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पंजाब सरकार ने विरासती खेलों को दी कानूनी मंजूरी, विरोधी दलों ने भी किया समर्थन

पंजाब सरकार ने एक बड़ा ऐतिहासिक कदम उठाते हुए राज्य की पारंपरिक विरासत से जुड़ी बैल गाड़ी दौड़ और अन्य ग्रामीण खेलों को दोबारा शुरू करने का फैसला लिया है. मुख्यमंत्री भगवंत मान ने विधानसभा में 'जानवरों के प्रति क्रूरता रोकथाम (पंजाब संशोधन) एक्ट 2025' और 'बैल गाड़ी दौड़ संचालन नियम 2025' को पेश कर पास कराया. इस पहल का उद्देश्य विरासत को बचाना और बेरोजगारों को रोजगार देना है.

Deeksha Parmar
Edited By: Deeksha Parmar

पंजाब सरकार ने एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए राज्य की पारंपरिक और विरासती खेलों को फिर से जीवित करने की पहल की है। मुख्यमंत्री भगवंत मान की अगुआई में पंजाब विधानसभा में ‘जानवरों के प्रति क्रूरता की रोकथाम (पंजाब संशोधन) अधिनियम-2025’ और ‘बैलगाड़ी दौड़ संचालन नियम-2025’ को सर्वसम्मति से पारित किया गया है। इसका मकसद न केवल सांस्कृतिक विरासत को पुनर्जीवित करना है, बल्कि बेरोजगारों को रोजगार से जोड़ना भी है.

मुख्यमंत्री मान ने स्पष्ट किया कि इन रिवायती खेलों में हिस्सा लेने वाले जानवरों की पूरी सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी। साथ ही, उन्होंने कहा कि हमारी युवा पीढ़ी को इन पारंपरिक खेलों से जोड़ना जरूरी है ताकि वे अपनी विरासत को समझ सकें। इन खेलों पर लगी रोक के कारण जो लोग बेरोजगार हुए थे, उन्हें अब फिर से आजीविका का मौका मिलेगा.

विरासती खेलों की वापसी का ऐलान

पंजाब सरकार ने स्पष्ट किया है कि वह प्राचीन और पारंपरिक ग्रामीण खेलों को फिर से प्रोत्साहित करने के लिए वचनबद्ध है। विधानसभा में पारित दोनों विधेयकों को सत्ता पक्ष और विपक्ष के सहयोग से पारित किया गया, जिससे यह सामाजिक-सांस्कृतिक मुद्दा एकजुटता का प्रतीक बन गया.

CM भगवंत मान ने उठाई बेज़ुबानों की आवाज

मुख्यमंत्री ने कहा, “यह पहली बार है जब जानवरों के अधिकारों को लेकर विधानसभा में गंभीरता दिखाई गई है। यह बिल सिर्फ हमारी विरासत नहीं, बल्कि पशु अधिकारों के लिए भी एक बड़ा कदम है।” उन्होंने बताया कि बलदों की जोड़ी पंजाब की संस्कृति का अहम हिस्सा रही है, जिसे गुरुओं ने भी अपनाया.

करतारपुर से जुड़ा ऐतिहासिक संदर्भ

मान ने कहा, “गुरु साहिब ने खुद करतारपुर साहिब में 16 साल बलदों से खेती की थी। यह केवल एक परंपरा नहीं बल्कि हमारे अस्तित्व का हिस्सा है।” इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए सरकार ने तय किया है कि बैलों की दौड़ में हिंसा की अनुमति नहीं होगी.
मार-पीट पर रहेगा सख्त प्रतिबंध

सरकार ने विधेयक में एक बेहद अहम शर्त जोड़ी है—दौड़ के दौरान किसी भी जानवर को किसी चीज से मारा नहीं जा सकेगा। “जानवरों को केवल हाथ से थपथपा कर आगे बढ़ाया जाएगा, कोई भी शारीरिक उत्पीड़न बर्दाश्त नहीं किया जाएगा,” CM मान ने स्पष्ट किया.

तमिलनाडु के जल्लीकट्टू से तुलना

सीएम ने तमिलनाडु की प्रसिद्ध पारंपरिक खेल ‘जल्लीकट्टू’ का उदाहरण देते हुए बताया कि जैसे वहां की सरकार ने परंपरा और पशु कल्याण के बीच संतुलन बनाया है, वैसे ही पंजाब सरकार भी बैलों की दौड़ को संरक्षित कर रही है.

रोजगार के नए अवसर भी खुलेंगे

मान ने यह भी कहा कि इन खेलों पर लगी रोक हटने से जो लोग इससे सीधे तौर पर जुड़े थे जैसे बैल पालक, आयोजक और ग्रामीण कलाकार उन्हें दोबारा रोजगार मिलेगा। यह ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए भी एक सकारात्मक संकेत है.

युवा पीढ़ी को जोड़ेगी अपनी जड़ों से

सरकार का मानना है कि इन खेलों के माध्यम से युवा पीढ़ी को अपनी मिट्टी, अपनी संस्कृति और अपने इतिहास से जोड़ना संभव होगा। इससे समाज में सांस्कृतिक पहचान और आत्मगौरव को बढ़ावा मिलेगा.

मंदिर तालाब और सांस्कृतिक विरासत

कुछ क्षेत्रों में इन खेलों का आयोजन मंदिर परिसरों और पवित्र तालाबों के पास होता रहा है, जहां धार्मिकता और परंपरा का मेल देखने को मिलता है। ऐसे आयोजन अब फिर से राज्य की सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा बनेंगे.

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12 July 2025, 01:17 PM IST

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