2024 वाला फॉर्मूला फिर से लागू! तेजस्वी के नाम पर क्यों नहीं लग रही मुहर?
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले महागठबंधन में सीएम चेहरे को लेकर सस्पेंस बरकरार है. तेजस्वी यादव की अगुवाई में कोऑर्डिनेशन कमेटी बनी है, लेकिन कांग्रेस बिना मुख्यमंत्री चेहरा घोषित किए चुनाव लड़ना चाहती है. सीट बंटवारे को लेकर भी कांग्रेस और आरजेडी के बीच मतभेद बने हुए हैं.

बिहार विधानसभा चुनाव की सियासी सरगर्मी तेज हो गई है और महागठबंधन में अंदरूनी खींचतान भी खुलकर सामने आने लगी है. आरजेडी के नेतृत्व वाले इस गठबंधन में हाल ही में पशुपति पारस की पार्टी भी शामिल हो गई है, जबकि मुकेश सहनी की मौजूदगी से गठबंधन की सामाजिक पकड़ मजबूत मानी जा रही है. हालांकि, अब भी मुख्यमंत्री पद के चेहरे को लेकर सस्पेंस बना हुआ है.
पटना में गुरुवार को हुई बैठक में महागठबंधन की ओर से एक समन्वय समिति (कोआर्डिनेशन कमेटी) बनाने का फैसला लिया गया, जिसकी अगुवाई तेजस्वी यादव करेंगे. यह साफ करता है कि तेजस्वी चुनावी अभियान में महागठबंधन का चेहरा होंगे, लेकिन कांग्रेस की रणनीति मुख्यमंत्री पद का नाम चुनाव से पहले घोषित न करने की है.
क्या कांग्रेस को तेजस्वी पर भरोसा नहीं?
कांग्रेस का मानना है कि तेजस्वी को सीएम कैंडिडेट घोषित करने से यादव समुदाय के बाहर की जातियों का समर्थन कमजोर हो सकता है, खासकर दलित, महादलित और सवर्णों का. यही वजह है कि कांग्रेस तेजस्वी के नेतृत्व में चुनाव लड़ने की बात तो कर रही है, लेकिन उन्हें औपचारिक रूप से मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित नहीं करना चाहती.
कांग्रेस अभी वेट एंड वॉच की स्थिति में
आरजेडी प्रमुख लालू यादव और तेजस्वी खुद कई बार इस बात का संकेत दे चुके हैं कि तेजस्वी ही मुख्यमंत्री पद के दावेदार होंगे, लेकिन कांग्रेस अभी वेट एंड वॉच की स्थिति में है. वह चाहती है कि चुनाव परिणाम के बाद सबसे बड़ी पार्टी के नेता को सीएम पद की जिम्मेदारी दी जाए. इसी रणनीति के तहत कांग्रेस तेजस्वी को सीधे तौर पर चेहरा घोषित करने से बच रही है.
सीट बंटवारे को लेकर भी महागठबंधन में खींचतान
सीट बंटवारे को लेकर भी महागठबंधन में खींचतान है. कांग्रेस पिछली बार की तरह 70 सीटें चाहती है, जबकि आरजेडी उसके कमजोर प्रदर्शन को देखते हुए इस बार उसे कम सीटें देने के पक्ष में है. साथ ही कांग्रेस मुस्लिम-यादव समीकरण वाली सीटों की मांग कर रही है, जबकि वामदल और छोटे दल भी बराबरी की हिस्सेदारी की बात कर रहे हैं.
महागठबंधन सीटों का वितरण करने की रणनीति
जातीय समीकरण के लिहाज से महागठबंधन सीटों का वितरण करने की रणनीति बना रहा है. यादव, मुस्लिम, दलित, महादलित और अन्य पिछड़ी जातियों को जोड़ने के लिए हर दल अपनी सामाजिक हैसियत के आधार पर सीटें मांग रहा है. ऐसे में सीएम चेहरे पर सस्पेंस और सीट बंटवारे की उलझन के बीच महागठबंधन अपनी रणनीति तय कर रहा है.