कांग्रेस-RJD के बीच दूरी! महागठबंधन में पड़ी दरार...तेजस्वी या राहुल किसके भविष्य पर लगा दांव?
Bihar assembly elections 2025: बिहार चुनाव 2025 से पहले महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर मतभेद खुलकर सामने आ गए हैं. कांग्रेस और राजद सहित सहयोगी दलों में समन्वय की कमी, तेजस्वी-राहुल के बीच दूरी और आपसी टकराव से गठबंधन कमजोर हुआ है. एनडीए संगठित दिख रहा है, जबकि विपक्ष बिखरता नजर आ रहा है.

Bihar assembly elections 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले महागठबंधन (ग्रांड अलायंस) के अंदर सीट‑बंटवारे को लेकर दरारें खुलकर सामने आ गई हैं. प्रमुख साझेदार दलों के बीच अंतिम समय तक सहमति नहीं बनी है, जिसके परिणामस्वरूप राज्य की लगभग आठ सीटों पर सहयोगी पार्टियां दोस्ताना मुकाबले में उतर रही हैं. कुल मिलाकर यह संकेत देता है कि महागठबंधन बिखरने की कगार पर है.
राहुल‑तेजस्वी रणनीति में क्यों हैं अलग‑अलग?
वोटर अधिकार यात्रा में एकजुट दिखने वाले राहुल गांधी और तेजस्वी यादव अब अलग दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं. सवाल उठ रहा है कि सीट‑बंटवारे पर असहमति राहुल की रणनीतिक विफलता है या तेजस्वी यादव की? साथ ही, इस दरार का असर चुनाव परिणाम पर किसका भविष्य तय करेगा. तेजस्वी का या राहुल का?
सीएम चेहरे को लेकर विवाद
तेजस्वी यादव ने यात्रा के दौरान राहुल गांधी को प्रधानमंत्री के योग्य बताया था और खुद को मुख्यमंत्री उम्मीदवार घोषित किया था. लेकिन कांग्रेस ने उन दावों पर झटका दिया, और समझौते नहीं होने से राजद में नाराजगी बढ़ी. दिल्ली पहुंचे तेजस्वी ने राहुल से मिलने का समय मांगा था, लेकिन उन्हें समय नहीं मिला, जिससे नाराजगी गहरी हुई.
सीट‑बंटवारे पर तालमेल नहीं बना
राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने पार्टी को सिंबल देना शुरू कर दिया है. इसके बाद अन्य सहयोगी दलों ने भी प्रत्याशियों के नाम घोषित कर दिए हैं. जबकि महागठबंधन पहले चरण से पहले सीट‑बंटवारे की घोषणा करने में विफल रहा. इस कारण कांग्रेस, राजद और वाम दल एक‑दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं. उदाहरण के लिए, कुटुम्बा विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष के खिलाफ राजद ने उम्मीदवार उतारा है.
कई दलों ने फोड़ा गठबंधन छलांग
कलह के बीच, कांग्रेस ने पांच उम्मीदवारों की नई सूची जारी की और अब तक कुल 53 नाम घोषित किए हैं. वहीं राजद ने बिना औपचारिक घोषणा के ही उम्मीदवारों को अपनी पार्टी चिन्ह दे दिए. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) और झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) जैसी पार्टियों ने महागठबंधन के खिलाफ खुलकर मैदान सजाया है. झामुमो ने छह सीटों पर अकेले लडऩे का फैसला किया है.
एनडीए मजबूत स्थिति में, विपक्ष कमजोर
वहीं भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनवादी गठबंधन (एनडीए) ने सीट‑वाटप का फॉर्मूला पहले ही तय कर लिया है. विपक्षी महागठबंधन में बिखराव के कारण कांग्रेस और राहुल गांधी की नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठे हैं. महागठबंधन के टूटने या कमजोर पड़ने की स्थिति में तेजस्वी और राहुल दोनों को भारी दावों में नुकसान हो सकता है.
नेतृत्व पर उठ चुके हैं सवाल
पहले भी इंडिया ब्लॉक (INDIA Alliance) के नेतृत्व को लेकर सवाल खड़े हुए थे. ऐसे में वर्तमान परिस्थिति में विपक्षी मोर्चे को एकजुट कर चलना और भी चुनौतीपूर्ण हो रहा है. एनडीए इस अवसर का पूरा लाभ उठाने की स्थिति में है.


