हद है! लोग किसी को भी... Supreme Court ने कार्टूनिस्ट हेमंत मालवीय को लगाई फटकार, लेकिन गिरफ्तारी पर रोक
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक महत्वपूर्ण सुनवाई में कार्टूनिस्ट हेमंत मालवीय को कड़ी फटकार लगाई. यह मामला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) को लेकर सोशल मीडिया पर की गई एक आपत्तिजनक पोस्ट से जुड़ा है. अदालत ने यह स्पष्ट किया कि सोशल मीडिया का दुरुपयोग सहन नहीं किया जा सकता और सार्वजनिक मंचों पर मर्यादा बनाए रखना आवश्यक है. इसके बावजूद, कोर्ट ने यह भी माना कि मालवीय को तुरंत गिरफ्तार करना उचित नहीं होगा और इसी कारण उन्हें अंतरिम सुरक्षा दी गई है, यानी उन्हें फिलहाल गिरफ्तारी से राहत मिल गई है.

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कार्टूनिस्ट हेमंत मालवीय को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) को लेकर सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक पोस्ट साझा करने के मामले में सख्त फटकार लगाई. हालांकि, अदालत ने फिलहाल उन्हें गिरफ्तारी से राहत देते हुए अंतरिम सुरक्षा प्रदान की है. न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति अरविंद कुमार की पीठ ने साफ कहा कि यदि मालवीय भविष्य में इसी तरह की पोस्ट करते हैं तो मध्य प्रदेश सरकार उनके खिलाफ कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र होगी.
अदालत में सख्त टिप्पणी, “हद है!”
आपको बता दें कि सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सोशल मीडिया की भाषा पर नाराजगी जताई. न्यायमूर्ति धूलिया ने हिंदी में टिप्पणी करते हुए कहा, “हद है! लोग किसी को भी, कुछ भी कह देते हैं.” अदालत का इशारा इस ओर था कि सोशल मीडिया पर बिना सोचे-समझे और शालीनता की सीमा को पार करते हुए लोग पोस्ट करने लगे हैं, जिससे समाज में तनाव और वैमनस्य फैल सकता है. कोर्ट ने यह भी संकेत दिया कि अगली सुनवाई में, जो 15 अगस्त के बाद होगी, इस तरह की गाली-गलौज और अशोभनीय पोस्टों को लेकर कुछ जरूरी आदेश पारित किए जा सकते हैं.
पुरानी पोस्ट से उठी नई विवाद की लहर
दरअसल, हेमंत मालवीय के खिलाफ दर्ज मामला उन कार्टूनों को लेकर है, जो उन्होंने साल 2020 और 2021 में बनाए थे. हाल ही में किसी ने उनके पुराने कार्टून को फिर से सोशल मीडिया पर साझा किया और उसमें धार्मिक टिप्पणियाँ जोड़ दीं. इस नए रूप में पोस्ट के वायरल होने के बाद मालवीय के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया गया. इस मामले में मध्य प्रदेश हाई कोर्ट से अग्रिम जमानत याचिका खारिज होने के बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया.
सरकार का गुस्सा मालवीय पर निकला
वहीं, इस मामले पर हेमंत मालवीय की ओर से सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता वृंदा ग्रोवर ने पक्ष रखा. उन्होंने कोर्ट को बताया कि मालवीय ने जो कार्टून बनाए थे, वे किसी अपराध की श्रेणी में नहीं आते. उन्होंने कहा कि असल में जो आपत्तिजनक पोस्ट है, वह मालवीय की नहीं, बल्कि किसी और की बनाई हुई है, जिसमें उनके पुराने कार्टून को लेकर धार्मिक और भड़काऊ बातें जोड़ दी गई थीं. बावजूद इसके, राज्य सरकार का सारा गुस्सा मालवीय पर ही निकला. उन्होंने यह भी बताया कि मालवीय उस पोस्ट को हटाने के लिए पूरी तरह तैयार हैं.
अभिव्यक्ति की आजादी का मतलब...
इसके साथ ही सरकार की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज ने कहा कि देश में सभी नागरिकों को अपनी बात कहने का अधिकार है, लेकिन यह अधिकार इस रूप में नहीं इस्तेमाल किया जा सकता जिससे किसी व्यक्ति, संस्था या धर्म की मानहानि हो. उन्होंने कोर्ट को यह भी बताया कि सोशल मीडिया पर की गई अभिव्यक्ति भी कानून के दायरे में आती है और यदि वह अपराध की श्रेणी में आती है तो उस पर कार्रवाई की जा सकती है.
अब 15 अगस्त के बाद होगी अगली सुनवाई
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल मालवीय की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है, लेकिन यह स्पष्ट कर दिया है कि यह राहत स्थायी नहीं है. यदि वे दोबारा इसी तरह की कोई गतिविधि करते हैं, तो राज्य सरकार उन पर कार्रवाई कर सकती है. कोर्ट ने यह भी कहा कि वह 15 अगस्त के बाद इस मामले में सोशल मीडिया के दुरुपयोग को लेकर कुछ अहम निर्देश दे सकती है, जिससे भविष्य में इस तरह की घटनाओं पर अंकुश लगाया जा सके.


