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'सुनवाई का अधिकार', नेशनल हेराल्ड मामले में सोनिया गांधी और राहुल गांधी को कोर्ट का नोटिस, जानें क्या कहा

दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने नेशनल हेराल्ड मनी लॉन्ड्रिंग केस में कांग्रेस नेताओं सोनिया गांधी, राहुल गांधी और अन्य के खिलाफ दायर चार्जशीट पर औपचारिक संज्ञान लेने से पहले सुनवाई के लिए नोटिस जारी किया है. कोर्ट ने कहा कि बीएनएसएस की धारा 223 के तहत आरोपियों को प्रारंभिक सुनवाई का अधिकार है. यह फैसला न्यायिक पारदर्शिता और निष्पक्ष सुनवाई सुनिश्चित करने की दिशा में अहम कदम माना जा रहा है.

Yaspal Singh
Edited By: Yaspal Singh

दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने गुरुवार को नेशनल हेराल्ड मनी लॉन्ड्रिंग मामले में कांग्रेस की वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी, राहुल गांधी और अन्य व्यक्तियों के खिलाफ दायर आरोपपत्र (चार्जशीट) पर संज्ञान लेने से पहले सुनवाई के लिए नोटिस जारी किया है. अदालत ने इस बात पर बल दिया कि आरोपियों को भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) की धारा 223 के तहत प्रारंभिक सुनवाई का अधिकार है, क्योंकि यह मुकदमे के पूर्व चरण का हिस्सा है.

न्यायिक प्रक्रिया में पारदर्शिता पर जोर

विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने ने कहा कि चार्जशीट की तकनीकी खामियों को पहले ही दूर किया जा चुका है और अब मुद्दा यह है कि क्या आरोपियों को समन भेजने से पहले सुनवाई का अवसर दिया जाना चाहिए. उन्होंने कहा, "इस स्तर पर अभियुक्तों की सुनवाई का अधिकार न्याय की निष्पक्षता को सशक्त करता है." अदालत ने स्पष्ट किया कि यह चरण केवल विचार की प्रक्रिया है, जहां अभियुक्तों की राय महत्वपूर्ण है.

आरोपों की पृष्ठभूमि

इस हाई-प्रोफाइल केस की जांच प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा की जा रही है, जिसकी शुरुआत 2021 में हुई थी. इसका आधार वह निजी आपराधिक शिकायत है, जो भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने 2014 में दायर की थी. शिकायत में गांधी परिवार और कांग्रेस नेतृत्व पर एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) और यंग इंडियन के माध्यम से वित्तीय अनियमितता व आपराधिक साजिश के आरोप लगाए गए थे.

AJL और यंग इंडियन के बीच संबंध

मामले का केंद्रीय बिंदु AJL के अधिग्रहण से संबंधित है, जो कभी नेशनल हेराल्ड अखबार का संचालन करती थी. आरोपों के अनुसार, कांग्रेस ने AJL को 90 करोड़ रुपये का ब्याज-मुक्त ऋण दिया, जिसे बाद में महज 50 लाख रुपये में यंग इंडियन को ट्रांसफर कर दिया गया. यंग इंडियन में सोनिया और राहुल गांधी दोनों के पास कथित रूप से 38-38% हिस्सेदारी है. इससे कंपनी को AJL की 2,000 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्तियों पर नियंत्रण मिल गया, जो देश के प्रमुख शहरों दिल्ली, लखनऊ और मुंबई में स्थित हैं.

ईडी के आरोप

प्रवर्तन निदेशालय ने गांधी परिवार पर आरोप लगाया है कि उन्होंने इस व्यवस्था के जरिए करीब 988 करोड़ रुपये की मनी लॉन्ड्रिंग की. ईडी का दावा है कि यंग इंडियन को एक गैर-लाभकारी संस्था दिखाकर असल मकसद संपत्तियों का लाभ लेना था. चार्जशीट में सोनिया गांधी, राहुल गांधी, सैम पित्रोदा और सुमन दुबे को प्रमुख आरोपी बनाया गया है.

आगे की सुनवाई

कोर्ट ने स्पष्ट किया कि 8 मई को अगली सुनवाई के दौरान यह तय किया जाएगा कि चार्जशीट पर औपचारिक रूप से संज्ञान लिया जाए या नहीं. यदि संज्ञान लिया गया, तो आरोपियों को समन भेजे जा सकते हैं. यह मामला न केवल कांग्रेस पार्टी बल्कि देश की राजनीति के लिए भी महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है.

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02 May 2025, 03:20 PM IST

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