'बुल्डोजर बाबा' को फंसाने का था दबाव', मालेगांव ब्लास्ट मामले में गवाह का बड़ा खुलासा
मालेगांव ब्लास्ट केस में सभी सात आरोपी बरी हुए, कोर्ट ने कहा कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता. एक गवाह ने खुलासा किया कि उस पर योगी आदित्यनाथ और RSS नेताओं को फंसाने का दबाव डाला गया था.

मुंबई की एक विशेष अदालत ने मालेगांव बम धमाकों से जुड़े बहुचर्चित मामले में गुरुवार को बड़ा फैसला सुनाया. अदालत ने बीजेपी सांसद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर, लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित सहित सभी सात आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया. अदालत ने कहा कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता और हिंसा किसी भी मजहब द्वारा जायज़ नहीं ठहराई जा सकती. कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि जांच एजेंसियां आरोपियों के खिलाफ कोई ठोस सबूत पेश नहीं कर सकीं.
सियासी बयानबाज़ी शुरू
इस फैसले के बाद जहां एक ओर सियासी बयानबाज़ी शुरू हो गई है, वहीं एक गवाह के बयान ने सबको चौंका दिया है. सरकारी गवाह मिलिंद जोशी ने कोर्ट में बयान दिया कि उन पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत का नाम लेने का दबाव डाला गया था. उन्होंने बताया कि इस दबाव के चलते उन्हें कई दिनों तक हिरासत में रखा गया और मानसिक रूप से प्रताड़ित भी किया गया.
गवाह का यह भी दावा है कि उस वक्त की सरकार भगवा आतंकवाद की थ्योरी को स्थापित करना चाहती थी. इस कोशिश में जांच अधिकारियों ने उन्हें ज़बरदस्ती कुछ नामों को फंसाने के लिए मजबूर किया. पूर्व जांच अधिकारी महबूब मुजावर ने भी आरोप लगाया कि इस केस को एक खास एंगल से पेश किया गया ताकि हिन्दुत्व से जुड़े नेताओं को निशाना बनाया जा सके.
आतंकवाद को किसी धर्म से जोड़ना गलत
विशेष अदालत ने यह भी टिप्पणी की कि आतंकवाद को किसी धर्म से जोड़ना गलत है और सिर्फ कहानियों के आधार पर किसी पर दोष नहीं मढ़ा जा सकता. कोर्ट के अनुसार, जांच एजेंसियां किसी भी आरोपी के खिलाफ ठोस साक्ष्य पेश करने में असफल रहीं, जिससे सभी को बरी कर दिया गया.


