नया लेबर कोड लागू होते ही सैलरी में बवाल, बढ़ेगी या कट जाएगी तनख्वाह? जानें क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स
नए लेबर कोड्स ने सैलरी स्ट्रक्चर में बड़ा गेम कर दिया है. अब बेसिक सैलरी 50% से कम नहीं हो सकती, जिससे ग्रेच्युटी, पीएफ और पेंशन अपने आप बढ़ जाएगी. टेक-होम सैलरी थोड़ी कम लग सकती है, लेकिन लॉन्ग टर्म में आपकी जेब ज्यादा भारी होगी. सवाल सबका एक ही है कि तो क्या अब सैलरी बढ़ेगी?

नई दिल्ली: देश में श्रम सुधारों के तहत सरकार ने 29 पुराने श्रम कानूनों को सीमित करके 4 नए लेबर कोड लागू कर दिए हैं. इन नए नियमों के साथ सैलरी स्ट्रक्चर से लेकर ग्रेच्युटी, पीएफ और पेंशन तक की व्यवस्था पूरी तरह बदल गई है. सोशल सिक्योरिटी का दायरा भी बढ़ाया गया है, जिसमें अब फिक्स्ड टर्म कर्मचारी, कॉन्ट्रैक्ट वर्कर और गिग वर्कर भी शामिल हैं.
नए कोड्स के लागू होने से जहां कंपनियों के लिए प्रक्रियाएं आसान होंगी, वहीं कर्मचारियों को लंबे समय में ज्यादा सुरक्षा और बेहतर रिटायरमेंट लाभ मिलेंगे. हालांकि, सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या इससे कर्मचारियों की टेक-होम सैलरी कम हो जाएगी? विशेषज्ञों का जवाब है हां, ऐसा संभव है.
रिटायरमेंट सिक्योरिटी ?
ट्राइलीगल में श्रम और रोजगार अभ्यास के पार्टनर अतुल गुप्ता ने कहा कि दशकों पुराने श्रम कानूनों में बदलाव से करोड़ों कर्मचारियों के लिए रिटायरमेंट सिक्योरिटी मजबूत होगी. उनके मुताबिक नए कानून से पीएफ, पेंशन और रिटायरमेंट फंड में बढ़ोतरी होगी, लेकिन लाखों कर्मचारियों की मासिक टेक-होम सैलरी में कमी आ सकती है.
कैसे तय होगा नया सैलरी स्ट्रक्चर?
विशेषज्ञों के अनुसार नए वेतन कोड के तहत ‘मजदूरी’ की परिभाषा बदल दी गई है. अब इसमें शामिल होंगे:-
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बेसिक सैलरी
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महंगाई भत्ता (DA)
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रिटेनिंग भत्ता
नियमों के अनुसार, कुल सैलरी का कम से कम 50% इन्हीं मदों से जुड़ा होना चाहिए. इसलिए भविष्य निधि (PF), ग्रेच्युटी और अन्य सामाजिक सुरक्षा लाभों के कैलकुलेशन पर सीधा असर पड़ेगा.
क्या वास्तव में सैलरी कम हो जाएगी?
नांगिया समूह की पार्टनर अंजलि मल्होत्रा ने कहा कि अब बेसिक सैलरी, महंगाई भत्ता और रिटेनिंग भत्ता शामिल किया जाएगा. कुल सैलरी में 50% वेतन ग्रेच्युटी, पेंशन और सामाजिक सुरक्षा लाभों से जोड़ा जाएगा. इससे कंपनी और कर्मचारी दोनों का कंट्रीब्यूशन बढ़ जाएगा, जिसका मतलब है कि कर्मचारियों की टेक-होम सैलरी कम हो सकती है.
इंडियन स्टाफिंग फेडरेशन की एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर सुचिता दत्ता ने कहा कि इस बदलाव का मुख्य उद्देश्य सभी कानूनों में सैलरी की परिभाषा को एक समान करना है. उन्होंने बताया कि इससे कर्मचारियों को अधिक ग्रेच्युटी और PF मिलेगा, जिससे रिटायरमेंट सिक्योरिटी बेहतर होगी. लेकिन अगर नियोक्ता लागत की भरपाई के लिए भत्तों में कटौती करते हैं, तो टेक-होम वेतन में कमी आ सकती है.
ग्रेच्युटी के नए नियम और उनका प्रभाव
ईवाई इंडिया के पार्टनर पुनीत गुप्ता के अनुसार अब ग्रेच्युटी का कैलकुलेशन ‘मजदूरी’ के आधार पर होगा, जिसमें बेसिक सैलरी, एचआरए और वाहन भत्ते को छोड़कर लगभग सभी भत्ते शामिल होंगे. इससे रिटायरमेंट लाभ बढ़ेंगे, लेकिन टेक-होम सैलरी घट सकती है.


