बिहार एनडीए में सीट बंटवारे पर घमासान, मांझी-कुशवाहा की नाराज़गी से घोषणा टली
बिहार एनडीए में सीट बंटवारे को लेकर जीतनराम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा की नाराज़गी के कारण प्रेस कॉन्फ्रेंस टाल दी गई. छोटे दलों को कम सीट मिलने से गठबंधन में असंतोष है, जिसे विपक्ष नीतीश कुमार की कमजोर स्थिति के रूप में देख रहा है.

बिहार में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर मतभेद गहराते जा रहे हैं. रविवार को शाम 4 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए उम्मीदवारों और सीटों की सूची जारी होनी थी, लेकिन सहयोगी दलों की नाराज़गी के चलते यह कार्यक्रम अंतिम क्षणों में टाल दिया गया. पहले इसकी जानकारी जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) ने ट्वीट के माध्यम से दी थी, लेकिन बाद में वह ट्वीट भी डिलीट कर दिया गया, जिससे अटकलें तेज हो गईं.
भाजपा और जेडीयू को 101-101 सीटें
एनडीए के प्रमुख घटक दलों भाजपा और जेडीयू को 101-101 सीटें मिली हैं, जबकि लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) को 29 सीटें दी गई हैं. जीतनराम मांझी की हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) और उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक जनता दल (रालोजद) को सिर्फ 6-6 सीटें मिली हैं. यही सीमित हिस्सेदारी दोनों नेताओं की नाराज़गी की वजह बन गई है. मांझी जहां 15 सीटों की मांग कर रहे थे, वहीं कुशवाहा भी कम से कम 10 सीटें चाहते थे.
उपेंद्र कुशवाहा ने जाहिर की नाराज़गी
रविवार को एनडीए नेताओं ने बैठक के बाद दावा किया कि सभी दल आपसी सहमति से सीट बंटवारे पर तैयार हैं. बीजेपी के कई नेताओं और चिराग पासवान ने एक जैसे ट्वीट किए, जिनमें एकता और सहमति का संदेश था. हालांकि, मांझी इस प्रचार से दूरी बनाते नजर आए. उन्होंने कहा कि जो मिला है उससे संतोष है लेकिन सीटें कम मिलने का असर एनडीए को भुगतना पड़ेगा. उपेंद्र कुशवाहा ने भी अप्रत्यक्ष रूप से अपनी नाराज़गी शायरी के माध्यम से जाहिर की.
इस बीच बीजेपी के वरिष्ठ नेता धर्मेंद्र प्रधान पटना में डटे हुए हैं और नाराज़ सहयोगियों को मनाने की कोशिश कर रहे हैं. अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक, छोटे दलों के नेताओं पर उनके कार्यकर्ताओं का दबाव है, जो टिकट न मिलने से नाराज़ हैं और इस्तीफे की चेतावनी दे रहे हैं.
हमलावर हुआ विपक्ष
एनडीए की इस खींचतान पर विपक्ष भी हमलावर हो गया है. राजद प्रवक्ता मनोज झा और सांसद पप्पू यादव ने तंज कसते हुए कहा कि असली गठबंधन ‘बीजेपी प्लस 142’ है, जबकि जेडीयू महज 101 पर सिमट गई है. विपक्ष का दावा है कि चुनाव के बाद नीतीश कुमार की कुर्सी भी सुरक्षित नहीं रहेगी.


