MP के पूर्व विधायक को मिली जेल, संसद भवन को उड़ाने की दी थी धमकी
दिल्ली की अदालत के विशेष जज विकास ढुल ने पूर्व विधायक किशोर समरीते को संसद भवन को उड़ाने की धमकी देने के मामले में छह महीने की जेल और 50 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई. अदालत ने इस धमकी को लोकतंत्र की सर्वोच्च संस्था का गंभीर अपमान बताया.

दिल्ली की एक अदालत ने शुक्रवार, 30 मई को मध्य प्रदेश के पूर्व विधायक किशोर समरीते को संसद भवन को बम से उड़ाने की धमकी देने के मामले में छह महीने की जेल की सजा सुनाई है. अदालत ने इस मामले को बेहद गंभीर बताया और कहा कि यह भारतीय लोकतंत्र के सबसे पवित्र मंच पर सीधा हमला करने जैसा है.
यह मामला 16 सितंबर 2022 का है जब संसद भवन में स्पीड पोस्ट के जरिए एक संदिग्ध पार्सल पहुंचा. पार्सल में धमकी भरे पत्र के साथ एक भारतीय झंडा, संविधान की प्रति और कुछ संदिग्ध पदार्थ मौजूद थे. पत्र में लिखा गया था कि अगर कुछ मांगें पूरी नहीं हुईं, तो 30 सितंबर को संसद भवन को बम से उड़ा दिया जाएगा. बाद में जांच में पता चला कि आरोपी किशोर समरीते ने सुप्रीम कोर्ट को भी इसी तरह का पार्सल भेजा था. उस मामले में अलग एफआईआर दर्ज की गई है.
‘आरोपी आम नागरिक नहीं, पूर्व विधायक है’
विशेष न्यायाधीश विकास ढुल ने कहा कि किशोर समरीते न केवल एक आम नागरिक हैं, बल्कि पूर्व विधायक भी रह चुके हैं. ऐसे में उनसे अपेक्षा की जाती है कि वे लोकतांत्रिक संस्थाओं के महत्व को समझें और संवैधानिक मर्यादाओं का सम्मान करें. उन्होंने कहा कि इस तरह का धमकी भरा व्यवहार न केवल कानून व्यवस्था को चुनौती देता है, बल्कि अन्य लोगों को भी इसी रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित कर सकता है.
विस्फोटक अधिनियम से बरी, लेकिन IPC के तहत दोषी
अदालत ने कहा कि भले ही पार्सल में मौजूद सामग्री विस्फोटक अधिनियम की परिभाषा में नहीं आती, लेकिन संसद भवन को उड़ाने की धमकी देना आईपीसी की धारा 506 (भाग II) के तहत दंडनीय अपराध है. न्यायाधीश ने आरोपी को विस्फोटक अधिनियम के आरोप से बरी कर दिया, लेकिन धमकी देने के जुर्म में सजा सुनाई.
50 हजार रुपये का आर्थिक दंड भी
अदालत ने किशोर समरीते पर 50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है. अदालत ने कहा कि संसद जैसी संवैधानिक संस्था को धमकाना किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता. समरीते का प्रतिनिधित्व अधिवक्ता मनीष कुमार चौधरी ने किया. उन्हें दिसंबर 2022 में अंतरिम जमानत दी गई थी क्योंकि धमकी के बावजूद किसी तरह का विस्फोट या जान-माल का नुकसान नहीं हुआ था.


