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'मैं इंदिरा गांधी बोल रही हूं'... एक फोन कॉल, एक कोडवर्ड और SBI के 60 लाख गायब! नागरवाला कांड की पूरी कहानी

24 मई 1971 को भारत के बैंकिंग इतिहास में एक ऐसा घोटाला हुआ, जिसने पूरे सिस्टम को हिला दिया.सेना के एक रिटायर्ड कैप्टन रुस्तम सोहराब नागरवाला ने प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की नकली आवाज में फोन करके स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से 60 लाख रुपये की नकदी उड़ा ली.

Deeksha Parmar
Edited By: Deeksha Parmar

24 मई 1971 की तारीख भारत के इतिहास में दर्ज सबसे चौंकाने वाले बैंकिंग फर्जीवाड़ों में से एक है. इस स्कैम को 'नागरवाला कांड' के नाम से जाना जाता है. इस घटना ने न सिर्फ देश की राजनीति को झकझोर दिया था, बल्कि यह अब भी एक रहस्यमय अध्याय की तरह सामने आता है. एक फोन कॉल, एक नकली आवाज और प्रधानमंत्री के नाम पर 60 लाख रुपये की ठगी ने पूरे बैंकिंग सिस्टम को सवालों के घेरे में ला खड़ा किया था.

इस बहुचर्चित कांड की चर्चा एक बार फिर तब तेज हो गई, जब हाल ही में प्रकाशित किताब 'The Scam That Shook The Nation' में इस पूरे घटनाक्रम का विस्तार से जिक्र किया गया. घटना में सेना के एक पूर्व अधिकारी रुस्तम सोहराब नागरवाला ने इंदिरा गांधी की आवाज की नकल करते हुए देश की सबसे बड़ी बैंक SBI से लाखों की नकदी ठग ली थी.

'मैं प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी बोल रही हूं'...

24 मई 1971 को स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की 11 संसद मार्ग ब्रांच में हेड कैशियर वेद प्रकाश मल्होत्रा अपने डेस्क पर थे. सुबह करीब 11:45 बजे एक फोन कॉल ने उनकी दुनिया बदल दी. दूसरी ओर से आवाज आई, “भारत की प्रधानमंत्री के सचिव श्री हक्सर आपसे बात करना चाहते हैं.” इसके बाद एक और आवाज सुनाई दी, “मैं इंदिरा गांधी बोल रही हूं… बांग्लादेश में एक गोपनीय मिशन के लिए 60 लाख रुपये तुरंत चाहिए.” मल्होत्रा की 26 वर्षों की सेवा में ऐसा कोई अनुभव कभी नहीं हुआ था. प्रधानमंत्री की आवाज पर वह स्तब्ध रह गए और आदेश का पालन करने को बाध्य हो गए.

बिना रसीद, बिना चेक...मांगी गई रकम

जब मल्होत्रा ने औपचारिक प्रक्रिया के तहत रसीद या चेक की मांग की, तो दूसरी ओर से जवाब आया, “यह एक बेहद जरूरी और गोपनीय मिशन है, प्रधानमंत्री का स्पष्ट आदेश है, रसीद बाद में दी जाएगी.” इसके बाद फोन पर खुद को हक्सर बताने वाले व्यक्ति ने रकम देने की पूरी योजना समझाई.

कोडवर्ड में बातचीत- 'मैं बांग्लादेश का बाबू हूं'

कॉल पर बताया गया कि जो व्यक्ति पैसे लेने आएगा, वह कोडवर्ड में कहेगा, “मैं बांग्लादेश का बाबू हूं.” इसके जवाब में मल्होत्रा को कहना था, “मैं बार-एट-लॉ हूं.” ये कोडवर्ड जैसे ही बोले गए, बैंक से 60 लाख रुपये की नकदी दो जूनियर कैशियर की मदद से निकाली गई और एक एम्बेसेडर कार में ट्रंकों में भरकर बताई गई जगह फ्री चर्च रोड के पास ले जाई गई.

सेना का रिटायर्ड कैप्टन निकला ठग

जिस व्यक्ति ने यह साजिश रची थी, वह कोई और नहीं बल्कि सेना का पूर्व अधिकारी कैप्टन रुस्तम सोहराब नागरवाला था. योजना के तहत वह खुद बैंक पहुंचा, कोडवर्ड बोला और कैश लेकर वहां से निकल गया. इसके बाद मल्होत्रा प्रधानमंत्री आवास पहुंचे ताकि वह रसीद ले सकें, लेकिन वहां पहुंचते ही उन्हें समझ आया कि कुछ गड़बड़ है.

दिल्ली एयरपोर्ट से हुई नागरवाला की गिरफ्तारी

चाणक्यपुरी थाने में तुरंत एफआईआर दर्ज की गई और एसएचओ हरिदेव की तत्परता से नागरवाला को दिल्ली एयरपोर्ट से गिरफ्तार कर लिया गया. उसके पास से बड़ी रकम भी बरामद की गई. अदालत में सुनवाई के बाद नागरवाला को चार साल की सजा हुई, लेकिन जल्द ही तिहाड़ जेल में उसकी संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई.

'जादू जैसा असर हुआ था इंदिरा गांधी की आवाज का'

बाद में कोर्ट में मल्होत्रा ने बयान दिया, 'जब मैंने इंदिरा गांधी की आवाज सुनी तो उस पर ‘जादू सा असर’ हुआ. मैंने कोई शक नहीं किया और आदेश मान लिया.' किताब ‘The Scam That Shook The Nation’ में इस घोटाले के हर पहलू को बेहद रोचक और विस्तारपूर्वक बताया गया है. किस तरह एक फोन कॉल ने सरकारी व्यवस्था की पोल खोल दी.

जांच अधिकारी की भी संदिग्ध मौत

इस केस की जांच कर रहे अधिकारी डीके कश्यप की भी कुछ समय बाद रहस्यमयी तरीके से मौत हो गई थी, जिससे यह मामला और भी रहस्यमय हो गया. आपको बता दें कि नागरवाला कांड महज एक बैंक घोटाला नहीं था, यह उस दौर की संवेदनशील राजनीतिक और प्रशासनिक स्थिति का आइना भी था. यह घटना आज भी दिखाती है कि सिस्टम में अगर सतर्कता की कमी हो, तो कोई भी कमजोर कड़ी पूरी चेन को तोड़ सकती है.

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24 May 2025, 04:16 PM IST

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