Retail inflation: कृषि श्रमिकों के लिए बड़ी राहत.. मार्च में खुदरा महंगाई 3.73% पर आई, फरवरी के मुकाबले कमी
मार्च 2025 में भारत के कृषि और ग्रामीण मजदूरों के लिए खुदरा महंगाई में महत्वपूर्ण गिरावट आई. जिससे उनके जीवन स्तर में सुधार की उम्मीद बढ़ी है.

मार्च 2025 में भारत के किसान मजदूरों के लिए खुदरा महंगाई में महत्वपूर्ण गिरावट आई है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, इस महीने महंगाई दर 3.73 प्रतिशत दर्ज की गई, जो फरवरी में 4.05 प्रतिशत थी. ये गिरावट खेती-बाड़ी से जुड़े मजदूरों की जीवन-यात्रा पर सकारात्मक असर डाल सकती है. इसके साथ ही, ग्रामीण मजदूरों के लिए भी महंगाई में कमी आई है, जिससे उन्हें राहत मिली है.
ग्रामीण मजदूरों के लिए भी राहत का संकेत
मार्च 2025 में ग्रामीण मजदूरों के लिए खुदरा महंगाई 3.86 प्रतिशत रही, जो फरवरी में 4.10 प्रतिशत थी. ये कमी ये संकेत देती है कि सरकार के कदमों और बाजार की स्थिरता से ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक स्थिति में सुधार हो सकता है. इस रिपोर्ट को लेकर मंत्रालय का कहना है कि ये आंकड़े देशभर के कृषि मजदूरों और ग्रामीण मजदूरों के लिए राहत लेकर आए हैं.
सीपीआई-एएल और सीपीआई-आरएल में गिरावट
कृषि मजदूरों (CPI-AL) और ग्रामीण मजदूरों (CPI-RL) के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) में भी गिरावट आई है. मार्च 2025 में कृषि मजदूरों का सीपीआई 1,306 अंकों तक गिर गया, जो फरवरी 2025 में 1,309 अंक था. इसी तरह, ग्रामीण मजदूरों का सीपीआई 1,319 अंक तक गिर गया, जो फरवरी में 1,321 अंक था. ये गिरावट दर्शाती है कि कृषि मजदूरों और ग्रामीण मजदूरों की जीवन-यात्रा पर महंगाई का दबाव कम हुआ है, जिससे उनके जीवन स्तर में सुधार की उम्मीद बढ़ी है.
मार्च 2025 में कृषि मजदूरों के लिए महंगाई दर 3.73 प्रतिशत और ग्रामीण मजदूरों के लिए 3.86 प्रतिशत दर्ज की गई. ये दर पिछले साल मार्च 2024 में क्रमशः 7.15 प्रतिशत और 7.08 प्रतिशत थी. फरवरी 2025 की तुलना में भी ये गिरावट महत्वपूर्ण है, क्योंकि तब ये दरें 4.05 प्रतिशत और 4.10 प्रतिशत थीं. इस डेटा के अनुसार, पिछले एक साल में महंगाई में भारी गिरावट आई है, जो भारतीय श्रमिकों और किसान मजदूरों के लिए एक राहत की खबर है.
महंगाई में कमी: सरकार की नीति का असर
सरकार द्वारा उठाए गए विभिन्न कदमों और बाजार की स्थिरता ने कृषि और ग्रामीण मजदूरों के लिए महंगाई दर को कम करने में मदद की है. विशेषकर ऐसे समय में जब किसानों और मजदूरों के लिए कई अन्य आर्थिक चुनौतियां थीं, ये गिरावट उनके लिए राहत की बात मानी जा रही है. मंत्रालय के अनुसार, ये गिरावट खाद्य पदार्थों और कृषि उत्पादों की कीमतों में स्थिरता के कारण आई है, जो सीधे तौर पर किसानों और मजदूरों की जेब पर असर डालती है.


