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Chandrayaan-3: चंद्रयान-3 की सुरक्षित लैंडिंग के लिए भारत की क्यों मदद कर रहा अमेरिका और यूरोप, क्या है रणनीति?

Chandrayaan-3: यूरोपियन स्पेस ऑपरेशन सेंटर डार्मस्टेड के ग्राउंड ऑपरेशन इंजीनियर रमेश चेल्लाथुराई ने जानकारी दी है. उन्होंने कहा कि यूरोपियन स्पेस एजेंसी चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग के शुरूआत से ही भारत की मदद कर रहा है.

Manoj Aarya
Edited By: Manoj Aarya

हाइलाइट

  • 14 जुलाई को इसरो ने लॉन्च किया था मिशन चंद्रयान-3.
  • चंद्रयान-3 आज शाम छह बजे के करीब चांद पर करेगा लैंडिंग.
  • पूरी दुनिया की निगाहें अब चंद्रयान-3 मिशन पर टिकी है.

Chandrayaan-3: भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो आज इतिहास रचने वाला है. इसरो ने 14 जुलाई को चंद्रयान-3 मिशन लॉन्च किया था जो कि आज शाम 6 बजे के आसपास चंद्रमा की सतह पर लैंड करने को तैयार है. इस मिशन को सफल बनाने और सुरक्षित लैंडिंग के लिए अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) और यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ESA) भी इसरो की मदद कर रहा है. 

अंग्रेजी मीडिया आउटलेट द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, यूरोपियन स्पेस ऑपरेशन सेंटर डार्मस्टेड के ग्राउंड ऑपरेशन इंजीनियर रमेश चेल्लाथुराई ने कहा है कि यूरोपियन स्पेस एजेंसी चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग के शुरूआत से ही भारत की मदद कर रहा है. उन्होंने बताया कि यूरोपियन स्पेस एजेंसी  ESTRACK नेटवर्क में दो ग्राउंड स्टेशन का इस्तेमाल कर चंद्रयान की कक्षा में ट्रैक कर और अंतरिक्ष यान से टेलीमेट्री डेटा प्राप्त कर इसकी जानकारी इसरो को दे रहा है. 

जानिए ESA कैसे कर रहा है इसरो की मदद?

रमेश चेल्लाथुराई ने कहा कि जब चंद्रयान-3 मिशन की शुरुआत हुई थी उस वक्त फ्रेंच गुयाना में ESA के 15 मीटर एंटीना और यूके के गोनहिली अर्थ स्टेशन के 32 मीटर एंटीना को हाई टेक्नोलॉजी से लैस होने के कारण इस मिशन की मदद के लिए चुना गया था. चेल्लाथुराई बताते हैं कि ये दोनों ही स्टेशन शुरुआत से ही चंद्रयान-3 मिशन के साथ रहे हैं. इन दोनों स्टेशन के कारण ही बेंगलुरु में मिशन संचालन की एक पूरी टीम और चंद्रयान-3 उपग्रह के बीच एक पूरा चैनल उपलब्ध हो पा रहा है. 

लैंडिंग के दौरान भी निभायेगा अहम रोल

ऑस्ट्रेलिया के न्यू नॉर्सिया में ESA का 35 मीटर लंबा एंटीना और  ESTRACK नेटवर्क का तीसरा ग्राउंड स्टेशन, चंद्रयान-3 के लैंडिंग के दौरान लैंडर मॉड्यूल को ट्रैक करने और उसके साथ संचार स्थापित करने में भारत की मदद करेगा. रमेश चेल्लाथुराई ने आगे बताया कि लैंडिंग के वक्त चांद की सतह पर पहुंचने के बाद सॉफ्ट लैंडिंग हुई या नहीं इस जानकारी के लिए इसी टेलीमेट्री का इस्तेमाल किया जाएगा.

अंतरिक्ष मिशन के महत्वपूर्ण क्षणों जैसे लैंडिंग के दौरान इस तरह का बैक-अप समर्थन बहुत कॉमन है. सफल लैंडिंग के बाद, मिशन के रोवर द्वारा इकट्ठा किए गए डेटा को लैंडर मॉड्यूल के जरिए ग्राउंड स्टेशनों तक भेजा जाएगा. इस डेटा को कौरौ और गोनहिली का एंटिना कैच करेगा और फिर इसे प्राप्त बेंगलुरु में मिशन संचालन केंद्र को भेज दिया जाएगा. 

चंद्रयान-3 पर पूरी दुनिया की नजर

2 दिन पहले ही चांद के इसी सतह पर लैंड करते हुए रूस का लूना- 25 क्रैश हो गई थी. जिसके बाद पूरी दुनिया की निगाहें अब मिशन चंद्रयान-3 पर टिकी है. ये जगह चांद के उस हिस्से से काफ़ी अलग और रहस्यमयी है जहां अब तक दुनिया भर के देशों की ओर से स्पेस मिशन भेजे गए हैं.

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23 August 2023, 01:48 PM IST

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