गांव में अनूठी तेरहवीं: किसान ने अपनी गाय की आत्मा की शांति के लिए किया हवन
गाय के बूढ़ी होने पर उसे सड़क पर छोड़ने वालों को यूपी के मुजफ्फरनगर के किसान सत्येंद्र लटियाल की कहानी जरूर पढ़नी चाहिए. सत्येंद्र ने अपनी 25 साल तक साथ रही गाय की मौत के बाद उसे परिवार के सदस्य की तरह विदा किया. उसने गाय की तेरहवीं पूरी रीति-रिवाज से करवाई, हवन किया और पूरे गांव को मृत्युभोज कराया, जो सम्मान और मानवता की अनोखी मिसाल है.

उत्तर प्रदेश में आवारा पशुओं की समस्या लंबे समय से है. कई लोग गायों को सड़कों पर मरने के लिए छोड़ देते हैं. ऐसे लोगों को सबक सिखाने के लिए मुजफ्फरनगर के एक किसान परिवार ने एक अनोखी मिसाल पेश की. इस परिवार ने अपनी 25 साल तक साथ रहने वाली देसी गाय की मौत के बाद उसकी तेरहवीं पूरी रीति-रिवाज से की. गाय की आत्मा की शांति के लिए हवन भी किया गया और गांववासियों को मृत्युभोज भी कराया गया.
मुजफ्फरनगर के सलारपुर गांव के किसान सत्येंद्र लटियाल ने मंगलवार को अपनी गाय की तेरहवीं पूरे रीति-रिवाज से करवाई. सत्येंद्र के मुताबिक, 25 साल पहले उनकी गाय ने एक बछिया को जन्म दिया था, जो बहुत सुंदर और आकर्षक थी.
दूध देना बंद किया, लेकिन सेवा की
गाय ने परिवार के लिए कई सालों तक दूध दिया, रोजाना 30 लीटर दूध देती थी. हालांकि, बूढ़ी होने के बाद पिछले चार-पाँच साल से वह दूध नहीं दे रही थी, लेकिन परिवार ने उसे अपने पास रखा और उसकी सेवा करते रहे.
पूरे गांव को कराया मृत्युभोज
14 दिन पहले गाय की मौत हो गई थी. उसके बाद सत्येंद्र लटियाल के परिवार ने गाय को सम्मान के साथ विदाई दी. मंगलवार को उसकी तेरहवीं और हवन यज्ञ किया गया, जिसमें पूरे गांव के लोग शामिल हुए और मृत्यु भोज का हिस्सा बने.


