क्यों बढ़ रहे GBS के मामले, देश में तेजी से फैल सकती है ये बीमारी?
महाराष्ट्र में गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (GBS) के मामलों में लगातार वृद्धि हो रही है. इसे लेकर स्वास्थ्य अधिकारियों में चिंता बढ़ रही है. इस सिंड्रोम के कारण अब तक 7 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 190 से अधिक संदिग्ध मामले सामने आए हैं. इस बीमारी के सबसे ज्यादा मामले नांदेड़, पुणे और पिंपरी चिंचवाड़ क्षेत्रों से रिपोर्ट किए गए हैं, जहां इस बीमारी के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है.

महाराष्ट्र में गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (GBS) के मामलों में लगातार वृद्धि हो रही है. इसे लेकर स्वास्थ्य अधिकारियों में चिंता बढ़ रही है. इस सिंड्रोम के कारण अब तक 7 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 190 से अधिक संदिग्ध मामले सामने आए हैं. इस बीमारी के सबसे ज्यादा मामले नांदेड़, पुणे और पिंपरी चिंचवाड़ क्षेत्रों से रिपोर्ट किए गए हैं, जहां इस बीमारी के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है. इस संदर्भ में जानना जरूरी है कि क्या यह बीमारी देशभर में फैल सकती है और इससे कैसे निपटा जा सकता है.
क्या है गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (GBS)?
गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (GBS) एक दुर्लभ न्यूरोलॉजिकल स्थिति है, जिसमें शरीर का इम्यून सिस्टम अपनी ही नसों पर हमला करता है. इसके परिणामस्वरूप व्यक्ति को हाथ-पैर में कमजोरी महसूस होती है, और अक्सर ये समस्याएं इतनी गंभीर हो सकती हैं कि व्यक्ति को चलने-फिरने में कठिनाई होने लगती है. इस सिंड्रोम के लक्षणों में मसल्स में अचानक कमजोरी, रीढ़ की हड्डी में दर्द, पैरालिसिस, सांस लेने में दिक्कत आदि शामिल हैं.
नांदेड़ में प्रदूषित पानी से फैल रही बीमारी
नांदेड़, पुणे और पिंपरी चिंचवाड़ के इलाकों में गुइलेन-बैरे सिंड्रोम के मामलों के बढ़ने का कारण प्रदूषित पानी को बताया जा रहा है. अधिकारियों का कहना है कि इन क्षेत्रों में पानी का गुणवत्ता परीक्षण किया गया, जिसमें कैंपिलोबैक्टर जेजुनी नामक बैक्टीरिया पाया गया. यह बैक्टीरिया पानी के जरिए शरीर में प्रवेश करता है और गुइलेन-बैरे सिंड्रोम जैसी बीमारियों का कारण बन सकता है. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी ने भी इस बात की पुष्टि की है कि नांदेड़ और आसपास के क्षेत्रों में पानी की गुणवत्ता खराब है, जिससे यह बीमारी फैल रही है.
क्या यह बीमारी देशभर में फैल सकती है?
महाराष्ट्र के अलावा, असम, पश्चिम बंगाल और तेलंगाना जैसे अन्य राज्यों में भी गुइलेन-बैरे सिंड्रोम के मामले रिपोर्ट किए गए हैं, जिसके बाद यह सवाल उठ रहा है कि क्या यह बीमारी देशभर में तेजी से फैल सकती है.
इस सवाल का जवाब देते हुए, लेडी हर्डिंगे हॉस्पिटल के मेडिसिन विभाग के पूर्व डॉ. सुभाष कुमार ने कहा कि गुइलेन-बैरे सिंड्रोम संक्रामक नहीं है और यह बैक्टीरियल संक्रमण के कारण होता है. इसके मामले लाखों में एक बार आते हैं और यह गंदे पानी के सेवन से फैलता है. इसलिए यह बीमारी पूरे देश में तेजी से नहीं फैल सकती.
जीबीएस सिंड्रोम को लेकर सतर्कता आवश्यक है
दिल्ली के वरिष्ठ फिजिशियन डॉ. कवलजीत सिंह के अनुसार, गुइलेन-बैरे सिंड्रोम के मामलों में वृद्धि से सावधान रहना जरूरी है. खासतौर पर उन क्षेत्रों में जहां इस बीमारी के मामले सामने आए हैं, वहां के निवासियों को गंदा पानी पीने से बचना चाहिए. पानी को उबालकर पीने की सलाह दी जाती है. इसके साथ ही इस बीमारी के लक्षणों को पहचानने के लिए जागरूक रहना भी बहुत जरूरी है, ताकि समय रहते इलाज शुरू किया जा सके.
जीबीएस सिंड्रोम के लक्षण और पहचान
गुइलेन-बैरे सिंड्रोम के लक्षणों में मसल्स में अचानक कमजोरी, रीढ़ की हड्डी में दर्द, हाथ-पैर में पैरालिसिस, चलने फिरने में समस्या, छाती में दर्द और भारीपन और सांस लेने में तकलीफ शामिल हैं. इन लक्षणों की पहचान कर इलाज शुरू करना बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि जल्दी इलाज से रोगी की हालत में सुधार हो सकता है.
क्या करें और क्या न करें?
गुइलेन-बैरे सिंड्रोम के बढ़ते मामलों को देखते हुए यह जरूरी है कि लोग इस बीमारी के प्रति जागरूक रहें और स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा दी गई सलाह का पालन करें. खासतौर पर गंदा पानी पीने से बचें, पानी को उबालकर पीने की आदत डालें, और बीमारी के लक्षणों के प्रति सतर्क रहें.


