पंजाब में मान सरकार का बड़ा कदम, अब हर भाषा की किताब में होगा गुरुमुखी का पन्ना
मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के नेतृत्व में पंजाब सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में एक ऐसा फैसला लिया है. शिक्षा विभाग ने घोषणा की है कि शैक्षणिक सत्र 2026–27 से कक्षा पहली से बारहवीं तक की सभी भाषा की पुस्तकों में गुरुमुखी वर्णमाला का एक विशेष पृष्ठ अनिवार्य रूप से शामिल किया जाएगा

मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के नेतृत्व में पंजाब सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में एक ऐसा फैसला लिया है, जिसे राज्य की सांस्कृतिक पहचान से जोड़कर देखा जा रहा है. सरकार ने नई पीढ़ी को अपनी मातृभाषा पंजाबी और गुरुमुखी लिपि से और मजबूती से जोड़ने के उद्देश्य से एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है.
शिक्षा विभाग ने की घोषणा
शिक्षा विभाग ने घोषणा की है कि शैक्षणिक सत्र 2026–27 से कक्षा पहली से बारहवीं तक की सभी भाषा की पुस्तकों में गुरुमुखी वर्णमाला का एक विशेष पृष्ठ अनिवार्य रूप से शामिल किया जाएगा, चाहे वह किताब अंग्रेजी की हो या हिंदी की. यह निर्णय केवल पाठ्यक्रम में बदलाव तक सीमित नहीं है, बल्कि इसे पंजाब की सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने की दिशा में एक ठोस प्रयास माना जा रहा है.
पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड द्वारा तैयार की जाने वाली इन नई पुस्तकों से राज्य के सरकारी, सहायता प्राप्त और निजी स्कूलों में पढ़ने वाले लगभग 60 लाख छात्रों को लाभ मिलेगा. सरकार का मानना है कि इससे छात्र अपनी जड़ों से जुड़े रहेंगे और मातृभाषा के प्रति सम्मान की भावना विकसित होगी.
पिछले कुछ वर्षों में यह देखा गया है कि अंग्रेजी माध्यम के बढ़ते प्रभाव के कारण कई बच्चे अपनी मूल लिपि और भाषा से दूरी बनाने लगे हैं. इसी चिंता को ध्यान में रखते हुए सरकार ने यह व्यवस्था की है कि जब भी कोई छात्र अंग्रेजी या हिंदी की किताब खोले, तो उसे गुरुमुखी अक्षरों का परिचय जरूर मिले. हिंदी और अंग्रेजी की वर्णमाला के साथ गुरुमुखी अक्षरों को स्थान देकर यह संदेश दिया गया है कि पंजाबी भाषा और लिपि का महत्व सर्वोपरि है.
हाल के सर्वेक्षणों और ‘प्रथम’ (ASER) की रिपोर्टों में यह बात सामने आई थी कि कई छात्र गुरुमुखी को सही ढंग से पढ़ने और पहचानने में कठिनाई महसूस कर रहे हैं. इन आंकड़ों को गंभीरता से लेते हुए मुख्यमंत्री भगवंत मान ने शिक्षा विभाग को निर्देश दिए कि पंजाबी भाषा को केवल एक विषय के रूप में न पढ़ाया जाए, बल्कि उसे छात्रों के रोजमर्रा के अध्ययन का हिस्सा बनाया जाए. इसी सोच के तहत पंजाबी की किताबों में गुरुमुखी अक्षर पहले से मौजूद रहेंगे, जबकि अन्य भाषाओं की पुस्तकों में भी अब इनका समावेश किया जाएगा.
अभिभावकों और बुजुर्गों के लिए राहत भरा कदम
सरकार का यह कदम उन अभिभावकों और बुजुर्गों के लिए राहत भरा है, जो अपनी आने वाली पीढ़ी को पंजाब की भाषा और संस्कृति से दूर होता देख चिंतित थे. यह फैसला दिखाता है कि राज्य सरकार आधुनिक शिक्षा के साथ-साथ सांस्कृतिक मूल्यों को भी समान महत्व दे रही है. आने वाले समय में यह पहल न केवल छात्रों के भाषाई कौशल को मजबूत करेगी, बल्कि उन्हें अपनी मातृभाषा पर गर्व करना भी सिखाएगी.


