"विवाह एक अनुष्ठान है": राजस्थान हाई कोर्ट ने बलात्कार के आरोपों को किया खारिज
राजस्थान उच्च न्यायालय ने एक व्यक्ति के खिलाफ बलात्कार का मामला खारिज कर दिया है. कोर्ट ने यह निर्णय लिया कि इस मामले में आपराधिक कार्यवाही 'विवाह की पवित्रता' को प्रभावित कर सकती है.

राजस्थान उच्च न्यायालय ने एक व्यक्ति के खिलाफ बलात्कार के आरोपों को खारिज कर दिया, क्योंकि उसने कथित तौर पर उस महिला से शादी कर ली थी, जिसे उसने हमला करने का दावा किया था. अदालत ने यह निर्णय लिया कि इस मामले में आपराधिक कार्यवाही 'विवाह की पवित्रता' को प्रभावित कर सकती है, जिससे आरोप हटा दिए गए.
बलात्कार के आरोप
न्यायमूर्ति अनूप कुमार ढांड ने अपने फैसले में 'विवाह की विशिष्टता' को मुख्य आधार माना और कहा कि यदि आरोपी और शिकायतकर्ता आपस में समझौता कर लेते हैं, तो ऐसे मामलों को मिसाल के तौर पर लिया नहीं जा सकता. उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय के दो पुराने निर्णयों का भी उल्लेख किया, जिनमें विवाह के बाद बलात्कार के आरोप हटा दिए गए थे.
न्यायमूर्ति ढांड ने कहा कि विवाह एक पवित्र संबंध है जो शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक रूप से जोड़ता है. यह भारतीय धार्मिक विचारों में एक अनुष्ठान माना जाता है, जो 'धर्म', 'अर्थ' और 'काम' को पूरा करने के उद्देश्य से किया जाता है. उन्होंने यह भी कहा कि आपराधिक कार्यवाही से विवाह का पवित्र रिश्ता नष्ट हो सकता है, जिसे नकारा नहीं किया जा सकता.
आरोपों को खारिज करने की याचिका
यह विवादास्पद निर्णय उस समय आया जब महिला ने आरोप लगाया था कि आरोपी ने उसे शादी का वादा करके शारीरिक संबंध बनाए, लेकिन गर्भवती होने के बाद आरोपी ने उसे गर्भपात की गोलियां दीं और उसके बाद संबंध बनाने से इनकार कर दिया. हालांकि, जब तक उसकी शिकायत दर्ज की गई, तब तक दोनों का विवाह हो चुका था और आरोपी ने आरोपों को खारिज करने की याचिका दायर की.
सुप्रीम कोर्ट ने भी हाल ही में यह कहा था कि असफल रिश्तों का मतलब यह नहीं होता कि यौन संबंध किसी भी पक्ष द्वारा बलात्कारी तरीके से बनाए गए थे. इस मामले में अदालत ने कहा कि दोनों पक्षों की स्थिति को ध्यान में रखते हुए मामले की सुनवाई की जाएगी.


