'4 एकड़? मेरे पास 40 हैं, सिर्फ प्रचार के लिए यहां मत आओ', कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने किसान को लगाई लताड़
कलबुर्गी में बारिश से बर्बाद फसल की शिकायत लेकर पहुंचे किसान को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने उसकी तकलीफ की तुलना अपनी 40 एकड़ की फसल से कर दी. उन्होंने उसे "सिर्फ प्रचार के लिए मत आओ" कहकर फटकारा, जिससे विवाद खड़ा हो गया. क्षेत्र में बाढ़ से भारी नुकसान हुआ है और किसान राहत पैकेज की मांग कर रहे हैं.

Karnataka floods: कर्नाटक के कलबुर्गी जिले में एक किसान अपनी खराब हुई फसल की शिकायत लेकर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के घर पहुंचा था. वह किसान लगातार हो रही बारिश से तबाह हुई अपनी फसल के नुकसान की बात रखना चाहता था. लेकिन जिस उम्मीद के साथ वह कांग्रेस नेता के पास पहुंचा था, उसकी प्रतिक्रिया ने सभी को चौंका दिया.
वीडियो में सामने आया खड़गे का बयान
घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें खड़गे किसान से पूछते हैं, “कितने एकड़ में खेती करते हो?” जब किसान ने बताया कि उसने 4 एकड़ में फसल लगाई थी, तो खड़गे ने उसकी तुलना अपनी स्थिति से करते हुए कहा. "मैंने 40 एकड़ में फसल बोई है और मेरी हालत तुमसे भी खराब है." इसके बाद उन्होंने एक कहावत का हवाला देते हुए कहा कि यह वैसा ही है जैसे “जिसने तीन बच्चों को जन्म दिया हो, वह उस महिला के पास जाकर दुखड़ा रोए जिसने छह बच्चों को जन्म दिया हो.”
सिर्फ प्रचार के लिए मत आइए
कांग्रेस अध्यक्ष यहीं नहीं रुके. उन्होंने किसान को चेताते हुए कहा कि सिर्फ प्रचार के लिए यहां मत आइए. मैं जानता हूं कि फसलों को नुकसान हुआ है. लेकिन आप की तुलना में हमारे लिए स्थिति ज्यादा खराब है. हम जैसे लोग इतने बड़े बागानों के मालिक हैं, हमारे लिए टिकना ज्यादा मुश्किल है. उनके इस बयान पर किसान और वहां मौजूद लोग असमंजस में पड़ गए. स्थानीय स्तर पर इस बयान की आलोचना भी शुरू हो गई है.
कलबुर्गी में भारी बारिश और बाढ़ से तबाही
गौरतलब है कि कर्नाटक का कलबुर्गी क्षेत्र इन दिनों मूसलाधार बारिश और बाढ़ की चपेट में है. चित्तपुर तालुक सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है, जहां कंगन नदी उफान पर है. जिले के कई हिस्सों में किसानों की खड़ी चना, सोयाबीन, कपास और दाल की फसलें पूरी तरह नष्ट हो चुकी हैं.
किसानों ने की विशेष राहत पैकेज की मांग
क्षेत्र के किसानों ने राज्य सरकार से कलबुर्गी को बाढ़ग्रस्त क्षेत्र घोषित करने और विशेष राहत पैकेज देने की मांग की है. उनका कहना है कि उनकी पूरी आजीविका इस बारिश में बर्बाद हो चुकी है और बिना सरकारी मदद के वे अगली फसल तक नहीं पहुंच पाएंगे.
राजनीतिक हलकों में बयान की आलोचना
मल्लिकार्जुन खड़गे का यह बयान न सिर्फ संवेदनशीलता की कमी को दर्शाता है, बल्कि यह सवाल भी उठाता है कि क्या एक राष्ट्रीय नेता को किसान की शिकायत पर ऐसा तंज कसना चाहिए था? कई विपक्षी नेताओं और सोशल मीडिया यूज़र्स ने इस बयान को असंवेदनशील बताया है.


