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लोकसभा में पेश हुआ नया 'इनकम टैक्स बिल', जानिए आम जनता के लिए क्या बदलेगा

लोकसभा में सरकार ने न्यू इनकम टैक्स बिल (New Income Tax Bill 2025) पेश कर दिया है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इसे निचले सदन के पटल पर रखा. बजट सेशन के अगले हिस्से में इस बिल को चर्चा के लिए रखा जाएगा. न्यू इनकम टैक्स बिल, इनकम टैक्स एक्ट 1961 की जगह लेगा.

Yaspal Singh
Edited By: Yaspal Singh

New Income Tax Bill 2025: लोकसभा में सरकार ने न्यू इनकम टैक्स बिल (New Income Tax Bill 2025) पेश कर दिया है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इसे निचले सदन के पटल पर रखा. बजट सेशन के अगले हिस्से में इस बिल को चर्चा के लिए रखा जाएगा. न्यू इनकम टैक्स बिल, इनकम टैक्स एक्ट 1961 की जगह लेगा. नए बिल में कई बदलाव किए गए हैं, जिसकी जानकारी इसके पेश होने से पहले बुधवार को सामने आई ड्राफ्ट कॉपी में सामने आ गई थी.

नए बिल को पारदर्शी और टैक्सपेयर के अनुकूल बनाने का दावा किया गया है. इसमें टैक्स सिस्टम को आसान बनाने के लिए डिजिटलीकरण, टैक्स पेमेंट में सुधार से लेकर टैक्स चोरी को लेकर नियम और कड़े करने का प्रस्ताव किया गया है. नए आयकर कानून में प्रीवियस ईयर और असेसमेंट ईयर को खत्म कर दिया गया है, अब केवल टैक्स ईयर होगा. नए आयकर कानून को 1 अप्रैल 2026 से लागू करने का प्रस्ताव है. 

बिल में पेजों की संख्या हुई इतनी कम

नए इनकम टैक्स बिल में पहला और बड़ा बदलाव ये किया गया है कि इसे आम लोगों के समझने के लिए पहले की तुलना में ज्यादा आसान शब्दों के साथ कुछ संक्षिप्त बनाया गया है. जैसे कि 1961 इनकम टैक्स बिल में 880 पेज थे, लेकिन छह दशक के बाद अब इसमें शामिल पृष्ठों की संख्या को घटाकर 622 किया गया है. न्यू टैक्स बिल में 536 धाराएं और 23 चैप्टर हैं.

'Tax Year'  का कॉन्सेप्ट

नए बिल में टैक्स ईयर (Tax Year) का कॉन्सेप्ट लाया गया है. जो अब तक इस्तेमाल किए जाने वाले असेसमेंट ईयर और प्रीवियस ईयर को रिप्लेस करेगा. आमतौर पर देखने को मिलता रहा है टैक्स भरने के दौरान टैक्सपेयर्स असेसमेंट और फाइनेंशियल ईयर को लेकर कन्फ्यूज होते थे, लेकिन अब इन्हें खत्म करते हुए सिर्फ टैक्स ईयर का इस्तेमाल होगा. उदाहरण के लिए 1 अप्रैल 2025 से 31 मार्च 2026 तक के लिए टैक्स ईयर 2025-26 होगा. मतलब फाइनेंशियल ईयर के पूरे 12 महीने को अब टैक्स ईयर कहा जाएगा. 

स्‍टैंडर्ड डिडक्‍शन जस का तस

यू टैक्‍स बिल के तहत अगर आप एक सैलरीड हैं तो आपको पुराने टैक्‍स रिजीम के तहत 50,000  रुपये का स्‍टैंडर्ड डिडक्‍शन मिलता रहेगा, लेकिन अगर आप न्‍यू टैक्‍स रिजीम को चुनते हैं, तो फिर ये डिडक्शन आपके लिए 75,000 रुपये तक मिलेगा. इसके साथ ही न्यू टैक्स रिजीम के तहत टैक्स स्लैब में कोई चेंज नहीं होगा और बजट में घोषित की गई दरें ही यथावत रहेंगी. 

CBDT को मिला ये अधिकार

न्यू टैक्स बिल में इनकम टैक्स, 1961 के मुकाबले किए गए बदलावों में अगला बड़ा चेंज केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड यानी सीबीडीटी (CBDT) से जुड़ा हुआ है. बिल के मुताबिक, पहले इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को विभिन्न टैक्स स्कीम्स को शुरू करने के लिए संसद से संपर्क करना होता था, लेकिन न्यू टैक्स एक्ट 2025 के मुताबिक, अब सीबीडीटी को स्वतंत्र रूप से ऐसी योजनाएं शुरू करने का अधिकार दिया गया है. इसका मकसद नौकरशाही संबंधी देरी की समस्या को खत्म करना है. 

कैपिटल गेन की दरें यथावत

ड्राफ्ट में शेयर बाजार के लिए शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन की अवधि में कोई बदलाव नहीं किया गया है. सेक्शन 101 (b) के तहत 12 महीने तक की अवधि को शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस माना जाएगा. इसके अलावा इसकी दरें भी समान रखी गई हैं. शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स 20 फीसदी पर बरकरार रखा गया है, ज‍बकि लॉन्‍ग टर्म कैपिटल गेन के तहत 12.5 फीसदी का टैक्‍स लागू होगा.

पेंशन, एनपीएस और इंश्‍योरेंस पर भी छूट

न्‍यू इनकम टैक्‍स बिल के तहत पेंशन, NPS कंट्रीब्‍यूशन और इंश्‍योरेंस पर टैक्‍स डिडक्‍शन जारी रहेगा. रिटायरमेंट फंड, ग्रेच्‍युटी और पीएफ कंट्रीब्‍यूशन को भी टैक्‍स छूट के दायरे में रखा गया है. ईएलएसएस म्‍यूचुअल फंड में निवेश पर भी टैक्‍स राहत दी जाएगी. 

टैक्‍स चोरी पर पेनाल्टी

नए आयकर विधेयक में टैक्स चोरी करने वालों पर और सख्ती व जुर्माने का प्रावधान किया गया है. जानबूझकर टैक्स चोरी करने वालों पर मुकदमा चलाया जा सकता है. टैक्स का भुगतान न करने पर अधिक ब्याज और जुर्माना वसूला जा सकता है. अगर कोई व्यक्ति अपनी आय छिपाने का प्रयास करता है, तो उसका अकाउंट सीज किया जा सकता है. इसके अलावा गलत या अधूरी जानकारी देने पर भारी जुर्माना लगेगा.

टैक्स पेमेंट को पारदर्शी बनाने के लिए E-KYC अनिवार्य

केंद्र सरकार का नए टैक्स बिल के जरिए मौजूदा टैक्स प्रणाली को डिजिटल और अधिक पारदर्शी बनाना मकसद है. इसके लिए ई-केवाईसी (e-KYC) और ऑनलाइन टैक्स भुगतान को अनिवार्य किया जा रहा है. ई-फाइलिंग (E-Filing) अनिवार्य होने से टैक्स भुगतान में पारदर्शिता बढ़ेगी.

एग्रीकल्‍चर इनकम पर टैक्‍स छूट

न्यू टैक्स बिल में कृषि आय (Agriculture Income) को कुछ शर्तों के तहत कर-मुक्त (Tax Free) रखा गया है. धार्मिक ट्रस्ट, संस्थाएं और दान में दी गई राशि पर कर छूट मिलेगी. इसके साथ ही इलेक्‍ट्रोरल ट्रस्‍ट को भी टैक्‍स से छूट दी गई है. 

टैक्स से जुड़े विवाद कम करने के लिए ये चेंज

1961 के टैक्स बिल में कई अस्पष्ट प्रावधानों के चलते टैक्सपेयर्स और सरकार के बीच विवाद देखने को मिलते रहे हैं और इनके चलते मुकदमेबाजी की संख्या भी लगातार बढ़ी है. New Tax Bill स्पष्ट नियमों और आसान शब्दों के साथ पेश किया जा रहा है, जिससे इसे समझना आसान होगा और साथ ही विवादों की संख्या में भी कमी आएगी. 

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13 February 2025, 02:38 PM IST

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