ट्रंप प्रशासन को सुप्रीम कोर्ट से मिली मंजूरी, 5 लाख से ज्यादा प्रवासियों के लिए निर्वासन की घड़ी करीब
US Immigration Policy: अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने ट्रंप प्रशासन को बड़ी राहत देते हुए 5 लाख से ज्यादा प्रवासियों के लिए अस्थायी कानूनी सुरक्षा समाप्त करने का रास्ता साफ कर दिया है. कोर्ट ने निचली अदालत के आदेश को पलटते हुए मानवीय पैरोल कार्यक्रम को समाप्त करने की अनुमति दी, जिससे क्यूबा, हैती, निकारागुआ और वेनेजुएला के प्रवासियों के लिए निर्वासन का खतरा बढ़ गया है.

US Immigration Policy: अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को ट्रंप प्रशासन को बड़ी राहत दी और 5 लाख से ज्यादा प्रवासियों के लिए अस्थायी कानूनी सुरक्षा समाप्त करने का रास्ता साफ कर दिया. कोर्ट ने एक निचली अदालत के आदेश को पलटते हुए ट्रंप प्रशासन को यह आदेश दिया कि वह क्यूबा, हैती, निकारागुआ और वेनेजुएला के 500,000 से अधिक प्रवासियों के लिए दी गई अस्थायी सुरक्षा समाप्त कर सके. इस फैसले के बाद प्रवासियों की संख्या जो निर्वासन के खतरे में है, अब लगभग 1 मिलियन तक पहुँच गई है.
इस निर्णय के बाद, अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने प्रशासन की ओर से लागू किए गए "मानवीय पैरोल" कार्यक्रम को समाप्त करने की अनुमति दी. इस कार्यक्रम के तहत, हर महीने 30,000 लोगों को इन चार देशों से अमेरिका में दो साल तक रहने की अनुमति दी जाती थी, बशर्ते उनके पास एक वित्तीय प्रायोजक हो और वे अपनी यात्रा खर्च खुद उठाएं. हालांकि, न्यायमूर्ति केटांजी ब्राउन जैक्सन और सोनिया सोतोमायोर ने इस फैसले का विरोध करते हुए चेतावनी दी कि इसका प्रवासियों पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा.
ट्रंप प्रशासन के प्रयास को मिली कोर्ट की मंजूरी
सुप्रीम कोर्ट ने प्रशासन की उस कोशिश को मंजूरी दी, जिसके तहत "मानवीय पैरोल" कार्यक्रम को समाप्त किया जा रहा था. ट्रंप प्रशासन का तर्क था कि यह कार्यक्रम बड़े पैमाने पर लागू किया गया था, इसलिए इसे समाप्त भी बड़े पैमाने पर किया जाना चाहिए. इसके विपरीत, बoston की एक संघीय न्यायाधीश, इंदिरा तालवानी ने फैसला सुनाया था कि यदि यह सुरक्षा समाप्त की जाती है, तो प्रवासियों को या तो देश छोड़ने के लिए मजबूर किया जाएगा या फिर उन्हें निर्वासित किया जा सकता है.
न्यायमूर्ति जैक्सन का विरोध
न्यायमूर्ति केटांजी ब्राउन जैक्सन ने इस फैसले का विरोध करते हुए कहा कि यह आदेश "अवांछनीय मानव कष्ट" का कारण बनेगा, और इससे पहले कि इस मामले पर अंतिम न्यायिक निर्णय लिया जाए, कई प्रवासी असहनीय स्थिति में फंसे रहेंगे. उनकी आपत्ति इस बात पर थी कि यह आदेश बिना किसी स्पष्ट कारण के दिया गया, और इससे प्रभावित व्यक्तियों की हालत और खराब हो सकती है.
मानवीय पैरोल कार्यक्रम का प्रभाव
यह मानवीय पैरोल कार्यक्रम 1952 से प्रभाव में था और इसके तहत अमेरिका में आने वाले लोगों को अस्थायी रूप से सुरक्षा दी जाती थी. इसके तहत क्यूबा, हैती, निकारागुआ और वेनेजुएला के नागरिकों को अमेरिका में दो साल तक रहने की अनुमति दी जाती थी. यह सुरक्षा उन लोगों को दी जाती थी जो अपने देशों में असुरक्षा और संकटों से बचने के लिए अमेरिका में शरण लेने के इच्छुक थे.
न्यायिक प्रक्रिया में और कदम
अब यह मामला फिर से पहले अमेरिकी न्यायालय, 1st US Circuit Court of Appeals में वापस भेजा गया है. सुप्रीम कोर्ट का आदेश इस समय अंतिम निर्णय नहीं है, लेकिन इसके बाद यह स्पष्ट हो गया है कि यह सुरक्षा तत्काल प्रभाव से समाप्त हो सकती है. इस आदेश से प्रभावित लाखों प्रवासी अब निर्वासन के खतरे में हैं, और उनके भविष्य का फैसला अगले दिनों में होगा.
नतीजों की गंभीरता
इस निर्णय के बाद, यह कहा जा सकता है कि अमेरिका के इतिहास में यह सबसे बड़ी "मास इललीगलाइज़ेशन" घटना है, जिसे लेकर प्रवासी अधिकार कार्यकर्ता और संगठनों ने कड़ी आलोचना की है. ट्रंप प्रशासन ने इस निर्णय को अपनी बड़ी जीत बताया है, लेकिन मानवाधिकार संगठनों ने इस पर गहरी चिंता व्यक्त की है.


