महाराष्ट्र में भाषा विवाद पर गरमाई सियासत, मंत्री शेलार ने पहलगाम आतंकी हमले से की तुलना
महाराष्ट्र में मराठी भाषा को लेकर जारी विवाद के बीच राज्य के मंत्री आशीष शेलार ने कश्मीर के पहलगाम आतंकी हमले की तुलना महाराष्ट्र में मराठी न बोल पाने वाले लोगों पर हुए हमलों से की है.

महाराष्ट्र में मराठी भाषा को लेकर जारी विवाद के बीच राज्य के मंत्री आशीष शेलार ने एक विवादास्पद बयान देते हुए हाल ही में हुए कश्मीर के पहलगाम आतंकी हमले की तुलना महाराष्ट्र में मराठी न बोल पाने वाले लोगों पर हुए हमलों से की है. उन्होंने इस स्थिति को निराशाजनक और चिंताजनक करार दिया.
भाषा के आधार पर लोगों पर हिंसा
शेलार ने कहा कि जिस तरह कश्मीर में लोगों को उनके धर्म के आधार पर मारा गया, उसी तरह महाराष्ट्र में लोगों पर भाषा के आधार पर हिंसा की जा रही है. उन्होंने साफ किया कि मराठी भाषा का मुद्दा राजनीतिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक गौरव का प्रश्न है और इसे किसी के खिलाफ हिंसा का औजार नहीं बनाया जाना चाहिए.
उनकी यह टिप्पणी उस घटना के बाद आई है जिसमें राज ठाकरे की पार्टी एमएनएस के कुछ समर्थकों ने ठाणे के भयंदर इलाके में एक दुकानदार पर हमला कर दिया, क्योंकि उसने ग्राहक से हिंदी में बात की थी. घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसमें एमएनएस स्कार्फ पहने कुछ लोग दुकानदार को थप्पड़ मारते नजर आए. दुकानदार ने बाद में पुलिस में एफआईआर दर्ज कराई.
शेलार ने कहा कि मराठी गौरव हमारी प्राथमिकता है, लेकिन राज्य में रह रहे गैर-मराठी लोगों की सुरक्षा भी हमारी जिम्मेदारी है. भाषा के नाम पर हिंसा को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कुछ नेता अन्य हिंदुओं की पिटाई का आनंद ले रहे हैं, हालांकि उन्होंने किसी का नाम नहीं लिया.
शेलार को रामदास अठावले का समर्थन
शेलार की टिप्पणी को केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले का भी समर्थन मिला. अठावले ने कहा कि "राज ठाकरे के समर्थक जो महाराष्ट्र में कर रहे हैं, वह उसी तरह की नफरत को दोहराता है जो कश्मीर के आतंकी हमले में दिखी थी." उन्होंने उद्धव ठाकरे पर भी निशाना साधा और सवाल उठाया कि क्या वे अब बालासाहेब ठाकरे की विचारधारा का पालन नहीं कर रहे हैं? अठावले ने यह भी कहा कि उद्धव को राज ठाकरे से गठबंधन करने के बजाय भाजपा के नेतृत्व वाले महायुति में शामिल होना चाहिए था.
इस पूरे घटनाक्रम से साफ है कि महाराष्ट्र में भाषा आधारित राजनीति एक बार फिर से चर्चा में आ गई है और इससे राज्य में सामाजिक समरसता और राजनीतिक समीकरणों पर गहरा असर पड़ सकता है.