कौन बनेगा अगला पोप? भारत के कार्डिनल भी करेंगे फैसला
भारत के चार कार्डिनल वेटिकन में होने वाले ऐतिहासिक कॉन्क्लेव में भाग लेंगे. यहां दुनिया भर से आए कार्डिनल मिलकर नए पोप का चयन करेंगे. पोप फ्रांसिस के निधन के बाद यह प्रक्रिया शुरू की जा रही है, जिसमें भारतीय प्रतिनिधित्व खास मायने रखता है.

Who will be the next Pope: पोप फ्रांसिस के निधन के बाद वेटिकन में अगला धर्मगुरु चुनने की प्रक्रिया शुरू होने वाली है. इस पवित्र अवसर पर भारत की उपस्थिति भी विशेष रूप से दर्ज होगी, क्योंकि पोप चयन की प्रक्रिया में भाग लेने वाले 135 कार्डिनलों में से चार भारत से हैं. ये भारतीय कार्डिनल न केवल भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे, बल्कि पूरी कैथोलिक दुनिया के लिए अगले पोप के चुनाव में अहम भूमिका निभाएंगे.
ईस्टर सोमवार (21 अप्रैल) को पोप फ्रांसिस के निधन के बाद वेटिकन ‘नोवेंदियाले’ नामक नौ दिवसीय शोककाल में प्रवेश करेगा. इस प्राचीन रोमन परंपरा के दौरान चर्च की ओर से अगला पोप चुनने की तैयारियाँ भी की जाएंगी. इसके उपरांत कार्डिनलों की बैठक ‘कॉनक्लेव’ का आयोजन होगा, जिसमें दुनिया भर के योग्य कार्डिनल एकत्र होकर अगले पोप यानी ‘विकर ऑफ क्राइस्ट’ का चुनाव करेंगे.
कौन हैं भारत के चार कार्डिनल?
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, वर्तमान में पोप चुनाव के लिए योग्य 135 कार्डिनलों में से चार भारत से हैं. इन लोगों के नाम हैं-
कार्डिनल फिलिप नेरी फेराओ (72 वर्ष)
कार्डिनल जॉर्ज जैकब कूवाकाड (51 वर्ष)
वे सेंट एंटोनियो डि पाडोवा के सिर्कोनवल्लाज़ियोन अप्पिया के कार्डिनल-डीकन और अंतरधार्मिक वार्ता के लिए डिकास्टरी के प्रीफेक्ट हैं.
कार्डिनल बेसिलियस क्लीमिस थोट्टुन्कल
वे त्रिवेंद्रम के सिरो-मलंकरा चर्च के मेजर आर्चबिशप हैं और सिनॉड ऑफ द सिरो-मलंकरा चर्च के अध्यक्ष हैं.
कार्डिनल एंथनी पूला (63 वर्ष)
वे हैदराबाद के मेट्रोपॉलिटन आर्चबिशप हैं.
कॉन्क्लेव की प्रक्रिया और संकेत
वर्तमान में वेटिकन में कुल 252 कार्डिनल हैं, जिनमें से 135 वोटिंग के पात्र हैं. कॉन्क्लेव के दौरान कार्डिनल सीक्रेट बैलेट के ज़रिए नए पोप का चयन करते हैं. चयन की प्रक्रिया की स्थिति को दर्शाने के लिए सिस्टीन चैपल की चिमनी से निकलने वाले धुएं का रंग संकेत देता है काला धुआं दर्शाता है कि अब तक कोई चयन नहीं हुआ है, जबकि सफेद धुएं का मतलब होता है कि नया पोप चुन लिया गया है.
पोप फ्रांसिस का जीवन और विरासत
पोप फ्रांसिस का जन्म ब्यूनस आयर्स, अर्जेंटीना में जॉर्ज मारियो बर्गोग्लियो के रूप में हुआ था. उन्होंने 1969 में कैथोलिक पादरी के रूप में दीक्षा प्राप्त की. 28 फरवरी 2013 को पोप बेनेडिक्ट XVI के इस्तीफे के बाद 13 मार्च को कार्डिनल बर्गोग्लियो को पोप चुना गया था. उन्होंने सेंट फ्रांसिस ऑफ असीसी के सम्मान में अपना नाम ‘फ्रांसिस’ चुना था.


