निर्मला सीतारमन आज लोकसभा में पेश करेंगी नया आयकर विधेयक
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण जल्द ही लोकसभा में संशोधित आयकर विधेयक, 2025 पेश करने वाली हैं. यह नया विधेयक करदाताओं के लिए कई अहम बदलाव ला सकता है, जिससे टैक्स नियम और आसान होने की उम्मीद है.

Income Tax Bill 2025: देश के कर ढांचे में ऐतिहासिक बदलाव की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आज लोकसभा में संशोधित आयकर विधेयक 2025 पेश करेंगी. यह संशोधित विधेयक 13 फरवरी 2025 को पेश किए गए मूल मसौदे की जगह लेगा, अब औपचारिक रूप से वापस ले लिया गया है. सरकार ने स्पष्ट किया है कि इस प्रक्रिया का उद्देश्य विधायी पारदर्शिता और प्रक्रिया में दक्षता लाना है, जबकि पहले के मसौदे को लेकर समय और संसाधनों की बर्बादी को लेकर आलोचनाएं हुई थीं. सीतारमण ने कहा कि नया मसौदा पहले की तुलना में कहीं अधिक स्पष्ट और तकनीकी रूप से सटीक है. इसमें सब कुछ बेहतर, संशोधित प्रारूप और अधिक प्रभावी क्रॉस-रेफरेंसिंग शामिल हैं. इस व्यापक बदलाव के पीछे भाजपा सांसद बैजयंत पांडा की अध्यक्षता वाली संसद की प्रवर समिति की महत्वपूर्ण भूमिका रही है, जिसकी विस्तृत सिफारिशों को मसौदे में शामिल किया गया है.
संसदीय प्रक्रिया का पालन
संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने स्पष्ट किया कि पहले किए गए काम को रद्द नहीं माना जा सकता. उन्होंने कहा कि जब संसदीय समिति अपनी रिपोर्ट में कई प्रस्तावित बदलावों की सिफारिश करती है और उनमें से ज्यादातर को मंजूरी मिल जाती है, तो आम प्रक्रिया यही है कि मूल विधेयक को वापस लेकर उसका संशोधित रूप संसद में पेश किया जाता है. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि 285 से अधिक सुझाए गए संशोधनों जिनमें 32 प्रमुख बदलाव भी शामिल हैं को अलग-अलग प्रस्तावों के जरिए अपनाना एक अव्यवहारिक प्रक्रिया होती. विधेयक को वापस लेने और फिर से पेश करने से समय की बचत होती है और सही तरह से सुनिश्चित हो पाती है.
प्रमुख प्रस्ताव और बदलाव
संशोधित आयकर विधेयक 2025 में संसदीय समिति की अधिकांश सिफारिशों को जगह दी गई है. इसके कुछ प्रमुख प्रावधान निम्नलिखित हैं:
गुमनाम दान:-अब केवल शुद्ध रूप से धार्मिक ट्रस्ट ही गुमनाम दान स्वीकार कर सकेंगे, जबकि सामाजिक सेवाओं में कार्यरत ट्रस्टों को इस सुविधा से वंचित रखा जाएगा.
आईटीआर और टीडीएस रिफंड:- करदाताओं को आईटीआर की समय सीमा बीतने के बाद भी बिना किसी दंड के टीडीएस रिफंड का दावा करने की अनुमति होगी.
नोटिस प्रक्रिया में सुधार:- कर अधिकारियों को कार्रवाई से पहले करदाताओं की प्रतिक्रियाओं पर विचार करना अनिवार्य होगा.
डिजिटल-फर्स्ट
विधेयक का एक अहम पहलू है फेसलेस मूल्यांकन प्रणाली का प्रस्ताव, जो डिजिटल-फर्स्ट दृष्टिकोण को अपनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है. इसका उद्देश्य कर अनुपालन को सरल और पारदर्शी बनाना और भ्रष्टाचार पर रोक लगाना है. वहीं, 1961 के पुराने आयकर अधिनियम की जटिल और तकनीकी कानूनी भाषा को हटाकर, इसे अधिक साफ और सरल भाषा में दोबारा लिखा गया है. अगर यह विधेयक पारित होता है, तो यह 63 वर्ष पुराने आयकर अधिनियम की जगह लेगा और भारत को एक सुव्यवस्थित, मुकदमे-प्रतिरोधी प्रत्यक्ष कर संहिता की ओर आगे बढ़ाएगा. सरकार ने इसे हाल के दशकों का सबसे महत्वाकांक्षी कर सुधार बताया है.


