जनगणना नोटिफिकेशन में ‘जाति’ गायब, कांग्रेस ने खड़ा किया सियासी तूफान
2027 में जनगणना की घोषणा के बाद सियासी घमासान छिड़ गया है. कांग्रेस ने अधिसूचना में ‘जाति’ शब्द न होने पर सवाल उठाए, वहीं बीजेपी ने कांग्रेस पर ओबीसी और ईडब्ल्यूएस समुदायों को धोखा देने का आरोप लगाया. पवन खेड़ा और शहजाद पूनावाला आमने-सामने हैं.

केंद्र सरकार ने आधिकारिक रूप से घोषणा कर दी है कि अगली जनगणना दो चरणों में 2026 और 2027 में कराई जाएगी. इसके लिए गृह मंत्रालय ने गजट अधिसूचना भी जारी कर दी है. लेकिन इस अधिसूचना के सामने आते ही राजनीतिक बवाल खड़ा हो गया है.
कांग्रेस का आरोप है कि सरकार की अधिसूचना में ‘जाति’ शब्द का कहीं ज़िक्र नहीं है. पार्टी प्रवक्ता पवन खेड़ा ने केंद्र सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि, “तेलंगाना सरकार ने अपने GO में तीन जगह ‘जाति’ शब्द का ज़िक्र किया है, वहीं केंद्र की अधिसूचना में जातीय जनगणना का कोई संकेत तक नहीं है.” उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी हमेशा से जातीय सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण का विरोध करती रही है और इसी वजह से वह इस प्रक्रिया को पूरी पारदर्शिता से नहीं करना चाहती.
बीजेपी का पलटवार: कांग्रेस का इतिहास संदेहास्पद
वहीं, बीजेपी नेता शहजाद पूनावाला और केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने कांग्रेस पर पलटवार किया है. पूनावाला ने कांग्रेस को “फर्जी खबरों की फैक्ट्री” बताते हुए कहा कि 15 जून को PIB की रिलीज में जातीय जनगणना का स्पष्ट उल्लेख है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस अपने ही सर्वे पर भरोसा नहीं कर रही, इसलिए कर्नाटक में फिर से जाति सर्वे करवा रही है.
भूपेंद्र यादव ने कांग्रेस पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि पार्टी ने अपने शासन काल में ओबीसी, एससी-एसटी को धोखा दिया है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने न तो मंडल आयोग को समय पर लागू किया, न ही कभी ईमानदारी से सामाजिक न्याय को समर्थन दिया.
जयराम रमेश ने कहा- यह सिर्फ प्रचार है
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने भी केंद्र की अधिसूचना को “पुराने बयान की दोहराव” करार दिया. उन्होंने कहा कि इसमें न तो जाति का ज़िक्र है, न सवालों की प्रकृति स्पष्ट की गई है. उनका कहना है कि सरकार ने सिर्फ “हैडलाइन मैनेजमेंट” के लिए अधिसूचना जारी की है.
जनगणना की प्रक्रिया दो चरणों में
सरकार के मुताबिक, जनगणना 2026 से शुरू होकर 2027 तक दो चरणों में पूरी होगी. पहला चरण 1 अक्टूबर 2026 तक जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल, उत्तराखंड जैसे राज्यों में होगा. जबकि दूसरा चरण 1 मार्च 2027 तक देश के बाकी हिस्सों में किया जाएगा. पहले कर्मचारियों की ट्रेनिंग और आधारभूत तैयारी होगी. अब देखना होगा कि जातीय जनगणना को लेकर यह सियासी घमासान किस दिशा में जाता है और क्या केंद्र सरकार इस मुद्दे पर आगे और कोई स्पष्टीकरण देती है या नहीं.


