बेंगलुरु विध्वंस विवाद: कांग्रेस की बेचैनी के बीच एक सुर में बोले सिद्धारमैया–शिवकुमार
बेंगलुरु के कोगिला लेआउट में हुई तोड़फोड़ की कार्रवाई ने कर्नाटक की राजनीति में हलचल मचा दी है. विवादों के बीच मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने एकजुट होकर कार्रवाई का बचाव किया, जबकि कांग्रेस के भीतर मानवीय चिंताओं को लेकर बेचैनी साफ नजर आई.

बेंगलुरु: बेंगलुरु के कोगिला लेआउट में हुई तोड़फोड़ की कार्रवाई ने कर्नाटक की राजनीति में तीखी बहस छेड़ दी है. एक ओर जहां कांग्रेस को आंतरिक असंतोष और बाहरी आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है, वहीं दूसरी ओर राज्य के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार इस मुद्दे पर एकजुट नजर आए हैं.
आमतौर पर सत्ता संतुलन को लेकर अलग-अलग सुरों में दिखने वाले दोनों नेताओं का इस मामले में साथ आना राजनीतिक रूप से अहम माना जा रहा है. दोनों ने न केवल कार्रवाई का बचाव किया, बल्कि केरल के मुख्यमंत्री पिनारयी विजयन की आलोचनाओं को भी सख्ती से खारिज किया.
कोगिला लेआउट विध्वंस से उठा सियासी तूफान
यह विवाद 20 दिसंबर को येलाहांका के पास कोगिला लेआउट से कई परिवारों को हटाए जाने के बाद शुरू हुआ. इस कार्रवाई को लेकर विपक्षी दलों के साथ-साथ कांग्रेस के भीतर भी सवाल उठे. वरिष्ठ नेता केसी वेणुगोपाल ने सरकार से अधिक संवेदनशील और करुणामय रवैया अपनाने की अपील की.
विजयन की 'बुलडोजर राज' टिप्पणी
केरल के मुख्यमंत्री पिनारयी विजयन ने इस कार्रवाई की आलोचना करते हुए इसे “बुलडोजर राज” का उदाहरण बताया. उन्होंने फकीर कॉलोनी और वसीम लेआउट के विध्वंस का जिक्र करते हुए कहा,
उन्होंने आगे लिखा, "दुख की बात है कि कर्नाटक में कांग्रेस सरकार के शासन में संघ परिवार की अल्पसंख्यक विरोधी राजनीति को अंजाम दिया जा रहा है," और धर्मनिरपेक्ष ताकतों से इसका विरोध करने का आह्वान किया. बाद में फेसबुक पोस्ट में उन्होंने इस कार्रवाई को “बेहद चौंकाने वाला और दर्दनाक” बताया.
सिद्धारमैया का जवाब: कार्रवाई थी अपरिहार्य
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने X पर सफाई देते हुए कहा कि यह कदम सुरक्षा कारणों से उठाया गया. उन्होंने लिखा,"येलाहांका के पास कोगिला लेआउट में कचरा निपटान स्थल पर कई लोगों ने अवैध रूप से अस्थायी आश्रय बना रखे थे. यह मानव निवास के लिए उपयुक्त स्थान नहीं है."
उन्होंने आगे कहा,"परिवारों को कई बार स्थानांतरित होने का निर्देश देते हुए नोटिस जारी करने के बावजूद, निवासियों ने अनुपालन नहीं किया. इन परिस्थितियों में, अतिक्रमण हटाना और जगह खाली करना अपरिहार्य हो गया."
'बुलडोजर न्याय' के आरोप खारिज
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि विस्थापितों के लिए तत्काल राहत के निर्देश दिए गए हैं. उन्होंने बताया कि बृहत्तर बेंगलुरु प्राधिकरण के आयुक्त से अस्थायी आश्रय, भोजन और जरूरी वस्तुओं की व्यवस्था पर बात हुई है.
उन्होंने कहा,"बुलडोजर न्याय' और अवैध अतिक्रमणों को कानूनी रूप से हटाने में मूलभूत अंतर है. पिनारयी विजयन द्वारा की जा रही आलोचना राजनीतिक रूप से प्रेरित है और वास्तविकता की समझ की कमी को दर्शाती है."
शिवकुमार का पलटवार
उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने भी विजयन की आलोचना पर कड़ा जवाब दिया. उन्होंने कहा,"यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि पिनारयी विजयन जैसे वरिष्ठ नेताओं ने सच्चाई जाने बिना ही बात की है. उन्हें पता होना चाहिए कि असल मुद्दा क्या है."
उन्होंने स्पष्ट किया,"यह जगह (कोगिला लेआउट) ठोस कचरा निपटान के लिए एक खदान है. 9 साल पहले ठोस कचरा निपटान इकाई के लिए अधिसूचना जारी की गई थी… हम भूमि माफिया को झुग्गी-झोपड़ियां नहीं बनाने देंगे."
"बुलडोजर संस्कृति हमारी नहीं है," कहते हुए शिवकुमार ने जोड़ा कि बिना तथ्य जाने राज्य के मामलों में हस्तक्षेप नहीं किया जाना चाहिए.
कांग्रेस के भीतर मानवीय चिंता
कुछ घंटों बाद एआईसीसी महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि उन्होंने इस मुद्दे पर सिद्धारमैया और शिवकुमार से बात की है. उन्होंने कहा,"मैंने एआईसीसी की इस गंभीर चिंता से अवगत कराया कि इस तरह की कार्रवाई बहुत अधिक सावधानी, संवेदनशीलता और करुणा के साथ की जानी चाहिए थी, जिसमें मानवीय प्रभाव को केंद्र में रखा जाना चाहिए था."
वाम दलों का दौरा, विरोध प्रदर्शन तेज
इस बीच, सीपीआई (एम) नेता और केरल के सांसद ए.ए. रहीम के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने कोगिला लेआउट का दौरा कर विस्थापित परिवारों से मुलाकात की. रहीम ने इस कार्रवाई को "अल्पसंख्यक-विरोधी" बताया.
येलाहांका में एसडीपीआई और स्थानीय लोगों ने पुनर्वास की मांग को लेकर प्रदर्शन किया. एसडीपीआई कर्नाटक के महासचिव मुजाहिद पाशा ने एएनआई के अनुसार कहा,
"कर्नाटक सरकार मानवता को ध्यान में रखने में विफल रही है… यह एक राष्ट्रीय मुद्दा बन गया है."
कांग्रेस के लिए बढ़ती चुनौती
लगातार आ रही राजनीतिक प्रतिक्रियाओं के बीच यह मामला कांग्रेस के भीतर मतभेदों को उजागर कर रहा है. साथ ही, बेंगलुरु में विध्वंस की कार्रवाई को लेकर राज्य से बाहर के नेताओं के साथ टकराव भी तेज होता नजर आ रहा है.


