कपड़े छोड़ शराब पर खुलकर खर्च कर रहा है भारत, रिपोर्ट ने चौंकाया
सीएमआईई की रिपोर्ट के मुताबिक, देश में लोगों ने कपड़ों की तुलना में शराब पर ज्यादा खर्च किया है. 2023-24 में जहां कपड़ों पर 7.29 लाख करोड़ रुपये खर्च हुए, वहीं शराब पर 1.20 लाख करोड़ रुपये. पिछले साल के मुकाबले शराब पर खर्च में 26% की बढ़ोतरी हुई है.

देश की आम जनता अपनी मेहनत की कमाई किन चीजों पर खर्च कर रही है, इसे लेकर सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) की एक रिपोर्ट सामने आई है, जिसमें कई चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं. रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय नागरिक अब कपड़ों से ज्यादा शराब पर खर्च कर रहे हैं. यह बदलाव उपभोक्ता आदतों और प्राथमिकताओं में हो रहे बड़े बदलाव की तरफ इशारा करता है.
साल 2023-24 में देशवासियों ने कपड़ों पर जहां 7.29 लाख करोड़ रुपये खर्च किए, वहीं एल्कोहलिक ड्रिंक्स यानी शराब पर 1.20 लाख करोड़ रुपये खर्च कर दिए. हालांकि कपड़ों पर खर्च अब भी शराब से ज्यादा है, लेकिन पिछले सालों की तुलना करें तो एक अलग ट्रेंड देखने को मिल रहा है. साल 2022-23 में कपड़ों पर खर्च 7.60 लाख करोड़ रुपये था, जो इस बार घटकर 7.29 लाख करोड़ रह गया. वहीं, शराब पर खर्च 0.95 लाख करोड़ से बढ़कर 1.20 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया—जो कि 26 प्रतिशत की बढ़ोतरी है.
किन ज़रूरी चीज़ों पर खर्च बढ़ा?
- CMIE की रिपोर्ट बताती है कि भारतीयों ने खाने-पीने की ज़रूरी चीज़ों पर खर्च बढ़ाया है.
- अनाज, दालें, दूध, अंडे, चीज़, फल और सब्ज़ियों पर ज्यादा खर्च किया गया.
- चॉकलेट, चीनी और जैम जैसी चीज़ों पर खर्च में 19.78% की बढ़त देखी गई.
- हेल्थ यानी स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च 18.75% बढ़ा है, जो यह दर्शाता है कि लोग अब सेहत को लेकर सजग हो रहे हैं.
- संचार सेवाओं जैसे इंटरनेट और मोबाइल पर खर्च 8% तक बढ़ गया है.
- इसके चलते कुल उपभोक्ता खर्च 2023-24 में 9.72% बढ़कर 181.4 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है.
कहां हुआ खर्च में कटौती?
- रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि कुछ ज़रूरी चीज़ों पर खर्च में कटौती की गई है.
- तेल और फैट्स पर खर्च 19.67% कम हुआ है.
- बीमा प्रीमियम पर खर्च में 3.39% की गिरावट देखी गई है.
- मनोरंजन जैसे मूवी, शो आदि पर खर्च में 1.38% की गिरावट आई है.
ट्रेंड क्या कहता है?
CMIE की रिपोर्ट से साफ है कि आम आदमी की खर्च की प्राथमिकताएं बदल रही हैं. जहां ज़रूरी खाद्य सामग्री और हेल्थ पर खर्च बढ़ा है, वहीं कपड़े और इंश्योरेंस जैसे सेक्टर्स को नुकसान हुआ है.
शराब पर बढ़ता खर्च चिंता का विषय हो सकता है, लेकिन यह भी दर्शाता है कि उपभोक्ता अब अपने फैसलों में स्वतंत्र और अलग प्राथमिकताओं के साथ आगे बढ़ रहे हैं.


