कहा कि उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार भविष्य में मुख्यमंत्री बनेंगे. उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस के सभी 138 विधायक दोनों नेताओं का समर्थन करते हैं और जब समय सही होगा तब डीके शिवकुमार को मुख्यमंत्री बनाया जाएगा. गनीगा ने विपक्ष के आरोपों को भी खारिज कर दिया और कहा कि पार्टी पूरी तरह एकजुट है.
इस विवाद के बीच मंत्री प्रियांक खड़गे ने सभी नेताओं को सार्वजनिक बयानबाज़ी से बचने की सलाह दी. उन्होंने कहा कि कांग्रेस आलाकमान किसी एक नेता की राय पर काम नहीं करता, बल्कि पूरी प्रक्रिया के तहत निर्णय लिए जाते हैं. खड़गे ने सुझाव दिया कि अगर किसी नेता को कुछ कहना है, तो वह पार्टी मंच पर कहे, मीडिया के जरिए बयान देना अनुशासनहीनता की श्रेणी में आता है.
कांग्रेस में मुख्यमंत्री पद को लेकर अंतर्विरोध
इस प्रकार, कर्नाटक कांग्रेस में मुख्यमंत्री पद को लेकर अंतर्विरोध खुलकर सामने आ रहे हैं. जहां एक पक्ष सिद्धारमैया के पूरे कार्यकाल को लेकर आश्वस्त है, वहीं दूसरा पक्ष डीके शिवकुमार के समर्थन में सक्रिय है. ऐसे में आलाकमान का निर्णय ही इन अटकलों पर विराम लगा सकता है.


