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Bharat Bandh: सरकार की मजदूर नीतियों के खिलाफ भारत बंद, 25 करोड़ कर्मचारी हो सकते हैं विरोध में शामिल, किसानों का भी मिला समर्थन

केंद्र सरकार की नीतियों के विरोध में 9 जुलाई 2025 को 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने भारत बंद का आह्वान किया, जिसमें बैंक, बीमा, परिवहन और खनन जैसे क्षेत्रों के 25 करोड़ कर्मचारियों के शामिल होने की संभावना है; किसानों और गैर-भाजपा शासित राज्यों में इसका असर व्यापक हो सकता है.

Yaspal Singh
Edited By: Yaspal Singh

केंद्र सरकार की कथित "मजदूर-विरोधी और किसान-विरोधी" नीतियों के खिलाफ देशभर में 9 जुलाई 2025 बुधवार को भारत बंद बुलाया है. इस बंद का आह्वान 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच द्वारा किया गया है, जिसमें विभिन्न औद्योगिक और सार्वजनिक क्षेत्र की यूनियनें शामिल हैं.

यह हड़ताल आगामी विधानसभा चुनावों वाले राज्यों, विशेषकर बिहार, में विशेष असर डाल सकती है. इसके अलावा गैर-भाजपा शासित राज्यों जैसे केरल, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और पंजाब में भी बंद का प्रभाव व्यापक रूप से देखने को मिल सकता है.

किन क्षेत्रों में हो सकता है बंद का असर

इस हड़ताल में बैंकिंग, बीमा, डाक सेवाएं, कोयला खनन, स्टील, परिवहन और बिजली जैसे कई क्षेत्रों के करीब 25 करोड़ कर्मचारी शामिल हो सकते हैं. इन क्षेत्रों के ठप रहने से आम जनजीवन पर गहरा प्रभाव पड़ने की आशंका है.

हालांकि, भारतीय रेलवे की यूनियनें इस बंद में औपचारिक रूप से शामिल नहीं हैं, लेकिन प्रदर्शनकारी रेलवे स्टेशनों और ट्रेनों को बाधित कर सकते हैं. इसी तरह, सार्वजनिक और निजी बस सेवाएं, टैक्सी तथा ऐप-बेस्ड कैब सेवाएं भी प्रभावित हो सकती हैं, जिससे दैनिक यात्रियों को कठिनाई हो सकती है.

शैक्षणिक संस्थानों पर असर की संभावना कम

देश के अधिकांश हिस्सों में स्कूल और कॉलेज सामान्य रूप से खुले रहने की संभावना है. हालांकि, कुछ स्थानीय प्रशासन बंद के मद्देनज़र सुरक्षा कारणों से संस्थानों को बंद करने का फैसला ले सकते हैं.

भारत बंद के पीछे कारण और मुख्य मांगें

संयुक्त ट्रेड यूनियनों का आरोप है कि केंद्र सरकार द्वारा श्रम कानूनों में किए गए बदलावों से कर्मचारियों की सुरक्षा और अधिकार कमजोर हुए हैं. साथ ही, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के निजीकरण, महंगाई, बेरोजगारी और किसानों की समस्याओं को लेकर भी असंतोष जताया गया है.

यूनियनें चाहती हैं कि चारों नई श्रम संहिताओं को वापस लिया जाए और ठेकेदारी प्रथा को खत्म कर स्थायी रोजगार की गारंटी दी जाए. इसके साथ ही वे सार्वजनिक सेवाओं के निजीकरण पर रोक और न्यूनतम मजदूरी की कानूनी गारंटी की मांग कर रही हैं.

किसानों का भी मिल रहा समर्थन

भारत बंद को संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) समेत विभिन्न किसान संगठनों का भी समर्थन प्राप्त है. किसानों ने ग्रामीण क्षेत्रों में प्रदर्शन करने की घोषणा की है, जिससे ग्रामीण परिवहन और बाजारों पर भी बंद का असर दिख सकता है.

नेताओं की प्रतिक्रिया

AITUC की महासचिव अमरजीत कौर ने जानकारी दी कि बंद में लगभग 25 करोड़ से अधिक मजदूरों की भागीदारी की संभावना है. उन्होंने कहा कि यह आंदोलन देश के मेहनतकश वर्ग की आवाज़ है, जिसे लंबे समय से अनसुना किया जा रहा है.

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08 July 2025, 05:01 PM IST

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