'पाकिस्तान से ज्यादा मुसलमान भारत में..' ओवैसी का पाकिस्तान का समर्थन करने पर तुर्की को सख्त संदेश
लोकसभा सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने तुर्की द्वारा पाकिस्तान को समर्थन देने की आलोचना की और तुर्की से भारत के साथ ऐतिहासिक संबंधों को महत्व देने की अपील की. उन्होंने कहा कि भारत में पाकिस्तान से अधिक मुसलमान हैं और तुर्की को इस सच्चाई को समझना चाहिए. ऑपरेशन सिंदूर और पहलगाम हमले के बाद तुर्की का भारत में बहिष्कार शुरू हो गया है. विश्वविद्यालयों और व्यापारिक संस्थानों ने तुर्की से सहयोग समाप्त कर दिया है, जबकि केंद्र सरकार ने अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.

लोकसभा सांसद और एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने शनिवार को तुर्की द्वारा पाकिस्तान को दिए जाने वाले समर्थन की आलोचना की और तुर्की से अपने रुख पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया. उन्होंने कहा कि भारत में मुस्लिम आबादी पाकिस्तान से कहीं अधिक है, और तुर्की को यह समझना चाहिए कि भारत के साथ उसके गहरे ऐतिहासिक संबंध हैं.
तुर्की से पाकिस्तान के समर्थन पर असदुद्दीन ओवैसी की कड़ी प्रतिक्रिया
असदुद्दीन ओवैसी ने तुर्की से आग्रह किया कि वह पाकिस्तान के समर्थन पर पुनर्विचार करे और भारत के साथ अपने ऐतिहासिक संबंधों को पहचाने. उन्होंने तुर्की को याद दिलाया कि इसबैंक नामक बैंक में पहले जमाकर्ताओं में भारत के लोग शामिल थे, जैसे कि हैदराबाद राज्य और रामपुर राज्य से. उन्होंने यह भी कहा कि 1990 तक लद्दाख क्षेत्र में तुर्की भाषा पढ़ाई जाती थी.
भारत में मुस्लिम आबादी और पाकिस्तान से तुलना
असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि भारत में पाकिस्तान से अधिक मुसलमान हैं और उन्होंने तुर्की को याद दिलाया कि उत्तरी तुर्की के तीर्थयात्री कभी हज के लिए मुंबई पहुंचने के लिए लद्दाख से यात्रा करते थे. उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान का इस्लाम से कोई लेना-देना नहीं है, और पाकिस्तान के मुस्लिम देश होने का यह पूरा ढोंग भ्रामक है.
ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत में तुर्की का बहिष्कार
ऑपरेशन सिंदूर और पहलगाम हमले के बाद, पाकिस्तान के समर्थन के कारण तुर्की का बहिष्कार करने के लिए भारत में आवाज़ें उठ रही हैं. इसका नतीजा यह हुआ कि लोगों ने अपनी यात्राएं रद्द कर दीं. शिक्षण संस्थानों सहयोग रुक गए हैं और सेलेबी एविएशन का लाइसेंस निलंबित कर दिया गया है.
तुर्की और अज़रबैजानी संस्थानों के साथ कई करार रद्द
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू), जामिया मिलिया इस्लामिया और लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी (एलपीयू) सहित कई भारतीय विश्वविद्यालयों ने तुर्की और अज़रबैजानी संस्थानों के साथ अकादमिक सहयोग को निलंबित या समाप्त करने के लिए कदम उठाए हैं. एलपीयू ने विशेष रूप से तुर्की और अज़रबैजान की कूटनीतिक स्थिति पर चिंता जताते हुए ऐसी सभी साझेदारियों को बंद करने का फैसला किया है, जिन्होंने हाल के भू-राजनीतिक तनावों के बीच पाकिस्तान का पक्ष लिया है.
भारत में तुर्की के खिलाफ व्यापारिक बहिष्कार
ऑनलाइन विरोध प्रदर्शनों सहित सार्वजनिक आक्रोश ने 2023 के भूकंप के दौरान तुर्की को भारत की सहायता को भी उजागर किया है, जिससे संबंधों की पारस्परिकता पर सवाल उठ रहे हैं. अब तक, भारतीय केंद्र सरकार ने इस स्थिति पर कोई औपचारिक प्रतिक्रिया जारी नहीं की है.


