एयर इंडिया क्रैश के बाद खुलासा, 5 साल में 65 विमानों के उड़ान के दौरान फेल हुए इंजन
अहमदाबाद से लंदन जा रही एयर इंडिया की फ्लाइट AI-171 के क्रैश के बाद भारत की विमानन सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं. एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो (AAIB) की रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि क्रैश का कारण इंजनों में फ्यूल सप्लाई का बंद होना था. लेकिन ये कोई इकलौता मामला नहीं है. DGCA द्वारा RTI के तहत जारी आंकड़ों से सामने आया है कि बीते पांच सालों में उड़ान के दौरान 65 बार इंजन फेल हो चुका है.

एयर इंडिया की अहमदाबाद-लंदन फ्लाइट की दुर्घटना के बाद भारत के विमानन क्षेत्र की गंभीर खामियां एक-एक कर सामने आने लगी हैं. एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो (AAIB) की शुरुआती रिपोर्ट के मुताबिक, क्रैश का कारण विमान के इंजन में फ्यूल सप्लाई का कट ऑफ होना था. लेकिन यह कोई अकेला मामला नहीं है. DGCA द्वारा सूचना के अधिकार (RTI) के तहत जारी आंकड़ों ने खुलासा किया है कि पिछले पांच वर्षों में उड़ान के दौरान 65 विमानों के इंजन बंद हो चुके हैं.
इस रिपोर्ट से यह भी पता चला है कि जनवरी 2024 से मई 2025 के बीच 11 मेडे कॉल यानी इमरजेंसी सिग्नल दर्ज किए गए हैं, जिनमें पायलट्स ने तकनीकी गड़बड़ियों के चलते आपातकालीन लैंडिंग की मांग की.
फ्यूल कट ऑफ से हुआ हादसा
12 जून को अहमदाबाद से लंदन जा रही एयर इंडिया की फ्लाइट AI-171 के क्रैश की जांच में सामने आया कि उड़ान भरते ही विमान के इंजनों में फ्यूल सप्लाई कट हो गई थी. शुरुआती रिपोर्ट में बताया गया कि पायलट्स के बीच संचार में भ्रम पैदा हो गया और फ्यूल ऑफ हो गया. हालांकि उन्होंने उसे फौरन दोबारा रन किया, लेकिन तब तक हालात बिगड़ चुके थे.
RTI में DGCA का बड़ा खुलासा
DGCA ने RTI के जवाब में जानकारी दी है कि वर्ष 2020 से 2025 (अब तक) देश में उड़ान के दौरान 65 इंजन फेल्योर दर्ज हुए हैं. अच्छी बात यह रही कि इनमें सभी विमानों को बचे हुए इंजन की मदद से सुरक्षित उतार लिया गया.
विशेषज्ञों ने बताए इंजन फेल होने के कारण
फेडरेशन ऑफ इंडियन पायलट्स के अध्यक्ष कैप्टन सी. एस. रंधावा के अनुसार, इंजन फेल्योर के मुख्य कारणों में शामिल हैं:
फ्यूल फिल्टर का शटडाउन
ईंधन में पानी मिलना
ईंधन आपूर्ति में रुकावट
इंजन में बाहरी वस्तुओं का प्रवेश
इन कारणों से उड़ान संचालन में बाधा उत्पन्न हो सकती है और यात्रियों की जान खतरे में पड़ सकती है.
11 बार ‘मेडे कॉल’, खतरे की घंटी
RTI डाटा में यह भी बताया गया कि 1 जनवरी 2024 से 31 मई 2025 तक 11 मेडे कॉल्स दर्ज की गईं. इनमें से 4 फ्लाइट्स को हैदराबाद में इमरजेंसी लैंडिंग करानी पड़ी. हालांकि, एयर इंडिया की फ्लाइट AI-171 और इंडिगो की 19 जून की गुवाहाटी-चेन्नई फ्लाइट इन आंकड़ों में शामिल नहीं हैं.
क्यों दिया जाता है मेडे सिग्नल?
एयरलाइन पायलट्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के मुताबिक, “मेडे कॉल तब दिया जाता है जब पायलट को लगता है कि स्थिति जानलेवा हो सकती है और तत्काल मदद की जरूरत है.” हालांकि एविएशन विशेषज्ञ मानते हैं कि इंजन फेल्योर और मेडे कॉल दुनिया भर में एक सामान्य प्रक्रिया है, लेकिन बार-बार इन घटनाओं का होना भारत में सुरक्षा व्यवस्थाओं पर सवाल उठाता है.


