7 घंटे चला AAP का प्रदर्शन, दिल्ली विधानसभा के बाहर की जमकर नारेबाजी, आतिशी ने राष्ट्रपति से मिलने का किया अनुरोध
दिल्ली विधानसभा में AAP विधायकों को एंट्री से रोके जाने पर पार्टी ने तानाशाही का आरोप लगाया और 7 घंटे तक धरना प्रदर्शन किया. वे सीएम कार्यालय से अंबेडकर की तस्वीरें हटाए जाने का विरोध कर रहे थे. विपक्षी नेता आतिशी ने राष्ट्रपति से मिलने की अपील करते हुए इसे लोकतंत्र पर हमला बताया.

दिल्ली विधानसभा में आम आदमी पार्टी (AAP) की प्रमुख नेता और विपक्षी नेता आतिशी सहित पार्टी के अन्य विधायकों को विधानसभा परिसर में एंट्री करने से रोक दिया गया, जिसके बाद उन्होंने विधानसभा के बाहर प्रदर्शन किया. पार्टी ने इस पूरे घटमाक्रम को तानाशाही और लोकतंत्र पर हमला बताया. इतना ही नहीं, आप नेताओं का आरोप है कि वे इस समय विधानसभा में सीएम कार्यालय से भीमराव अंबेडकर की तस्वीरों को कथित तौर पर हटाए जाने का विरोध कर रहे थे. इसके बाद विपक्षी दल ने विधानसभा परिसर के बाहर करीब 7 घंटे तक धरना दिया और बीजेपी सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की.
संसद परिसर में विरोध प्रदर्शन
आम आदमी पार्टी के नेताओं ने 'जय भीम' के नारे लगाए और बीजेपी सरकार के खिलाफ कई अहम सवाल उठाए गए. प्रदर्शन के दौरान आतिशी ने कहा कि बीजेपी की तानाशाही नहीं चलेगी. हम अपने अधिकारों के लिए हमेशा लड़ते रहेंगे. उनके अनुसार, विधानसभा के अंदर बहस और विरोध की जगह नहीं दी जा रही है, जिससे लोकतंत्र का गला घोंटा जा रहा है. विधानसभा अध्यक्ष के खिलाफ नारेबाजी करने और अंबेडकर की तस्वीरों को हटाने के मुद्दे को लेकर 21 विधायकों को निलंबित कर दिया गया था और अब तक उनका प्रवेश रोक दिया गया है.
आतिशी ने राष्ट्रपति से मिलने का किया अनुरोध
आतिशी ने इस पूरे घटनाक्रम के बारे में राष्ट्रपति को पत्र लिखकर मिलने का अनुरोध किया. पत्र में उन्होंने लिखा- दिल्ली में बीजेपी सरकार ने संविधान निर्माता बाबा साहेब अंबेडकर और शहीद भगत सिंह की तस्वीरों को सरकारी दफ्तरों से हटा दिया है. ये एक गंभीर और संवेदनशील मुद्दा है, जो भारतीय लोकतंत्र पर सीधा हमला है. उन्होंने ये भी कहा कि- ये कदम ना केवल देश के वीर सपूतों का अपमान है, बल्कि दलित, पिछड़े और वंचित समाज का भी अपमान है.
विपक्ष को विधानसभा से बाहर करना लोकतंत्र के खिलाफ: AAP
आतिशी ने कहा कि विपक्ष को इस तरह विधानसभा परिसर में घुसने से रोकना देश के लोकतांत्रिक इतिहास में एक काले धब्बे जैसा है. यदि विपक्ष को इस तरह से दबाया जाएगा, तो जनता के मुद्दे कौन उठाएगा? उनका मानना है कि लोकतंत्र में दोनों पक्षों का होना जरूरी है ताकि जनता की आवाज़ उठाई जा सके.


