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Apple ने ठुकराया भारत का आदेश, iPhone में Sanchar Saathi ऐप प्रीलोड नहीं होगा!

भारत सरकार ने सभी स्मार्टफोन कंपनियों को आदेश दिया है कि वे अपने नए फोन में Sanchar Saathi ऐप को अनिवार्य रूप से प्रीलोड करें और इसके फीचर्स को डिसेबल न होने दें. Apple ने इसे सीधे चुनौती दी है. Apple ने साफ कर दिया है कि वह इस निर्देश का पालन नहीं करेगी.

Suraj Mishra
Edited By: Suraj Mishra

भारत सरकार ने सभी स्मार्टफोन कंपनियों को आदेश दिया है कि वे अपने नए फोन में Sanchar Saathi ऐप को अनिवार्य रूप से प्रीलोड करें और इसके फीचर्स को डिसेबल न होने दें. सरकार का कहना है कि यह कदम साइबर फ्रॉड, चोरी हुए फोन और IMEI स्पूफिंग जैसी घटनाओं को रोकने के लिए सुरक्षा उपाय है. 

आदेश को लेकर विवाद 

इस आदेश को लेकर विवाद बढ़ गया है. Apple ने इसे सीधे चुनौती दी है. Apple ने साफ कर दिया है कि वह इस निर्देश का पालन नहीं करेगी. कंपनी का कहना है कि दुनिया के किसी भी देश में वह अपने iOS सिस्टम में किसी ऐप को जबरदस्ती प्रीलोड नहीं करती और यदि ऐसा किया गया तो यह iOS की सुरक्षा और प्राइवेसी इंफ्रास्ट्रक्चर को प्रभावित करेगा. Apple ने अपनी आपत्तियों को औपचारिक रूप से केंद्र सरकार को भेजने का भी निर्णय लिया है.

सरकार ने यह आदेश Apple के अलावा Samsung, Xiaomi और अन्य स्मार्टफोन निर्माताओं को भी दिया है. इस निर्देश के तहत कंपनियों को 90 दिनों के भीतर Sanchar Saathi ऐप अपने फोन में प्रीलोड करना होगा. हालांकि एंड्रॉयड फोन में यह तकनीकी रूप से संभव है क्योंकि एंड्रॉयड एक ओपन-सोर्स प्लेटफॉर्म है, जिससे कंपनियां सिस्टम लेवल पर ऐप जोड़ सकती हैं. वहीं, iOS प्लेटफॉर्म पर बाहरी ऐप को जबरदस्ती जोड़ने की अनुमति नहीं है, जिससे Apple इस आदेश को अपने सिस्टम के खिलाफ मान रही है.

Sanchar Saathi ऐप दूरसंचार विभाग (DoT) द्वारा विकसित किया गया है. इसमें CEIR और TAFCOP जैसे मॉड्यूल शामिल हैं. CEIR की मदद से चोरी या खोए हुए फोन को ब्लॉक किया जा सकता है, ताकि उनका गलत इस्तेमाल न हो. TAFCOP फीचर उपयोगकर्ताओं को उनके नाम पर जारी मोबाइल नंबर की जानकारी जांचने और फर्जी सिम की रिपोर्ट करने की सुविधा देता है. सरकार चाहती है कि यह ऐप सभी स्मार्टफोन में प्रीइंस्टॉल हो और इसे हटाया न जा सके.

क्या है सरकार का तर्क?

सरकार का तर्क है कि बढ़ते साइबर अपराध और फोन चोरी के मामलों को देखते हुए यह कदम जरूरी है. वहीं, प्राइवेसी विशेषज्ञ और विपक्ष इसे सर्विलांस का खतरा बता रहे हैं और सुरक्षा व व्यक्तिगत गोपनीयता के मुद्दों को लेकर सवाल उठा रहे हैं.

इस विवाद के बाद, स्मार्टफोन कंपनियां अपने विकल्पों और रणनीति पर विचार कर रही हैं. ऐसे में Apple और सरकार के बीच तकनीकी और कानूनी बहस अगले कुछ सप्ताहों में तेज होने की संभावना है.

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02 December 2025, 06:51 PM IST

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