'संस्था पर हर दिन हमला हो रहा, हमें इसकी चिंता नहीं', न्यायपालिका विवाद सुप्रीम कोर्ट की बड़ी टिप्पणी
इस मामले में बहस कर रहे वकील ने न्यायपालिका की आलोचना की ओर इशारा किया और सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया कि वह अवमानना के आरोप पर ध्यान दे, अन्यथा जनता का विश्वास खत्म होने का खतरा रहेगा. जवाब में न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने संकेत दिया कि वह "संस्था के बारे में चिंतित नहीं हैं..." न्यायमूर्ति सूर्यकांत की यह टिप्पणी ऐसे समय आई है, जब सर्वोच्च न्यायालय उपराष्ट्रपति धनखड़ और भाजपा सांसदों की ओर से तीखे हमलों का शिकार हो रहा है.

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत ने भारत के शीर्ष न्यायिक मंच की भूमिका और दायित्व की उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और भाजपा सांसद निशिकांत दुबे द्वारा की गई तीखी आलोचना को कमतर आंका है . वरिष्ठ जज ने कहा, "हमें इसकी चिंता नहीं है... संस्था पर हर दिन हमले होते रहते हैं." जस्टिस सूर्यकांत धस्माना ने राष्ट्रपति और राज्यपालों के लिए विधेयकों को मंजूरी देने की समयसीमा तय करने के सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद शुरू हुए कटाक्षों को नरमी से खारिज कर दिया . यह कटाक्ष उन्होंने कर्नाटक में अदालत की अवमानना के एक मामले की सुनवाई के दौरान किया.
इस मामले में बहस कर रहे वकील ने न्यायपालिका की आलोचना की ओर इशारा किया और सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया कि वह अवमानना के आरोप पर ध्यान दे, अन्यथा जनता का विश्वास खत्म होने का खतरा रहेगा. जवाब में न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने संकेत दिया कि वह "संस्था के बारे में चिंतित नहीं हैं..."
'संविधान के परम स्वामी'
भारत के चीफ जस्टिस बनने की दौड़ में दूसरे स्थान पर काबिज न्यायमूर्ति सूर्यकांत की यह टिप्पणी ऐसे समय आई है, जब सर्वोच्च न्यायालय उपराष्ट्रपति धनखड़ और भाजपा सांसदों की ओर से तीखे हमलों का शिकार हो रहा है. जस्टिस की टिप्पणी से कुछ घंटे पहले पेशे से वकील धनखड़ ने फिर से सर्वोच्च अदालत पर निशाना साधा था और निर्वाचित प्रतिनिधियों को संविधान का "परम स्वामी" घोषित किया था...
उपराष्ट्रपति ने कहा कि लोकतंत्र में निर्वाचित प्रतिनिधि ही संविधान के अंतिम स्वामी होते हैं. उनसे ऊपर कोई प्राधिकारी नहीं हो सकता..." धनखड़ ने 1975 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए आपातकाल का भी उल्लेख किया और मौलिक अधिकारों के निलंबन की अनुमति देने में सर्वोच्च अदालत की भूमिका पर सवाल उठाया.
धनखड़ बनाम सुप्रीम कोर्ट
पिछले हफ्ते धनखड़ ने संविधान के अनुच्छेद 142 को निशाने पर लेते हुए सर्वोच्च न्यायालय पर चौतरफा हमला किया था, जो शीर्ष अदालत को किसी भी लंबित मामले में आदेश पारित करने की विशेष शक्तियां प्रदान करता है. ऐसा राष्ट्रपति और राज्य के राज्यपालों के लिए समय सीमा निर्धारित करने हेतु अनुच्छेद 142 को लागू करने के बाद हुआ.
यह टिप्पणी भाजपा सांसद निशिकांत दुबे द्वारा यह कहे जाने के बाद आई है कि सुप्रीम कोर्ट "भारत को अराजकता की ओर ले जा रहा है." सुप्रीम कोर्ट अगले सप्ताह इन टिप्पणियों के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करेगा.
सत्तारूढ़ पार्टी ने औपचारिक रूप से सुप्रीम कोर्ट की आलोचना करने वाली टिप्पणियों से खुद को दूर कर लिया है, जिसमें उसके अपने नेता भी शामिल हैं. हालांकि, पार्टी ने अभी तक उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है.
'हम न्यायपालिका का सम्मान करते हैं': सरकारी सूत्र
इस बीच, शीर्ष सरकारी सूत्रों ने कहा कि न्यायपालिका के प्रति सम्मान सर्वोपरि है. सरकार के एक सूत्र ने बताया, "लोकतंत्र के सभी स्तंभ मिलकर काम कर रहे हैं... न्यायपालिका और विधायिका एक ही सिक्के के दो पहलू हैं."


