कर्नाटक सरकार में 'जाति जनगणना' को लेकर बनी सहमति, विरोध की खबरों को मुख्यमंत्री ने किया खारिज
कर्नाटक सीएम सिद्धारमैया ने जाति जनगणना को लेकर अपनी बात स्पष्ट की है. उन्होंने कहा कि कर्नाटक में जाति जनगणना के नाम से सामाजिक एवं शैक्षिक सर्वेक्षण रिपोर्ट को लेकर कैबिनेट में कोई विरोध नहीं है.

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने शुक्रवार को स्पष्ट किया कि राज्य में 'जाति जनगणना' के नाम से चर्चित सामाजिक एवं शैक्षिक सर्वेक्षण रिपोर्ट को लेकर कैबिनेट में कोई विरोध नहीं है. उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर गुरुवार को हुई विशेष कैबिनेट बैठक में चर्चा जरूर अधूरी रही, लेकिन किसी भी मंत्री ने इसका विरोध नहीं किया.
मंत्रियों के बीच तीखी बहस
मुख्यमंत्री ने मीडिया में आई उन रिपोर्टों को भी खारिज कर दिया, जिनमें मंत्रियों के बीच तीखी बहस की बात कही गई थी. सिद्धारमैया ने कहा कि मीडिया में जो कहा जा रहा है वह सही नहीं है. किसी तरह की गर्मागर्म बहस नहीं हुई. चर्चा शांतिपूर्वक तरीके से हुई. डिप्टी सीएम डी.के. शिवकुमार ने भी इन बातों की पुष्टि करते हुए कहा कि बैठक में सिर्फ विचार साझा किए गए, न कि कोई विवाद हुआ.
विधि एवं संसदीय कार्य मंत्री एच.के. पाटिल ने बताया कि मंत्रियों ने सर्वेक्षण में इस्तेमाल मापदंडों पर सवाल उठाए और अधिक जानकारी की मांग की है. अब इस पर 2 मई को फिर से विचार होगा. सूत्रों की मानें तो कुछ मंत्रियों ने रिपोर्ट को "अवैज्ञानिक और पुराना" बताते हुए संदेह जताया और इसके आंकड़ों पर सवाल उठाए.
वोक्कालिगा और वीरशैव-लिंगायत रिपोर्ट के विरुद्ध
हालांकि, दो प्रभावशाली समुदाय वोक्कालिगा और वीरशैव-लिंगायत इस रिपोर्ट के विरुद्ध हैं और इसे खारिज करने की मांग कर चुके हैं. वहीं दूसरी ओर, दलितों और ओबीसी वर्गों से जुड़े संगठन इसका समर्थन कर रहे हैं और चाहते हैं कि इसे सार्वजनिक किया जाए. करीब 160 करोड़ रुपये की लागत से तैयार हुई यह रिपोर्ट अब कांग्रेस सरकार के लिए एक संवेदनशील राजनीतिक मुद्दा बनती जा रही है.


