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आपके पास वोट हैं, मेरे पास...हमारे उम्मीदवार जीतेंगे तो मैं पैसे की कमी नहीं होने दूंगा, चुनावी मंच से बोले डिप्टी CM अजित पवार

महाराष्ट्र निकाय चुनाव के बीच अजित पवार के बयान “आपके पास वोट, मेरे पास पैसे” ने सियासी विवाद को हवा दे दी. विपक्ष ने इसे मतदाताओं को धमकाने और सरकारी निधि को निजी बताने जैसा करार दिया. पवार ने सफाई दी कि उनका इरादा केवल विकास की बात कहना था.

Utsav Singh
Edited By: Utsav Singh

मालेगांव : महाराष्ट्र में निकाय चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं, राजनीतिक तापमान भी उतनी ही तेजी से बढ़ता जा रहा है. विभिन्न दल जनसभाओं और प्रचार में पूरी ताकत झोंक रहे हैं. इसी बीच उपमुख्यमंत्री अजित पवार के एक बयान ने प्रदेश की सियासत में नया विवाद खड़ा कर दिया. मालेगांव में एक चुनावी सभा के दौरान पवार ने कहा— “आपके पास वोट हैं, मेरे पास पैसे हैं। हमारे उम्मीदवारों को जिताओगे तो विकास के लिए पैसों की कमी नहीं होने दूंगा, नहीं चुना तो मदद की उम्मीद मत रखना।” उनके इस बयान ने तुरंत राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी.

अजित पवार के बयान पर विपक्ष का तीखा हमला

आपको बता दें कि छत्रपति संभाजीनगर में एमएलसी और पूर्व विपक्षी नेता अंबादास दानवे ने स्पष्ट कहा कि यह बयान मतदाताओं को धमकाने जैसा है. उन्होंने याद दिलाया कि वोट देना नागरिक का अधिकार है और विकास निधि जनता के टैक्स से आती है, किसी नेता की निजी संपत्ति नहीं होती. दानवे का कहना है कि ऐसे बयान चुनाव आयोग को गंभीरता से देखने चाहिए.

10 महीने में 899 किसानों ने की आत्महत्या 
दानवे ने मराठवाड़ा क्षेत्र की बदहाल कृषि व्यवस्था पर भी चिंता जताई. उनके अनुसार पिछले दस महीनों में 899 किसानों ने आत्महत्या की है. फसलें बारिश से खराब हो गईं, लेकिन सरकारी राहत अधिकांश किसानों तक नहीं पहुंची. उन्होंने कहा कि घोषित सहायता भी कागजों तक सीमित रह गई है, जिसकी वजह से किसान निराशा में घिर रहे हैं. साथ ही दानवे ने सामना में छपी उस खबर का भी ज़िक्र किया जिसमें कहा गया है कि एकनाथ शिंदे की पार्टी के कई विधायक भाजपा का रुख कर सकते हैं. उनके अनुसार यह नई बात नहीं है, भाजपा पहले भी कई नेताओं से संपर्क रख चुकी है.

मालेगांव में बदला चुनावी समीकरण
मालेगांव में एनसीपी के अजित पवार गुट और भाजपा के समर्थित स्थानीय समूह ने मिलकर तालमेल बनाया है. इससे चुनावी मुकाबला और दिलचस्प हो गया है. 2 दिसंबर को होने वाले चुनाव से पहले पवार का यह बयान विपक्ष के लिए बड़ा मुद्दा बन गया है, जबकि पवार समर्थक इसे सिर्फ चुनावी जोश बताते हैं.

“विकास की बात कही है, धमकी नहीं”
विवाद बढ़ने पर उपमुख्यमंत्री पवार ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वे सिर्फ विकास कार्यों को लेकर अपनी बात रखते हैं और किसी को धमकाने का इरादा नहीं था. उनके मुताबिक राज्य या केंद्र से मिलने वाली निधि जनता के कल्याण पर ही खर्च होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि राजनीतिक बयानबाज़ी पर समय बर्बाद करने के बजाय वे काम को प्राथमिकता देते हैं.

बिहार में हर नेता बड़े-बड़े वादे करता है
पवार ने बिहार की राजनीति का उदाहरण देकर कहा कि वहां हर नेता बड़े-बड़े वादे करता है, लेकिन असली फैसला जनता करती है. उन्होंने तेजस्वी यादव के “हर घर को सरकारी नौकरी” वाले बयान का ज़िक्र करते हुए कहा कि बोलना आसान है, पर जनता का भरोसा जीतना कठिन. उन्होंने यह भी बताया कि जहां उम्मीदवार निर्विरोध चुने जाते हैं, वहां किसी प्रकार के दबाव की बात नहीं होती. बारामती में उनके आठ प्रत्याशी बिना विरोध के जीत चुके हैं.

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22 November 2025, 08:28 PM IST

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