पहलगाम हमलावरों को पनाह देने वाले दो आरोपी गिरफ्तार, तीन लश्कर आतंकियों की पहचान
Pahalgam terror attack: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के दो महीने बाद राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने बड़ी कार्रवाई करते हुए दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है. इन्होंने हमलावर आतंकियों को पनाह और सहयोग दिया था. जांच में तीन लश्कर-ए-तैयबा आतंकियों की पहचान भी हुई है.

Pahalgam terror attack: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में दो महीने पहले 22 अप्रैल को हुए दिल दहला देने वाले आतंकी हमले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को बड़ी सफलता मिली है. इस हमले में 25 पर्यटकों और एक स्थानीय नागरिक की निर्मम हत्या कर दी गई थी. अब एनआईए ने दो ऐसे व्यक्तियों को गिरफ्तार किया है जिन्होंने इन हमलावर आतंकियों को पनाह और सहायता दी थी.
गिरफ्तार किए गए दोनों आरोपियों की पहचान परवेज अहमद जोथर और बशीर अहमद जोथर के रूप में हुई है. पूछताछ के दौरान इन दोनों ने हमले में शामिल तीन आतंकियों के नाम उजागर किए हैं, जो पाकिस्तान स्थित प्रतिबंधित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (LeT) से जुड़े थे.
आतंकियों को दी थी पनाह और सहयोग
एनआईए की ओर से जारी आधिकारिक बयान में कहा गया है, "पहलगाम आतंकी हमले की जांच में बड़ी सफलता मिली है. दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है जिन्होंने उस भयावह हमले को अंजाम देने वाले आतंकियों को पनाह दी थी, जिसमें 26 निर्दोष पर्यटक मारे गए थे और 16 अन्य गंभीर रूप से घायल हुए थे."
एनआईए ने आगे बताया कि परवेज़ अहमद जोथर (बटकूट, पहलगाम) और बशीर अहमद जोथर (हिल पार्क, पहलगाम) ने इन आतंकियों की पहचान बताई है और यह भी पुष्टि की कि ये तीनों आतंकी पाकिस्तान के रहने वाले थे और लश्कर-ए-तैयबा संगठन से जुड़े थे.
हिल पार्क के ढोक में दी गई थी शरण
जांच एजेंसी के मुताबिक, परवेज और बशीर ने हमले से पहले इन तीनों आतंकियों को जानबूझकर हिल पार्क स्थित एक मौसमी ढोक (झोंपड़ी) में शरण दी थी. वहां उन्हें भोजन, ठहरने की जगह और अन्य आवश्यक सहयोग प्रदान किया गया था. यह हमला योजनाबद्ध तरीके से धार्मिक पहचान के आधार पर किया गया, जिसे देश के सबसे नृशंस आतंकी हमलों में से एक माना जा रहा है. एनआईए ने बताया, "आतंकियों ने घटनास्थल पर लोगों से उनका धर्म पूछा और फिर हिंदू यात्रियों को निशाना बनाते हुए बेहद करीब से गोली मार दी."
यूएपीए के तहत कार्रवाई
एनआईए ने दोनों आरोपियों को अवैध गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 की धारा 19 के तहत गिरफ्तार किया है. यह धारा आतंकियों को आश्रय देने और सहयोग करने से संबंधित है.
ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत का कड़ा जवाब
22 अप्रैल के इस हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच सैन्य टकराव शुरू हो गया. भारत ने जवाबी कार्रवाई में 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान-अधिकृत कश्मीर (PoK) में मौजूद आतंकी ठिकानों पर सटीक हवाई हमले किए.
इन हमलों में नौ आतंकी शिविर ध्वस्त किए गए और 100 से अधिक आतंकियों को मार गिराया गया. इसके अलावा भारत ने पाकिस्तान के रावलपिंडी स्थित नूर खान एयरबेस सहित कई सैन्य ढांचों को भी नुकसान पहुंचाया.
संघर्षविराम और भारत की सख्त चेतावनी
इन सैन्य कार्रवाइयों के बाद पाकिस्तान की सेना के डीजीएमओ ने भारत से संघर्षविराम की गुहार लगाई, जिसे भारत ने 10 मई को मान लिया. हालांकि, भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि अगर भविष्य में पाकिस्तान ने फिर किसी भी तरह की आतंकी हरकत की तो उसका जवाब और भी कठोर होगा.


