E-Rupee की नई उड़ान...एक साल में 334% से अधिक की हुई बढ़ोतरी, 1,016 करोड़ रुपये तक पहुंचा सर्कुलेशन
भारतीय रिज़र्व बैंक ने बताया कि मार्च 2025 तक ई-रुपी का सर्कुलेशन 1,016 करोड़ रुपये तक पहुँच गया है. नवंबर 2022 में शुरू की गई इस डिजिटल मुद्रा को अब सीमा पार भुगतान और ऑफलाइन लेनदेन में भी उपयोग करने की योजना है. रिपोर्ट के अनुसार, इसका प्रयोग बढ़ता जा रहा है और 500 रुपये के नोटों का सबसे ज़्यादा उपयोग हो रहा है. 17 बैंकों और 60 लाख उपयोगकर्ताओं तक इसका विस्तार हो चुका है.

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में बताया कि मार्च 2025 के अंत तक सर्कुलेशन में मौजूद केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (CBDC), जिसे ई-रुपी भी कहा जाता है. ई-रुपी कुल राशि बढ़कर 1,016 करोड़ रुपये तक पहुंच गई है. पिछले वर्ष इसी अवधि में यह आंकड़ा मात्र 234 करोड़ रुपये था, जिससे यह स्पष्ट होता है कि डिजिटल मुद्रा को लेकर देश में रूचि तेजी से बढ़ी है.
ई-रुपी की शुरुआत, एक नया अध्याय
CBDC की शुरुआत नवंबर 2022 में एक थोक पायलट परियोजना के रूप में हुई थी. इसके बाद खुदरा स्तर पर भी इसे लागू किया गया. इस डिजिटल मुद्रा को लाने का प्रमुख उद्देश्य ऐसी आभासी मुद्राओं जैसे बिटकॉइन के विकल्प के रूप में एक नियंत्रित और सुरक्षित डिजिटल सिस्टम देना था, जो पारंपरिक मुद्रा प्रणाली को चुनौती दे रही थीं.
सीमा पार भुगतान में भी उपयोग की तैयारी
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि रिजर्व बैंक अब CBDC का उपयोग सीमा पार भुगतान के लिए भी करना चाहता है. RBI द्विपक्षीय और बहुपक्षीय आधार पर ऐसी परियोजनाओं की संभावनाएं तलाश रहा है, ताकि अंतरराष्ट्रीय लेन-देन को समयबद्ध, पारदर्शी और अधिक प्रभावी बनाया जा सके. इसके लिए कुछ देशों के साथ मिलकर तकनीकी पहलुओं, उपयोग के मामलों और रोडमैप पर काम चल रहा है.
ई-रुपी के उपयोग का विस्तार
रिजर्व बैंक का उद्देश्य ई-रुपी के खुदरा और थोक दोनों स्वरूपों में नए उपयोग के मामलों को जोड़ना है. इसमें ऑफ़लाइन भुगतान और प्रोग्रामेबल फीचर्स जैसी नई सुविधाओं को भी जोड़ा गया है. साथ ही, तकनीकी सुधारों के माध्यम से पारदर्शिता और ग्राहक सुविधा को और बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं.
सर्कुलेशन में किस मूल्य के नोट प्रमुख?
रिपोर्ट के अनुसार, सर्कुलेशन में मौजूद कुल ई-रुपी में से 857 करोड़ रुपये 500 रुपये के नोटों में हैं. वहीं, 200 रुपये मूल्य के नोटों का योगदान 91 करोड़ रुपये और 100 रुपये के नोटों का 38 करोड़ रुपये है. इससे पता चलता है कि उच्च मूल्यवर्ग के नोटों का उपयोग अधिक हो रहा है.
उपयोगकर्ताओं और बैंकों की संख्या में बढ़ोतरी
ई-रुपी के खुदरा पायलट को वित्त वर्ष 2025 के अंत तक 17 बैंकों और 60 लाख उपयोगकर्ताओं तक पहुंचाया गया है. इसे और अधिक लोगों तक पहुंचाने के लिए अब कुछ गैर-बैंकिंग संस्थानों को भी ई-रुपी वॉलेट प्रदान करने की अनुमति दी गई है.


