सीटों को लेकर कांग्रेस-आरजेडी में सहमति करीब, AIMIM का पत्ता साफ क्यों?
बिहार विधानसभा चुनाव के लिए RJD और कांग्रेस के बीच सीट बंटवारे पर सहमति करीब है. AIMIM को गठबंधन से बाहर रखा गया है, जबकि VIP और LJP जैसे नए दलों को सीमित सीटें देने पर विचार चल रहा है.

बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर महागठबंधन में शामिल राष्ट्रीय जनता दल (RJD) और कांग्रेस के बीच सीट बंटवारे पर सहमति की प्रक्रिया लगभग अंतिम चरण में पहुंच चुकी है. सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस 2020 की तरह इस बार भी 70 सीटों की मांग कर रही है, जबकि आरजेडी उसे 50 से 55 सीटों से अधिक देने को तैयार नहीं है. हालांकि, दोनों दलों के बीच 58 से 60 सीटों पर समझौता होने की संभावना जताई जा रही है.
सीपीआई (एमएल) का प्रभावशाली प्रदर्शन
2020 में महागठबंधन के तहत आरजेडी ने 144 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 75 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी. वहीं, कांग्रेस को 70 सीटें मिली थीं, लेकिन वह केवल 19 सीटें जीत पाई थी. इसके विपरीत सीपीआई (एमएल) ने 19 में से 12 सीटें जीतकर प्रभावशाली प्रदर्शन किया था.
अबकी बार आरजेडी 135 से 140 सीटों पर चुनाव लड़ने की योजना बना रही है. एक वरिष्ठ आरजेडी नेता ने कहा कि कांग्रेस को समझाया गया है कि इस बार अधिक सहयोगियों को साथ लेना है. ऐसे में उसे कुछ त्याग करना होगा. महागठबंधन में इस बार मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी (VIP) और पशुपति कुमार पारस की लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) को भी शामिल किया गया है. सहनी 60 सीटों की मांग कर रहे हैं, लेकिन उन्हें 12 से ज्यादा सीटें मिलने की उम्मीद नहीं है. पारस को 2-3 सीटें दिए जाने की संभावना है.
वामपंथी दलों की बढ़ी मांग
वामपंथी दलों की भी मांग बढ़ी है. सीमांचल और ग्रामीण क्षेत्रों में मजबूत पकड़ के कारण वे अधिक हिस्सेदारी चाहते हैं. 2020 में बेहतर प्रदर्शन और 2024 के लोकसभा चुनाव में दो सीटों की जीत के बाद वे अधिक सीटें मांग रहे हैं.
महागठबंधन में AIMIM को शामिल नहीं किया जाएगा. आरजेडी नेताओं का कहना है कि ओवैसी की पार्टी की सांप्रदायिक छवि राज्य के अन्य हिस्सों में नुकसानदायक साबित हो सकती है, इसलिए उसे बाहर ही रखा जाएगा.


