4 महीने में चौथी बार बिहार आएंगे पीएम मोदी, चंपारण से साधेंगे चुनावी जमीन
पीएम मोदी छह महीने में पांचवीं बार बिहार का दौरा कर रहे हैं. अप्रैल से हर महीने वह राज्य में आ रहे हैं—24 अप्रैल को मधुबनी, 29 मई को पटना और 20 जून को सीवान गए थे. अब जुलाई में पूर्वी चंपारण पहुंचेंगे, जहां बीजेपी की पकड़ काफी मजबूत मानी जाती है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 18 जुलाई को एक बार फिर बिहार के दौरे पर रहेंगे. यह दौरा उनके तीसरे कार्यकाल का आठवां और अब तक का 53वां बिहार दौरा होगा. इस बार वह पूर्वी चंपारण जिले के मोतिहारी में जनसभा को संबोधित करेंगे और राज्य को हजारों करोड़ की परियोजनाओं की सौगात देंगे. खास बात यह है कि बीते चार महीनों में पीएम मोदी का यह चौथा बिहार दौरा होगा, जिससे स्पष्ट है कि आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर बीजेपी पूरी तरह से एक्टिव मोड में आ चुकी है.
इस दौरे को खास बनाने की तैयारी में बीजेपी ने कोई कसर नहीं छोड़ी है. पार्टी की कोशिश है कि पूर्वी चंपारण और उससे सटे जिलों की करीब 36 विधानसभा सीटों पर माहौल अपने पक्ष में किया जाए. पूर्वी चंपारण जिले की 12 विधानसभा सीटों में से 2020 में एनडीए ने 9 सीटें जीती थीं, जिसमें से 8 पर बीजेपी और 1 पर जेडीयू को जीत मिली थी. बाकी 3 सीटें आरजेडी के खाते में गई थीं. यह इलाका बीजेपी का पारंपरिक गढ़ माना जाता है.
बिहार में बीजेपी की रणनीति तेज
पीएम मोदी की रैली के जरिए बीजेपी सिर्फ पूर्वी चंपारण ही नहीं, बल्कि सीमावर्ती जिलों जैसे सीतामढ़ी, शिवहर, मुजफ्फरपुर और गोपालगंज में भी राजनीतिक बढ़त लेने की रणनीति पर काम कर रही है. सीतामढ़ी की 8 में से 6 सीटें एनडीए को मिली थीं, शिवहर की एकमात्र सीट भी एनडीए ने जीती थी. गोपालगंज की 6 में से 4 सीटों पर भी एनडीए को सफलता मिली थी.
3 दर्जन सीटों पर पीएम मोदी की सीधी नजर
हालांकि, मुजफ्फरपुर एक चुनौतीपूर्ण जिला है, जहां आरजेडी, कांग्रेस, बीजेपी, जेडीयू, वीआईपी जैसे 6 दलों को 2020 में जीत मिली थी. यह दर्शाता है कि यहां मुकाबला बेहद कड़ा है. कुर्हानी और बोचहां जैसी सीटों पर हुए उपचुनावों में भी स्थिति बदली है, जिससे बीजेपी को यहां दोबारा पकड़ मजबूत करनी है.
क्या फिर दोहराएगी बीजेपी 2020 का प्रदर्शन?
पीएम मोदी के दौरे को लेकर बीजेपी प्रचार में जुट गई है. प्रचार वाहन और कार्यकर्ता जनसंपर्क कर रहे हैं. पार्टी का फोकस प्रधानमंत्री की लोकप्रियता को भुनाकर सत्ता विरोधी लहर को कमजोर करना और महागठबंधन को कड़ी टक्कर देना है. मोतिहारी की रैली बीजेपी की रणनीतिक तैयारी का अहम हिस्सा है, जिससे पार्टी राज्य में 2025 के विधानसभा चुनावों के लिए मजबूत नींव रखने की कोशिश कर रही है.


