दिल्ली में कल से लागू होगा ‘No PUC, No Fuel’, 580 पुलिसकर्मी करेंगे वाहनों की कड़ी जांच
दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में लगातार बिगड़ती वायु गुणवत्ता को देखते हुए सरकार और वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) ने अब तक के सबसे कड़े कदम उठाने का फैसला किया है.

दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में लगातार बिगड़ती वायु गुणवत्ता को देखते हुए सरकार और वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) ने अब तक के सबसे कड़े कदम उठाने का फैसला किया है. गुरुवार से राजधानी में ‘नो पीयूसी, नो फ्यूल’ नियम लागू कर दिया जाएगा. इसके तहत जिन वाहनों के पास वैध प्रदूषण नियंत्रण प्रमाणपत्र (PUC) नहीं होगा, उन्हें किसी भी पेट्रोल पंप या सीएनजी स्टेशन से ईंधन नहीं मिलेगा.
सरकार का क्या कहना है?
सरकार का कहना है कि सर्दियों के मौसम में प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच जाता है, जिससे लोगों की सेहत पर गंभीर असर पड़ता है. इसके साथ ही दिल्ली के बाहर पंजीकृत और बीएस-6 से कम उत्सर्जन मानक वाले वाहनों की राजधानी में एंट्री पर भी सख्त पाबंदी रहेगी. यह आदेश पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 की धारा 5 के तहत जारी किया गया है और यह तब तक लागू रहेगा, जब तक GRAP स्टेज-IV (सीवियर प्लस) प्रभावी रहेगा.
सुप्रीम कोर्ट ने भी हाल ही में अपने आदेश में बदलाव करते हुए दिल्ली-एनसीआर में बीएस-4 से नीचे के पुराने वाहनों के खिलाफ कार्रवाई की अनुमति दे दी है. दिल्ली सरकार ने अदालत को बताया था कि बीएस-3 और उससे पुराने वाहन प्रदूषण बढ़ाने में बड़ी भूमिका निभा रहे हैं, इसलिए उनके खिलाफ सख्ती जरूरी है.
सरकार ने सभी पेट्रोल, डीजल और सीएनजी पंपों को निर्देश दिए हैं कि वे केवल उन्हीं वाहनों को ईंधन दें, जिनके पास वैध पीयूसी प्रमाणपत्र हो. जांच के लिए एएनपीआर कैमरे, वाहन डेटाबेस, वॉयस अलर्ट सिस्टम और पुलिस की मदद ली जाएगी। नियमों का उल्लंघन करने पर जुर्माने के साथ कानूनी कार्रवाई भी की जाएगी.
GRAP स्टेज-IV के दौरान निर्माण गतिविधियों पर भी सख्त रोक लगाई गई है. रेत, बजरी, ईंट, सीमेंट, पत्थर, रेडी-मिक्स कंक्रीट और मलबा ढोने वाले वाहनों की दिल्ली में एंट्री पूरी तरह बंद रहेगी. नियम तोड़ने वालों के वाहन जब्त किए जा सकते हैं और भारी जुर्माना लगाया जाएगा.
सरकार का कहना है कि आईआईटी कानपुर की एक रिपोर्ट के अनुसार सर्दियों में दिल्ली के पीएम-10 प्रदूषण में करीब 20 फीसदी और पीएम-2.5 में 25 फीसदी योगदान वाहनों का होता है. यही वजह है कि परिवहन और निर्माण से जुड़े स्रोतों पर सीधी कार्रवाई की जा रही है.
580 पुलिसकर्मियों की विशेष तैनाती
इन नियमों को सख्ती से लागू करने के लिए 580 पुलिसकर्मियों की विशेष तैनाती की गई है और 126 चेक प्वाइंट बनाए गए हैं. साथ ही ट्रैफिक जाम से निपटने के लिए 100 संवेदनशील इलाकों की पहचान कर वहां ट्रैफिक फ्लो सुधारने की योजना बनाई गई है. सरकार का दावा है कि इन सख्त कदमों से राजधानी की हवा में कुछ हद तक सुधार जरूर देखने को मिलेगा.


