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चंद्रमा की टक्कर और पृथ्वी पर जीवन... वैज्ञानिकों की ये रिसर्च कर देगी हैरान

पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति केवल सूर्य से सही दूरी पर होने का परिणाम नहीं, बल्कि थिया जैसी टक्करों, कार्बनयुक्त चोंड्राइट्स और जटिल रासायनिक घटनाओं का अद्भुत संयोग है.

सौरमंडल में मौजूद चारों चट्टानी ग्रह- बुध, शुक्र, पृथ्वी और मंगल- अपने-अपने तरीके से अनूठे हैं, लेकिन जीवन के लिए अनुकूल परिस्थितियां सिर्फ पृथ्वी पर ही मौजूद हैं. आखिर क्यों? क्या ये केवल सूर्य से सही दूरी पर स्थित होने का मामला है या इसके पीछे कुछ और वैज्ञानिक कारण हैं? इसी रहस्य से पर्दा उठाने की कोशिश की है वैज्ञानिकों ने कॉस्मोकेमिस्ट्री (Cosmochemistry) के जरिए, जो ये समझने की दिशा में कार्य करता है कि ब्रह्मांडीय रासायनिक तत्वों का वितरण और उनका ग्रहों पर प्रभाव कैसे होता है.

साइंस अलर्ट की रिपोर्ट के अनुसार, वैज्ञानिकों का मानना है कि पृथ्वी पर जीवन की शुरुआत महज संयोग नहीं, बल्कि कई खगोलीय और रासायनिक घटनाओं का संयुक्त परिणाम है. ये घटनाएं इतनी जटिल और संयोगपूर्ण थीं कि शायद उनके बिना पृथ्वी आज जीवन से भरी नहीं होती.

4.5 अरब साल पहले का सौरमंडल

सौरमंडल का प्रारंभिक स्वरूप बेहद अराजक था. चारों ओर ग्रहों के भ्रूण (planetary embryos) और चट्टानों के टुकड़े परस्पर टकरा रहे थे. इसी बीच, पृथ्वी को अत्यंत महत्वपूर्ण और दुर्लभ पदार्थ मिले- कार्बनयुक्त चोंड्राइट्स. इन्हीं चोंड्राइट्स के साथ पृथ्वी को प्राप्त हुए अमीनो एसिड और जीवन के लिए आवश्यक अन्य रसायन, जो बाद में जीवन के बीज बने. कॉस्मोकेमिस्ट्री अध्ययनों के अनुसार, पृथ्वी के कुल द्रव्यमान का 5% से 10% हिस्सा इन चोंड्राइट्स से आया, जो युवा पृथ्वी से टकराए थे.

चंद्रमा निर्माण और पृथ्वी की रसायनिक समृद्धि

वैज्ञानिकों के अनुसार, पृथ्वी पर जीवन के लिए आवश्यक तत्वों की एक बड़ी खेप उस खगोलीय टक्कर के कारण आई, जिसने चंद्रमा का निर्माण किया था. इस टक्कर में शामिल दूसरा पिंड था थिया (Theia). पुर्तगाल की लिस्बन खगोलीय वेधशाला के खगोल भौतिकी विशेषज्ञ और इस अध्ययन के प्रमुख लेखक डुआर्टे ब्रैंको ने बताया कि सिमुलेशन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा थिया प्रभावक से संबंधित है. पिछले शोध से पता चलता है कि थिया एक कार्बनयुक्त वस्तु हो सकती है. अगर यह सच है, तो पृथ्वी की जीवनदायी रहने की क्षमता का अधिकांश हिस्सा उस टक्कर के परिणामस्वरूप हो सकता है.

इस थिया टक्कर से पृथ्वी को कार्बन और जरूरी जैविक तत्वों की भारी मात्रा प्राप्त हुई, जिसने उसे जीवन के लिए उर्वर भूमि में बदल दिया. जीवन के लिए केवल 'हैबिटेबल ज़ोन' में होना पर्याप्त नहीं. वैज्ञानिकों का यह भी मानना है कि सिर्फ किसी ग्रह का 'हैबिटेबल ज़ोन' (Habitable Zone) में होना जीवन के लिए पर्याप्त नहीं है. इसके लिए कई और कारक भी जरूरी हैं:

ग्रह की बनावट और रासायनिक संरचना

बड़े गैसीय ग्रहों (जैसे बृहस्पति) की उपस्थिति, जो आंतरिक ग्रहों तक कार्बनयुक्त चट्टानें पहुंचाने में सहायक हो सकते हैं

ग्रह के आकार, चुंबकीय क्षेत्र और वायुमंडल की स्थिरता

और सबसे अहम, समय-समय पर होने वाली खगोलीय टक्करों की भूमिका

इन सभी कारकों का मिलाजुला प्रभाव ही पृथ्वी को ऐसा ग्रह बना सका, जहां जीवन जन्म ले सका और पनप सका.

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08 July 2025, 02:33 PM IST

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