अमेरिका का नया बिल: रूस से तेल खरीदने पर 500% टैक्स लगेगा
अमेरिका ने एक नया बिल पेश किया है, जिसके तहत जो देश रूस से तेल, गैस या यूरेनियम जैसी ऊर्जा सामग्री खरीदेंगे, उनके अमेरिका को निर्यात होने वाले सामान पर 500% टैक्स लगाया जाएगा. इसका मकसद रूस की आर्थिक ताकत कमजोर करना और ऊर्जा निर्भरता को घटाना है.

अमेरिकी सीनेट में भारत और चीन जैसे देशों के लिए चिंता बढ़ाने वाला एक नया विधेयक Sanctioning Russia Act of 2025 पेश किया गया है. यह बिल रिपब्लिकन सीनेटर लिंडसे ग्राहम और डेमोक्रेट सीनेटर रिचर्ड ब्लूमेंथल ने पेश किया है, जिसका मुख्य उद्देश्य है – रूस से तेल, गैस और यूरेनियम खरीदने वाले देशों पर आर्थिक दबाव बनाना. खासकर भारत और चीन इस बिल के दायरे में सीधे तौर पर प्रभावित हो सकते हैं.
बिल के मुताबिक, जो देश रूस से ऊर्जा उत्पाद (तेल, गैस, यूरेनियम आदि) खरीदते रहेंगे, उनके अमेरिका को होने वाले निर्यात पर 500% टैक्स लगाया जाएगा. यह एक अप्रत्यक्ष प्रतिबंध है, जिसका असर रूस पर नहीं बल्कि रूस से व्यापार करने वाले देशों पर पड़ेगा. अमेरिका का मकसद है कि दुनिया रूस की ऊर्जा निर्भरता खत्म करे ताकि यूक्रेन युद्ध में रूस की फंडिंग रोकी जा सके.
भारत पर संभावित असर
भारत के लिए यह बिल बड़ी चुनौती बन सकता है. यूक्रेन युद्ध के बाद से भारत ने सस्ते रूसी तेल का जमकर फायदा उठाया है, जिससे उसकी ऊर्जा सुरक्षा मजबूत हुई है. 2024 में भारत के कुल कच्चे तेल आयात का करीब 35% हिस्सा रूस से आया था. अगर यह बिल कानून बनता है, तो भारत से अमेरिका को होने वाले एक्सपोर्ट महंगे हो जाएंगे, जिससे भारत के कपड़ा, दवा, आईटी और ऑटो पार्ट्स जैसे उद्योगों को झटका लग सकता है.
ट्रंप की भूमिका क्या होगी?
बिल का भविष्य पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर निर्भर करेगा, जो अब दोबारा व्हाइट हाउस में लौट सकते हैं. ट्रंप इस बिल के मौजूदा रूप से संतुष्ट नहीं हैं. वे चाहते हैं कि प्रतिबंध लगाने या रोकने का पूरा अधिकार सिर्फ राष्ट्रपति के पास हो, ना कि कांग्रेस के पास.
फिलहाल, बिल के मसौदे में यह प्रावधान है कि राष्ट्रपति यदि इस टैक्स को 180 दिनों के लिए टालना चाहें, तो उन्हें अनुमति मिल सकती है. दूसरी बार टालने के लिए कांग्रेस की मंजूरी जरूरी होगी. ट्रंप और उनकी टीम इसे राष्ट्रपति की विदेश नीति की शक्ति में कटौती मानते हैं.
ट्रंप की टीम क्या चाहती है?
'द वॉल स्ट्रीट जर्नल' के मुताबिक, ट्रंप की टीम चाहती है कि कानून में ‘shall’ की जगह ‘may’ लिखा जाए, जिससे राष्ट्रपति बाध्य नहीं होंगे, बल्कि उन्हें विवेकाधिकार मिलेगा. इसके अलावा ट्रंप यह भी चाहते हैं कि राष्ट्रीय सुरक्षा, आवश्यक वस्तुएं और रणनीतिक सहयोग से जुड़े मामलों में छूट देने का अधिकार पूरी तरह राष्ट्रपति को मिले और कांग्रेस उसे रोक न सके. अगर यह बिल पारित होता है, तो यह अमेरिका की वैश्विक व्यापार नीति में एक बड़ा बदलाव और भारत के लिए एक जटिल कूटनीतिक संकट बन सकता है.


