आप नॉमिनेटेड हैं और मैं जनता से चुना हुआ...CEC ज्ञानेश कुमार से मीटिंग के दौरान बोले अभिषेक बनर्जी

तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी ने SIR को लेकर मुख्य चुनाव आयुक्त के साथ मुलाकात में तीखी बहस की. उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग उनकी पूछी गई आठ से दस चिंताओं पर स्पष्ट जवाब नहीं दे सका और मुद्दों को बार-बार नागरिकता जैसे अलग टॉपिक पर मोड़ दिया गया.

Utsav Singh
Edited By: Utsav Singh

पश्चिम बंगाल : तृणमूल कांग्रेस और चुनाव आयोग के बीच स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) को लेकर चल रहा विवाद बुधवार को और गहरा गया, जब पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी की मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार के साथ तीखी बहस हो गई. तृणमूल कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल ने SIR से जुड़ी चिंताओं को लेकर चुनाव आयोग से मुलाकात की थी, लेकिन बैठक के बाद सामने आए बयान इस बात की ओर इशारा करते हैं कि दोनों पक्षों के बीच सहमति बनने के बजाय मतभेद और बढ़ गए हैं.

अभिषेक बनर्जी के गंभीर आरोप

बैठक के बाद मीडिया से बात करते हुए अभिषेक बनर्जी ने दावा किया कि बातचीत के दौरान मुख्य चुनाव आयुक्त का रवैया असहज और आक्रामक हो गया. उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव आयुक्त उनकी बातों से नाराज हो गए और उंगली उठाकर बात करने लगे. इस पर उन्होंने कड़ा ऐतराज जताते हुए कहा कि वे जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधि हैं और बंगाल की जनता के प्रति जवाबदेह हैं, जबकि चुनाव आयुक्त एक नामित पद पर हैं. अभिषेक बनर्जी के मुताबिक, उन्होंने स्पष्ट शब्दों में यह भी कहा कि बातचीत सम्मानजनक तरीके से होनी चाहिए.

सवालों के जवाब न मिलने का दावा
अभिषेक बनर्जी ने यह भी आरोप लगाया कि ढाई घंटे चली इस बैठक में पार्टी की ओर से उठाए गए आठ से दस अहम मुद्दों पर ठोस जवाब नहीं दिए गए. उनके अनुसार, केवल दो या तीन बिंदुओं पर ही कुछ हद तक स्पष्टता मिली, जबकि बाकी सवालों को टाल दिया गया. उन्होंने कहा कि जब भी SIR से जुड़े सवाल पूछे गए, तो चुनाव आयोग ने चर्चा को नागरिकता जैसे अलग विषयों की ओर मोड़ने की कोशिश की, जिससे असल मुद्दे पर जवाब देने से बचा गया.

पिछली बैठक का हवाला और लीक का आरोप
टीएमसी नेता ने एक महीने पहले हुई बैठक का भी जिक्र किया, जिसमें पार्टी के दस सदस्यों का प्रतिनिधिमंडल चुनाव आयोग से मिला था. उनका कहना था कि उस बैठक में भी पांच सवाल पूछे गए थे, लेकिन किसी का संतोषजनक उत्तर नहीं मिला. अभिषेक बनर्जी ने यह आरोप भी लगाया कि पिछली बैठक के बाद चुनाव आयोग ने चुनिंदा पत्रकारों को जानकारी लीक की और दावा किया कि सभी सवालों के जवाब दे दिए गए थे, जबकि टीएमसी के पास इसके विपरीत डिजिटल सबूत मौजूद हैं.

बंगाल में SIR को लेकर बढ़ता तनाव
यह पूरा विवाद पश्चिम बंगाल में चल रहे स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन के संदर्भ में सामने आया है. टीएमसी का आरोप है कि इस प्रक्रिया के दौरान बड़ी संख्या में मतदाताओं के नाम सूची से हटाए गए हैं. पार्टी के अनुसार, एन्यूमरेशन प्रक्रिया में 58.2 लाख से अधिक नाम हटाए गए, जिससे राज्य की राजनीति में भारी असंतोष पैदा हुआ है. टीएमसी इसे लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिए खतरा बता रही है.

चुनाव आयोग का कार्यक्रम और आगे की प्रक्रिया
चुनाव आयोग ने 16 दिसंबर को पश्चिम बंगाल के लिए ड्राफ्ट इलेक्टोरल रोल जारी किया था. दावे और आपत्तियां दर्ज कराने की समयसीमा 15 जनवरी 2026 तक तय की गई है, जबकि अंतिम मतदाता सूची 14 फरवरी 2026 को प्रकाशित की जानी है. इस पूरी प्रक्रिया को लेकर टीएमसी लगातार सवाल उठा रही है और इसे लेकर राज्य सरकार तथा केंद्र के बीच टकराव की स्थिति बनी हुई है.

प्रतिनिधिमंडल में कौन-कौन था शामिल
इस बैठक में तृणमूल कांग्रेस की ओर से राज्यसभा के चीफ व्हिप मोहम्मद नदीमुल हक, सांसद डेरेक ओ’ब्रायन, कल्याण बनर्जी, ममता ठाकुर, साकेत गोखले और ऋतब्रत बनर्जी शामिल थे. इनके अलावा पार्टी के वरिष्ठ नेता प्रदीप मजूमदार, चंद्रिमा भट्टाचार्य और मानस भुइयां भी प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा थे. बैठक के बाद सामने आए बयानों से साफ है कि आने वाले दिनों में SIR को लेकर राजनीतिक टकराव और तेज हो सकता है.

ताजा खबरें

ट्रेंडिंग वीडियो

close alt tag