ईरान के सुप्रीम लीडर खुमैनी के दादा का यूपी से कनेक्शन, नाम के आगे लगाया हिंदी
इजरायल और ईरान के बीच चल रहे गंभीर तनाव के बीच एक दिलचस्प ऐतिहासिक पहलू उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले से सामने आया है. जानिए क्या है वो पहलू.

इजरायल और ईरान के बीच चल रहे गंभीर तनाव के बीच एक दिलचस्प ऐतिहासिक पहलू उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले से सामने आया है. बहुत कम लोग जानते हैं कि ईरान के सर्वोच्च धार्मिक नेता अयातुल्ला अली खुमैनी की पारिवारिक जड़ें भारत के इसी जिले के किंतूर गांव में हैं. दरअसल, खुमैनी के दादा सैयद अहमद मुसावी का जन्म 19वीं सदी की शुरुआत में किंतूर में हुआ था.
मध्य पूर्व से भारत आए थे सैयद अहमद के पिता
सैयद अहमद के पिता दीन अली शाह, मध्य पूर्व से भारत आए थे और बाराबंकी में बस गए. बाद में, अहमद मुसावी ने भारत को अलविदा कहा और इराक के नजफ होते हुए ईरान के खोमेन शहर में जाकर बस गए. उन्होंने अपने नाम के साथ 'हिंदी' जोड़कर भारत से अपने जुड़ाव को कायम रखा. 1869 में उनका निधन हुआ और उन्हें कर्बला में सुपुर्द-ए-खाक किया गया.
उनके पोते अयातुल्ला अली खुमैनी ने 1979 की ईरानी इस्लामी क्रांति का नेतृत्व किया और ईरान को एक धर्म आधारित गणराज्य में बदल दिया. वे देश के पहले सर्वोच्च नेता बने और आज भी ईरान की सत्ता संरचना उनके विचारों और शिक्षाओं पर आधारित है.
इजरायल और ईरान के बीच मिसाइल हमले
मौजूदा हालात में जब इजरायल और ईरान के बीच मिसाइल हमले हो रहे हैं, उस पृष्ठभूमि में खुमैनी के वंशज और किंतूर गांव निवासी सैय्यद निहाल अहमद काजमी युद्ध का विरोध कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि युद्ध किसी भी समस्या का हल नहीं है. निर्दोष लोग मारे जा रहे हैं और शांति ही एकमात्र विकल्प है.


